
विक्रांत सिंह शेखावत
- भारत,
- 13-Feb-2025,
- (अपडेटेड 13-Feb-2025 05:57 PM IST)
India-China Relation: हाल ही में चीन ने तिब्बत में भारत की सीमा के निकट ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल जलविद्युत बांध बनाने की घोषणा की है। यह परियोजना भारत के लिए चिंता का विषय बन गई है क्योंकि इससे ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह और पारिस्थितिक संतुलन पर प्रभाव पड़ सकता है। इस मुद्दे पर भारत सरकार ने सतर्क रुख अपनाते हुए चीन के इस कदम पर कड़ी नजर रखने की बात कही है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी विकासों की सतर्कता से निगरानी कर रही है। उन्होंने अपने लिखित उत्तर में कहा, "सरकार चीन द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं के विकास की योजना सहित ब्रह्मपुत्र नदी के हर पहलू पर नजर रख रही है। सरकार राष्ट्र के हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।" इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि सीमा पार नदियों से जुड़े मुद्दों पर चीन के साथ चर्चा करने के लिए 2006 में एक संस्थागत विशेषज्ञ-स्तरीय तंत्र स्थापित किया गया था। यह चर्चा राजनयिक चैनलों के माध्यम से होती है।भारत ने जाहिर की अपनी चिंता
भारत सरकार ने चीनी अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताओं को लगातार प्रकट किया है। भारत ने चीन से अनुरोध किया है कि ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी भाग में किसी भी गतिविधि से निचले हिस्सों के हितों को नुकसान न पहुंचे। ब्रह्मपुत्र नदी पर जलविद्युत परियोजनाओं के प्रभावों का अध्ययन करने और संभावित खतरों को कम करने के लिए पूर्वोत्तर भारत में नदी की सहायक धाराओं पर गहन अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन का उद्देश्य पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को समझना और उन्हें कम करने के लिए उपयुक्त रणनीतियां बनाना है।चीन के मेगा डैम की जानकारी
चीन तिब्बत के मेडोग काउंटी में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से, जिसे यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है, पर 60,000 मेगावाट का मेगा डैम बना रहा है। इस बांध का नाम 'यारलुंग जांगबो' होगा और इसकी अनुमानित लागत 137 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकती है। यह परियोजना चीन की महत्वाकांक्षी जलविद्युत योजनाओं का हिस्सा है और इसके पूर्ण होने पर यह दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में शामिल हो सकता है।भारत के लिए संभावित प्रभाव
- जल प्रवाह पर असर: भारत को डर है कि इस बांध के निर्माण से ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह में अप्रत्याशित परिवर्तन हो सकते हैं, जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: इतने बड़े पैमाने पर बांध निर्माण से पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जिससे नदी के आसपास की जैव विविधता प्रभावित हो सकती है।
- भू-राजनीतिक तनाव: यह परियोजना भारत-चीन संबंधों में एक नया तनाव उत्पन्न कर सकती है, विशेष रूप से सीमा विवाद के संदर्भ में।