देश / रूस के विदेश मंत्री दिल्ली पहुंचे, जयशंकर से आज होगी वार्ता - US की नजर

Zoom News : Apr 01, 2022, 07:31 AM
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंच गए हैं। वे शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से वार्ता करेंगे। रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है, जिसे बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एक तरफ जहां पश्चिमी देश लगातार भारत का समर्थन जुटाने के लिए यात्रा कर रहे हैं। वहीं, रूसी विदेश मंत्री की यात्रा को तेल की खरीद और कूटनीतिक संबंधों को मजूबती के नजरिये से देखा जा रहा है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में कारगर साबित होगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच भुगतान के लिए वैकल्पिक प्रणाली विकसित करने पर भी बातचीत हो सकती है। जबकि भारत की तरफ से एस-400 मिसाइल सिस्टम की जल्द आपूर्ति के लिए भी कहा जा सकता है।

पीएम मोदी से मुलाकात की संभावना कम

सूत्रों के अनुसार, उनके प्रधानमंत्री से मुलाकात की संभावना कम है। दरअसल, हाल में चीन के विदेश मंत्री से भी पीएम की मुलाकात नहीं हुई थी। जबकि ब्रिटेन की विदेश मंत्री भी गुरुवार को भारत में थी और पीएम से उनकी मुलाकात नहीं हुई है। इसलिए माना जा रहा है कि रूस के विदेश मंत्री की भी पीएम से मुलाकात की संभावना कम है। हालांकि विदेश मंत्रालय की तरफ से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

आपको बता दें कि रूस यूक्रेन युद्ध पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में तटस्थ रुख अपना रखा है। भारत ने इस पूरे प्रकरण में न तो रूस से अपने संबंधों को प्रभावित होने दिया है और न ही अमेरिका और यूरोपीय देशों से। जबकि, दुनिया के तमाम देश खेमों में बंटे हुए हैं। भारत के रुप पर रूस और अमेरिका दोनों ने संतोष प्रकट किया है।

दुनिया से पश्चिम का दबदबा खत्म हो रहा : सर्गेई लावरोव

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लेवरोव ने गुरूवार को कहा कि पिछले 500 वर्षों से अधिक समय से पश्चिम दुनिया पर हावी रहा है लेकिन अब बदलाव का समय आ गया है। लावरोव ने कहा, एक नई वास्तविकता आकार ले रही है। एकध्रुवीय दुनिया अब खत्म होती जा रही है और एक बहुध्रुवीय व्यवस्था जन्म ले चुकी है। यह उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है जो रुक नहीं सकती। इस नई वास्तविकता में कोई एक शासक नहीं हो सकता। हम देख रहे हैं कि अमेरिका, यूरोपीयन यूनियन और नाटो अपने आधिपत्य को दूसरे पर लागू करने का प्रयास कर रहे हैं। मैं आश्वस्त हूं कि ज्यादातर देश समझ रहे हैं यह रास्ता गतिरोध की ओर जाता है।

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