राजस्थान / गहलोत सरकार ने मंत्रियों के निशाने पर रहे जिलों के एसपी बदले, देर रात 15 IPS के तबादले

Zoom News : Jun 08, 2021, 06:37 AM
जयपुर। राज्य सरकार ने आज देर रात आदेश जारी कर 15 आईपीएस अफसरों को बदला है। इसमें सिरोही, नागौर और सवाईमाधोपुर के एसपी प्रमुख है। सिरोही और नागौर के एसपी पर आरोप लग रहे थे। सिरोही तक जांच टीम तक सरकार ने भेजी थी, जबकि नागौर में सांसद हनुमान बेनीवाल ने गंभीर आरोप लगाए थे। सवाईमाधोपुर एसपी कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के दामाद हैं जिन्हें अब राजसमंद भेजा गया है जबकि नागौर की एसपी श्वेता धनकड़ को जयपुर में यातायात का उपायुक्त लगाया गया है। सिरोही एसपी हिम्मत अभिलाष टांक को किशनगढ़ के पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र में भेज दिया गया है।

कार्मिक विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार राजेश सिंह सवाईमाधोपुर, राजेन्द्र प्रसाद गोयल को चित्तौडग़ढ़ एसपी बनाया गया है। अभी हाल में बहाल हुए पंकज कुमार चौधरी को कमाण्डेन्ट स्टेट डिजास्टर रेस्पोन्स फोर्स, जयपुर में नियुक्ति दी गई है। इसी प्रकार दीपक भार्गव को पुलिस अधीक्षक एसओजी जयपुर, भूवन भूषण यादव को पुलिस उपायुक्त पुलिस आयुक्तालय जोधपुर, प्रहलादसिंह किशनियां पुलिस उपायुक्त जयपुर शहर पूर्व पुलिस आयुक्तालय जयपुर, आर्दश सिंधूं पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़, अभिजित सिंह पुलिस अधीक्षक नागौर,चूनाराम जाट पुलिस अधीक्षक सीआईडी सीबी जयपुर, धर्मेन्द्र सिहं पुलिस अधीक्षक सिरोही, सुधीर चौधरी पुलिस अधीक्षक राजसमंद, हर्षवर्धन अग्रवाल पुलिस अधीक्षक सीआईडी सीबी जयपुर तथा राजऋषि राज वर्मा परिसहाय राज्यपाल जयपुर के पद पर नियुक्त किया गया है।

गहलोत सरकार के मंत्रियों के निशाने पर रहे कई जिलों के एसपी को पद से हटना पड़ा है। नागौर एसपी श्वेता धनखड़ का तबादला कर दिया गया है। सांसद हनुमान बेनीवाल ने नागौर एसपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। जनप्रतिनिधि अफसरों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे। मंत्रियों से भिड़ने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर अक्सर तबादले की गाज गिरती रही है। विवादों में रहने वाले अफसरों का तबादला कर दिया जाता है। नए घटनाक्रम में भी इससे इनकार नहीं किया जा रहा है क्योंकि गहलोत सरकार का अब तक का इतिहास यही रहा है। राज्य में एक साथ अफसरों के खिलाफ जनप्रतिनिधियों का बढ़ता विरोध सरकार के लिए चिन्ता का विषय है। राज्य की सियासत में ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। पहले भी विवाद होते रहे है, लेकिन हर विवाद में जनप्रतिनिधियों का पलड़ा भारी रहा है।

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