Rajasthan Elections / गहलोत ने आलाकमान के सामने रखीं ये 5 बातें- बताया टिकट पर कहां फंसा है पेंच?

Zoom News : Oct 21, 2023, 06:00 AM
Rajasthan Elections: राजस्थान में टिकट तय करने से पहले मचा घमासान अब तक खत्म नहीं हो सका है. हालांकि, आलाकमान के सख्त रवैये के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सफाई लेकर हर दर पर मामला सुलझाने की कोशिश में हैं. केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक के बाद गहलोत दो दिन दिल्ली में ही डेरा डाले रहे. इस बीच उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, स्क्रीनिंग कमेटी चेयरमैन गौरव गोगोई और कोषाध्यक्ष अजय माकन से अलग-अलग मुलाकात की.

सूत्रों की मानें तो जिन नेताओं से गहलोत ने अपना पक्ष रखा वो गांधी परिवार से चर्चा करके टिकट बंटवारे की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे देंगे. वैसे एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि आलाकमान के सामने कम से कम सिटिंग-गेटिंग फॉर्मूले को लेकर सचिन पायलट और अशोक गहलोत में मतभेद नहीं है.

आखिर दोनों सवाल उठाकर अपने खेमे के विधायकों का टिकट नहीं कटवाना चाहते इसलिए सियासी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलू के सर्वे के चलते टिकट बंटवारे की कमान आलाकमान को संभालनी पड़ी है. अब इंतजार है कि मध्य प्रदेश की 230 में से 229 टिकटों की घोषणा कर चुकी पार्टी राजस्थान की पहली सूची कब निकालती है और टिकट कितनों के कटते हैं.

गहलोत ने अपना पक्ष रखते हुए 5 प्रमुख बातें कहीं

आलाकमान टिकट किसी को तय करे, लेकिन राजस्थान में पार्टी की सरकार बने यही उनका लक्ष्य है.

सर्वे के मुताबिक, 50 फीसदी टिकट काटने से काफी बागी उम्मीदवार खड़े हो जाएंगे, जो पार्टी को ही सीटें हरवाने का काम करेंगे.

इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि यदि टिकट कटने पर कोई आजाद उम्मीदवार लड़ता भी है तो भी पार्टी उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हो. उसी स्थिति में टिकट कटे.

चुनाव के बाद सरकार बनाने में अगर टच एंड गो का मामला रहता है तो ज्यादा टिकट काटने से भविष्य में विधायक हमारा साथ देने में कतराएंगे.

50 फीसद के बजाय रणनीति के तहत जहां जरूरी लगे और जीत सुनिश्चित हो, वही टिकट काटे जाएं.

कांग्रेस ने अभी तक राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए किसी भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, क्योंकि पार्टी के भीतर और केंद्रीय नेतृत्व के बीच टकराव की खबरें हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने सभी मौजूदा मंत्रियों और शांति कुमार धारीवाल, महेश जोशी जैसे वफादारों को मैदान में उतारने के दबाव पर आपत्ति जताई गई है. पार्टी आलाकमान इन नेताओं से नाराज चल रहा है और गहलोत और सचिन पायलट विवाद पर पिछले साल कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.

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