Shibu Soren Death / झारखंड के पूर्व CM शिबू सोरेन का निधन, दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में ली अंतिम सांस

झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन पर पीएम मोदी और सीएम हेमंत सोरेन ने शोक जताया। गुरुजी तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे।

Shibu Soren Death: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार, 4 अगस्त 2025 को सुबह 8:48 बजे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी से संबंधित समस्याओं सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन ने झारखंड की राजनीति में एक शून्य पैदा कर दिया है, क्योंकि वे न केवल एक नेता थे, बल्कि आदिवासी समुदाय और वंचित वर्गों के लिए एक प्रेरणा थे।

शोक संदेश: पीएम मोदी और हेमंत सोरेन की भावनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा,

"शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में ऊंचाइयों को छुआ। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए खासतौर से समर्पित थे। उनके निधन से दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।"

झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन पर भावुक संदेश साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,

"आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।"

स्वास्थ्य और अस्पताल में भर्ती

शिबू सोरेन का लंबे समय से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें 24 जून 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस समय हेमंत सोरेन ने बताया था कि उनके पिता की स्वास्थ्य समस्याओं की जांच चल रही है। नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती शिबू सोरेन किडनी की समस्या से जूझ रहे थे, साथ ही उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी थीं।

झारखंड आंदोलन के नायक

शिबू सोरेन, जिन्हें उनके प्रशंसक "दिशोम गुरुजी" के नाम से पुकारते थे, झारखंड राज्य के निर्माण में एक अग्रणी भूमिका निभाने वाले नेता थे। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके नेतृत्व में झारखंड को बिहार से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।

राजनीतिक सफर: तीन बार मुख्यमंत्री, आठ बार सांसद

शिबू सोरेन ने झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार कार्यकाल संभाला, हालांकि वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

  • 2005: पहला कार्यकाल केवल 10 दिन का रहा।

  • 2008: दूसरा कार्यकाल लगभग एक वर्ष तक चला।

  • 2010: तीसरा कार्यकाल कुछ महीनों तक रहा।

मुख्यमंत्री के अलावा, शिबू सोरेन का केंद्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे 1980 में पहली बार दुमका से लोकसभा सांसद चुने गए। 1986, 1989, 1991, 1996, 2004, 2009 और 2014 में भी वे दुमका से विजयी रहे। कुल मिलाकर, वे आठ बार लोकसभा सांसद रहे। 1998 में उन्हें बीजेपी के बाबूलाल मरांडी से हार का सामना करना पड़ा था, और 1999 में उनकी पत्नी भी दुमका सीट से चुनाव हार गई थीं। वर्तमान में, वे राज्यसभा सांसद थे।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में योगदान

शिबू सोरेन ने केंद्र में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। वे नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री रहे। उन्होंने तीन बार (2004, 2004-2005, और 2006) कोयला मंत्रालय का कार्यभार संभाला।

एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व

शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी समुदायों और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित था। उनकी सादगी, जमीनी जुड़ाव और संघर्षशील व्यक्तित्व ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया। उनके निधन से न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश ने एक समर्पित नेता खो दिया।