देश / बाढ़ और भूस्खलन ने इस मॉनसून 16 राज्यों में ली 900 से ज्यादा लोगों की जान

NavBharat Times : Aug 09, 2020, 04:14 PM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते देश में कई लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। मौतों का यह आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस आफत के बीच इस साल का मॉनसून भी मुसीबतों का पहाड़ लेकर आया है, जो लोगों पर टूट रहा है। इन मॉनसून में 16 राज्य बेहाल हो गए हैं। अब तक इन राज्यों में बाढ़ और लैंडस्लाइड के कारण 900 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

शुक्रवार को केरल में एक बड़े भूस्खलन में 33 लोगों की मौत हो गई। 6 अगस्त तक 33 लोग बाढ़ और भूस्खलन में अपनी जान गंवा चुके थे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र भी सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक हैं।

लाखों लोग हुए प्रभावित

बिहार में 69 लाख लोग और असम में 57 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए और उनके घर तबाह हो गए। देश के लाखों लोग बेघर हो गए। उनका पशुधन और आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई। हजारों लोग बेघर होने के बाद रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। केंद्र सरकार ने नैशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की 141 टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाई हैं। इसके अलावा स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) भी राहत कार्यों में लगी हैं।

दस दिनों में 200 लोगों की मौत

बीते दस दिनों के आंकड़े देखें तो राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन से 200 लोगों की मौतें हुईं, कुल मौतों का आंकड़ा 900 पहुंच गया है। सबसे ज्यादा मौतें पश्चिम बंगाल में हुईं। यहां 239 मौतें दर्ज की गईं, असम में 136, गुजरात में 87, कर्नाटक में 74 और मध्य प्रदेश में भी 74 लोगों की जानें गईं। यह मौतों का आंकड़ा अभी बढ़ेगा क्योंकि अधिकांश राज्यों ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके केंद्र सरकार को नहीं भेजी है और अभी भी अधिकांश राज्यों में नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।


असम में बाढ़ से गई 136 और भूस्खलन में 26 की मौत

असम में 136 लोगों ने बाढ़ के कारण और 26 लोगों ने भूस्खलन में जान गंवाई। केरल के इडुक्की में अकेले शुक्रवार को भूस्खलन ने 23 लोगों की जान ले ली। इन प्राकृतिक आपदाओं के बीच में राज्य बेहाल हैं। यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और कोरोना वायरस गाइडलाइन का पालन नहीं हो पा रहा है।

लाखों लोग हर साल होते हैं प्रभावित

देश में बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को लेकर हर साल देश में सैकड़ों लोगों की जान जाती है। हर साल लाखों लोग बेघर होते हैं और उन्हें गरीबी में अपना जीवन बिताना पड़ता है। लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित होती है। हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाती है।

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