Rajasthan Politics / राजस्थान की सात पार्टियों को चुनाव आयोग ने दिया नोटिस, जानिए कारण

चुनाव आयोग ने राजस्थान की सात राजनीतिक पार्टियों को नोटिस जारी किया है। इन पर पिछले तीन वित्त वर्ष के ऑडिटेड अकाउंट और चुनावी खर्च का ब्योरा नहीं देने का आरोप है। 15 दिन में जवाब नहीं मिलने पर रजिस्ट्रेशन रद्द होगा। देशभर में ऐसे 359 दलों पर कार्रवाई चल रही है।

Rajasthan Politics: चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कड़ा कदम उठाया है। राजस्थान की सात राजनीतिक पार्टियों को पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2023-24) के लिए वार्षिक ऑडिटेड खातों और चुनावी खर्च का ब्योरा जमा नहीं करने के कारण नोटिस जारी किया गया है। इन पार्टियों को 15 दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है, अन्यथा उनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।

नोटिस का विवरण

निर्वाचन विभाग ने इन सातों पार्टियों को नोटिस की सार्वजनिक सूचना जारी की है। नोटिस में निम्नलिखित बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है:

  • वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक वार्षिक ऑडिटेड खातों को जमा न करने का कारण।

  • चुनावी खर्च का ब्योरा न देने का कारण।

  • क्या इन पार्टियों ने अपनी गतिविधियों को सीमित या बंद कर दिया है।

यदि तय समय सीमा में संतोषजनक जवाब नहीं मिलता, तो इन पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी।

देशभर में 359 पार्टियों पर नजर

चुनाव आयोग ने देशभर में ऐसी 359 राजनीतिक पार्टियों को चिह्नित किया है, जिन्होंने न तो चुनावी खर्च का ब्योरा दिया और न ही पिछले तीन वर्षों के वार्षिक खाते जमा किए। राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई दल लगातार छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ता, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटाया जा सकता है।

आयोग ने 2019 से ही ऐसे निष्क्रिय दलों की पहचान शुरू कर दी थी। अब इन दलों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं, और गैर-जवाबदेही की स्थिति में कठोर कार्रवाई की जा रही है।

राजस्थान में पहले भी हुई कार्रवाई

हाल ही में, चुनाव आयोग ने राजस्थान की 17 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था। ये पार्टियां पिछले छह वर्षों से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले रही थीं और पूरी तरह निष्क्रिय थीं। इन पार्टियों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने के कारण इनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया।

निष्क्रिय दलों पर कड़ी नजर

चुनाव आयोग का यह कदम राजनीतिक दलों की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। आयोग का कहना है कि पंजीकृत राजनीतिक दलों को न केवल अपनी वित्तीय स्थिति और खर्चों का स्पष्ट हिसाब देना होगा, बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना होगा। निष्क्रियता और गैर-पारदर्शिता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।