Crude Oil Exports / EU ने किया बड़ा ‘खेल’! भारत के 1.3 लाख करोड़ के ऑयल एक्सपोर्ट पर खतरा

यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंधों से भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर खतरा मंडरा रहा है। GTRI के अनुसार, रूसी कच्चे तेल से रिफाइंड उत्पादों पर रोक से भारत का 15 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है। भारत को भू-राजनीतिक दबाव और आर्थिक जरूरतों के बीच संतुलन बनाना होगा।

Crude Oil Exports: आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने चेतावनी दी है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) द्वारा तीसरे देशों से रिफाइंड रूसी कच्चे तेल के आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण भारत के 15 अरब अमेरिकी डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यूरोपीय संघ के 27 देशों ने अपने 18वें प्रतिबंध पैकेज में रूस के तेल और ऊर्जा क्षेत्र से होने वाली आय को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें रूसी कच्चे तेल से बने और तीसरे देशों के माध्यम से आयात किए जाने वाले रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों पर प्रतिबंध प्रमुख है।

प्रतिबंधों का प्रभाव

GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिबंध का असर उन देशों पर पड़ेगा जो रूसी कच्चे तेल को रिफाइन कर यूरोप को डीजल, पेट्रोल और जेट ईंधन जैसे उत्पाद निर्यात कर रहे हैं। इसमें भारत, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं। GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि भारत का यूरोपीय संघ को 15 अरब अमेरिकी डॉलर का पेट्रोलियम निर्यात खतरे में है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने यूरोपीय संघ को 19.2 अरब अमेरिकी डॉलर के पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात किए थे, लेकिन 2024-25 में यह 27.1% घटकर 15 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है।

भारत का रूसी तेल आयात

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत ने वित्त वर्ष 2025 में रूस से 50.3 अरब अमेरिकी डॉलर का कच्चा तेल आयात किया, जो उसके कुल 143.1 अरब अमेरिकी डॉलर के कच्चे तेल आयात का एक तिहाई से अधिक है। यह रूसी तेल पर भारत की बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है। हालांकि, श्रीवास्तव ने कहा कि पश्चिमी देशों में रूस के साथ व्यापार के राजनीतिक निहितार्थ बदल रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत को आर्थिक व्यावहारिकता और भू-राजनीतिक दबावों के बीच संतुलन बनाना होगा।

वैश्विक परिदृश्य और चुनौतियाँ

नए प्रतिबंधों में केवल अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और स्विट्जरलैंड जैसे कुछ चुनिंदा देशों को छूट दी गई है। इसका मतलब है कि भारत जैसे तीसरे देश, जो रूसी कच्चे तेल को रिफाइन कर यूरोप को निर्यात करते हैं, अब इन प्रतिबंधों के दायरे में आएंगे। यह भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यूरोपीय संघ भारत के पेट्रोलियम उत्पादों का एक प्रमुख बाजार है।

श्रीवास्तव ने कहा, "भारत रूस के साथ वैध व्यापार कर रहा है, लेकिन जैसे-जैसे ऊर्जा संबंध गहरे हो रहे हैं, भारत को भू-राजनीतिक दबावों का सामना करना पड़ सकता है।" इस स्थिति में भारत को अपनी ऊर्जा नीति और निर्यात रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है ताकि वह वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत रख सके।