Donald Trump News / यूरोप मांग रहा है डोनाल्ड ट्रंप से अपना सोना, क्यों मचा है इतना हड़कंप

दुनियाभर में सोने को हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन इस बार यूरोपीय देश अमेरिका से अपना सोना वापस मांग रहे हैं। ट्रंप की संभावित वापसी, फेडरल रिजर्व की पारदर्शिता पर शक और भू-राजनीतिक तनाव इस चिंता की वजह हैं। अब सोने की मांग तेजी से बढ़ रही है।

Donald Trump News: दुनियाभर में सोना हमेशा से एक सुरक्षित निवेश यानी 'सेफ हैवेन' के रूप में देखा गया है। जब भी वैश्विक स्तर पर युद्ध, आर्थिक मंदी, या भू-राजनीतिक तनाव जैसे हालात पैदा होते हैं, तो बड़े निवेशक अपने पैसों को सोने में निवेश करना ज़्यादा सुरक्षित मानते हैं। नतीजा ये होता है कि संकट के समय इसकी कीमतें तेज़ी से बढ़ने लगती हैं।

लेकिन इस बार मामला सिर्फ सोने के दाम या निवेश की मानसिकता का नहीं है, बल्कि एक कूटनीतिक चिंता का है। यूरोप के कई देश अब अमेरिका में जमा अपना सोना वापस मंगवाने की मांग कर रहे हैं। यह कदम डोनाल्ड ट्रंप की संभावित सत्ता में वापसी की आशंका के चलते उठाया जा रहा है।

क्यों उठी है सोने की वापसी की मांग?

यूरोप में यह डर बढ़ रहा है कि अगर ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बने, तो वे अमेरिकी संस्थानों की स्वतंत्रता और पारदर्शिता को चुनौती दे सकते हैं। फ्रांस, जर्मनी और इटली जैसे देश अमेरिका में जमा अपने सोने के भंडार को या तो लौटाने की मांग कर रहे हैं या उसकी स्वतंत्र और पारदर्शी ऑडिट चाहते हैं।

Taxpayers Association of Europe (TAE) ने भी इस मांग का समर्थन किया है। संगठन का कहना है कि भले ही सोना विदेशों में रखा हो, उस पर स्वामित्व, पारदर्शिता और नियंत्रण बना रहना चाहिए।

अमेरिका में क्यों रखा गया यूरोप का सोना?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में अस्थिरता के माहौल में कई देशों ने अपने स्वर्ण भंडार को सुरक्षित रखने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन की ओर रुख किया। उस दौर में न्यूयॉर्क का फेडरल रिजर्व बैंक और लंदन का बैंक ऑफ इंग्लैंड सबसे विश्वसनीय माने जाते थे।

आज भी जर्मनी का लगभग 50% सोना न्यूयॉर्क की 80 फीट गहरी तिजोरी में रखा है, जो मैनहैटन की चट्टानों के नीचे स्थित है।

पारदर्शिता पर पहले भी सवाल

पहले भी जर्मन सांसदों को अमेरिका में अपने देश के सोने का भौतिक निरीक्षण करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इस कदम ने अमेरिकी तिजोरियों में रखे विदेशी सोने की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए थे।

ट्रंप की वापसी क्यों बन रही है चिंता?

ट्रंप के पिछले कार्यकाल में फेडरल रिजर्व की स्वायत्तता को लेकर उन्होंने बार-बार बयान दिए थे। वह ब्याज दरों में कटौती के पक्षधर थे और फेड पर दबाव बनाने के लिए विवादास्पद टिप्पणियाँ करते रहे थे। यूरोपीय देशों को अब आशंका है कि यदि ट्रंप फिर सत्ता में आए, तो अमेरिका विदेशी स्वर्ण भंडार को रोकने या लौटाने से मना कर सकता है।

क्या है सोने की वैश्विक स्थिति?

  • वर्तमान में दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अभूतपूर्व स्तर पर सोना खरीद रहे हैं। साल 2022, 2023 और 2024 में लगातार तीन वर्षों तक हर साल 1000 टन से ज़्यादा सोने की खरीद की गई। इसकी दो प्रमुख वजहें हैं:
  • बढ़ती महंगाई (Inflation): कागज़ी मुद्राओं की गिरती क्रयशक्ति से बचने का एक प्रमुख तरीका।
  • अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता (Geopolitical Uncertainty): रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और मिडिल ईस्ट संघर्ष जैसे कारण।