अमेरिका के अर्थशास्त्री डॉ. डेव ब्रैट ने H-1B वीजा प्रोग्राम में 'औद्योगिक पैमाने पर धोखाधड़ी' का गंभीर आरोप लगाया है, जिससे अमेरिकी आव्रजन नीति पर एक नई बहस छिड़ गई है। ब्रैट ने यह बयान स्टीव बैनन के 'वॉर रूम' पॉडकास्ट पर दिया, जिसने ट्रंप प्रशासन के तहत जॉब आधारित वीजा पर राजनीतिक बहस को फिर से तेज कर दिया है। उनके दावों ने भारत में जारी किए गए वीजा की संख्या और कांग्रेस द्वारा निर्धारित कानूनी सीमा के बीच एक बड़े अंतर की ओर इशारा किया है, जिससे अमेरिकी कामगारों के लिए संभावित खतरों पर चिंताएं बढ़ गई हैं।
डॉ. ब्रैट ने अपने दावों में कहा कि जहां संघीय कानून प्रतिवर्ष केवल 85,000 नए H-1B वीजा की सीमा तय करता है, वहीं एक भारतीय जिले को 2 और 2 लाख H-1B वीजा मिले, जो कानूनी सीमा से ढाई गुना ज्यादा है। उन्होंने इस प्रणाली को 'बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी' से घिरा हुआ बताया। ब्रैट ने इस मुद्दे को सीधे अमेरिकी कामगारों के लिए खतरा बताया, यह कहते हुए कि जब इनमें से कोई व्यक्ति आता है और दावा करता है कि वे कुशल हैं, पर वे नहीं होते हैं, यही धोखाधड़ी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे लोग अमेरिकी परिवारों की नौकरी और उनके गिरवी रखे घरों को छीन रहे हैं। ब्रैट ने यह भी दावा किया कि H-1B प्रोग्राम में चीन का। योगदान केवल 12% है, जिससे भारत पर अधिक ध्यान केंद्रित होता है।
चेन्नई वाणिज्य दूतावास का महत्वपूर्ण डेटा
अमेरिकी सरकारी डेटा के अनुसार, 2024 में चेन्नई वाणिज्य दूतावास ने अनुमानित। 2,20,000 H-1B वीजा और लगभग 1,40,000 आश्रित (H-4) वीजा जारी किए थे। यह आंकड़ा चेन्नई को विश्व स्तर पर सबसे व्यस्त H-1B कांसुलर पोस्ट में से एक बनाता है। यह केंद्र तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों से आने वाले। आवेदनों को संभालता है, जो भारत के IT उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि चेन्नई वाणिज्य दूतावास पर H-1B वीजा आवेदनों का भारी दबाव है, और यह डॉ. ब्रैट के दावों को एक संदर्भ प्रदान करता है कि कैसे एक ही क्षेत्र से इतनी बड़ी संख्या में वीजा जारी किए जा रहे हैं।
पूर्व अमेरिकी राजनयिक के चौंकाने वाले खुलासे
डॉ और ब्रैट के दावों को पूर्व अमेरिकी विदेश सेवा अधिकारी महवश सिद्दीकी के आरोपों से और बल मिला है, जिन्होंने 2005 और 2007 के बीच चेन्नई में सेवा की थी। सिद्दीकी ने एक रिकॉर्डेड इंटरव्यू में 'औद्योगिकीकृत धोखाधड़ी' का विस्तृत वर्णन। किया, जिसमें फर्जी डिग्रियां, नकली रोजगार दस्तावेज और अकुशल आवेदक शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 2005 से 2007 के बीच 'कम से कम 51,000 गैर-आप्रवासी वीजा को निरस्त किया, जिनमें से अधिकांश H-1B थे। ' सिद्दीकी ने यह भी दावा किया कि भारत से 80-90 प्रतिशत H-1B वीजा नकली थे, या तो फर्जी डिग्रियां थीं या जाली दस्तावेज, या ऐसे आवेदक जो वास्तव में कुशल नहीं थे। उनके अनुभव ने H-1B कार्यक्रम में व्याप्त धोखाधड़ी की गहराई को उजागर किया।
हैदराबाद में धोखाधड़ी का नेटवर्क
सिद्दीकी ने विशेष रूप से हैदराबाद में कार्यरत धोखाधड़ी नेटवर्क की ओर इशारा किया। उन्होंने बताया कि अमीरपेट में दुकानें खुलेआम आवेदकों को तैयार करती थीं और जाली प्रमाण पत्र बेचती थीं, जिससे अयोग्य व्यक्तियों को H-1B वीजा के लिए आवेदन करने में मदद मिलती थी। सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि आंतरिक रूप से जांच के प्रयासों का विरोध किया गया और। 'महत्वपूर्ण राजनीतिक दबाव' के कारण उनके धोखाधड़ी विरोधी प्रयास को 'भ्रष्ट ऑपरेशन' बताकर खारिज कर दिया गया। यह आरोप कार्यक्रम के भीतर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को रोकने में आने वाली चुनौतियों को दर्शाता है।
H-1B वीजा पर ट्रंप का बदलता रुख
ये गंभीर आरोप ऐसे समय में आए हैं जब व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर अधिक संतुलित रुख अपनाया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलीन लीविट ने कहा कि ट्रंप विदेशी कामगारों को। 'सिर्फ शुरुआत में' अनुमति देंगे, लेकिन अंततः उन्हें अमेरिकी कामगारों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। हालांकि, ट्रंप ने हाल ही में वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता का समर्थन करते हुए H-1B के लिए समर्थन का भी संकेत दिया था। यह बदलता रुख H-1B वीजा कार्यक्रम के भविष्य पर अनिश्चितता पैदा करता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर।
H-1B वीजा का महत्व और भारतीय भागीदारी
H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए, कुशल विदेशी पेशेवरों को काम पर रखने का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। यह वीजा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। वर्तमान में, 2024 में लगभग 70% अनुमोदन के साथ, भारतीय इस कार्यक्रम में प्रमुख हिस्सेदारी रखते हैं। यह कार्यक्रम भारत के आईटी पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने का एक प्रमुख अवसर प्रदान करता है, लेकिन धोखाधड़ी के आरोप। इस महत्वपूर्ण मार्ग की अखंडता पर सवाल उठाते हैं और भविष्य में इसके नियमों और कार्यान्वयन में संभावित परिवर्तनों का संकेत देते हैं।