Rajasthan Political Crisis / सरकार को लेकर गहलोत की बढ़ी टेंशन, बोले- मायावती को तो CBI का डर है

NavBharat Times : Aug 02, 2020, 08:40 AM
जयपुर। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार, कांग्रेस के भीतर की अदावत के बाद अब बाहर से आए विधायकों से भी मुसीबत में पड़ गई है। पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की सरकार गिराने की कथित साजिश और अब बसपा विधायकों के विलय पर बसपा सुप्रीमो मायावती के कानूनी दांव-पेंचों ने सीएम गहलोत की टेंशन बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री ने सरकार पर आए सियासी संकट के बीच माया की एंट्री पर कहा है, "मेरा मानना है कि मायावती जो बयानबाजी कर रही हैं, वह बीजेपी के इशारे पर कर रही हैं। बीजेपी जिस प्रकार से सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग का दुरुपयोग कर रही है ... डरा रही है, धमका रही है सबको ही.. आप देखो राजस्थान में क्या हो रहा है।" मुख्यमंत्री ने कहा, "मायावती भी डर रही हैं उससे, मजबूरी में वो बयान दे रही हैं।"

उन्होंने कहा, यही कारण है कि एक दिन पहले मायावती पर भड़ास निकालते हुए सीएम गहलोत ने यहां तक कह दिया कि बसपा प्रमुख मायावती बीजेपी के इशारे पर बयानबाजी कर रही हैं। गहलोत बोले, ".. दो तिहाई बहुमत से कोई पार्टी टूट सकती है, अलग पार्टी बन सकती है... विलय कर सकती है दूसरी पार्टी में। यहां बसपा छह के छह विधायक मिल गए हैं तो मायावती की जो शिकायत है, वह वाजिब नहीं है क्योंकि मायावती के दो विधायक अगर अलग होते तो शिकायत हो सकती थी।"



पहले बसपा से मजबूत हुए गहलोत, अब संकट में आए?

बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय से अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार को पिछले साल मजबूती मिली थी। तब उनके पास 101 विधायक थे और 6 और मिलने से 107 हो गए। लेकिन 200 सदस्यीय सदन में सत्तारूढ़ दल के पास फिलहाल संख्या बल कम है। सचिन पायलट गुट की बगावत के बाद विधानसभा में बहुमत का गणित बदल गया है। ऐसे में अगर बसपा के विधायकों का साथ छूटता है तो गहलोत सरकार संकट में आ सकती है।


ये है नया गणित जो बना या बिगाड़ सकता है सरकार

यदि बसपा और बीजेपी विधायक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से फैसला विलय के खिलाफ आता है तो सरकार खतरे में आ सकती है। इसे यूं समझा जा सकता है, कुल 200 विधायकों वाली विधानसभा में से 6 विधायकों के हटाए जाने पर कुल 194 सदस्य बचेंगे। ऐसे में बहुमत के लिए 98 विधायक जरूरी होंगे। जबकि गहलोत सरकार के 102 विधायकों का दावा सही मानें तो वह घटकर 96 ही रह जाएगा। इनमें 82 कांग्रेस विधायक, 10 निर्दलीय विधायक, 2 बीटीपी और एक-एक माकपा और आरएलडी से विधायक शामिल हैं। जबकि विपक्षी दल यानी बीजेपी के पास वर्तमान में 75 विधायक हैं और पायलट गुट के 22 विधायक शामिल करने पर बहुमत साबित करने लायक संख्या बल जुट सकता है। ऐसी स्थित में माकपा तटस्थ रहे तो प्रदेश सरकार का तख्ता पलट हो सकता है।


बीजेपी ने ऐसे फंसाया कानूनी पेंच

बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने अपनी याचिका में विधानसभाध्यक्ष के 24 जुलाई के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ उनकी शिकायत खारिज कर दी थी। इससे पहले भी उन्होंने हाईकोर्ट में इस मामले में अर्जी दायर की थी, जिसे निस्तारित कर दिया गया था। दरअसल, विधायक ने अपनी पहली याचिका में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उनकी बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करने की बात कही थी। इस पर कोर्ट ने जवाब तलब किया तो सामने आया कि विधायक की शिकायत पहले ही निस्तारित की जा चुकी है। ऐसे में कोर्ट में दायर याचिका को आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया गया।


कांग्रेस में विलय पर बसपा विधायकों को नोटिस

बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में विलय मामले में गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किये थे। बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विधायकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा के सचिव को भी नोटिस दिए हैं। इन सभी को कोर्ट ने नोटिस का जवाब 11 अगस्त तक दाखिल करने हैं।


नजरें 11 अगस्त को होने वाली सुनवाई पर टिकी

न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की पीठ ने गुरुवार को नोटिस जारी किरते हुए 11 अगस्त तक जवाब तलब किया है। बसपा और बीजेपी विधायक दिलावर की याचिकाओं पर अलग-अलग जारी नोटिस के बाद अगली सुनवायी अब 11 अगस्त को होगी। अब कांग्रेस, बीजेपी और बसपा दलों के साथ प्रदेश की जनता की नजरें कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।


इन 6 विधायकों ने बदली पार्टी

राजस्थान विधान सभा चुनाव- 2018 में बसपा के टिकट पर 6 विधायक जीत सदन पहुंचे थे। इनमें संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेन्द्र अवाना और राजेन्द्र गुढ़ा शामिल हैं। इन्होंने चुनाव तो बसपा के टिकट पर जीता था लेकिन 9 महीने बाद ही सितम्बर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

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