जयपुर / राज्यपाल कलराज मिश्र बोले- एकता ही हमारी संस्कृति की ताकत

Dainik Bhaskar : Oct 20, 2019, 04:14 PM
जयपुर | राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार सुबह राष्ट्रीय नीति के सांस्कृतिक आधार विषय पर जयपुर डायलॉग्स को सम्बोधित करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि एकता ही हमारी संस्कृति की ताकत है। 'विश्व हमारा है और हम विश्व के है' भारत ने विश्व को इस विशालता का अनुभव कराने में सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का सार यही है कि सम्पूर्ण राष्ट्र के लोग आपस में जुड़े हुए हैं। भारतीयों ने भौगोलिक एकता और भावानात्मक एकात्मकता से आपसी सद्भाव और सकारात्मकता का वातावरण बनाया है। इससे राष्ट्र की विश्व में पहचान बनी है।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि पूरे देश को एक शरीर की भांति मानेंगे तब ही संवेदनशीलता और एकाग्रता का भाव पैदा होगा तथा भेदभाव, जैसी बुराइयां दूर हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल की सोच का आधार सांस्कृतिक था। आपसी सहयोग व सद्भाव ही भारतीय संस्कृति की पहचान है। एक-दूसरे की कुशलता का ध्यान रखना, शौर्य बढ़ाना, ईर्ष्या मिटाना और प्रकृति का सम्मान करना भारतीयता है।

राज्यपाल ने कहा कि समाज में साथ चलने की सोच एकात्मकता है। हमें धैर्यवान, क्षमावान, चोरी न करने वाले, इंद्रियों पर नियन्त्रण रखने वाले, सात्विक प्रवृति, बुद्धिमान, विद्यावान, विवेकशील और क्रोध न करने वाला बनना होगा। इससे आत्मिक अनुशासन की अनुभूति होती है। इस अनुभूति से ही हम पाप और पुण्य का अंतर समझ सकते हैं। मिश्र ने कहा कि व्यक्ति का आचरण और व्यवहार नैतिकता है। नैतिकता के पालन से ही समाज आगे बढे़गा।

राज्यपाल ने कहा कि अठारह पुराणों में पुण्य और पाप दो ही वचन है। यदि हम परोपकार करेंगे तो पुण्य प्राप्त होगा और किसी को कष्ट देंगे तो पाप के भागीदार बनेंगे। मिश्र ने कहा कि हमे उतना ही उपभोग करना है, जितना हमें आवश्यक है। आवश्यकता से अधिक को समाज के लिए छोड़ देना चाहिए।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि भारत ने अपने आचार-विचार से विश्व के लोगों का मन जीता है। कण-कण में शंकर है अर्थात धरती पूज्य है। प्रकृति का सम्मान और विश्व बन्धुत्व की भावना हमारे राष्ट्र की पहचान है। लोक कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार किया जाना आवश्यक है। जनकल्याणकारी योजनाओं के स्वरूप पर चिंतन करना चाहिए। 

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