हनुमान बेनीवाल बोले / अशोक गहलोत ही हैं मनगढ़ंत स्क्रिप्ट के राइटर, सचिन पायलट को बना रहे खलनायक

Zoom News : Jul 11, 2020, 09:14 PM

जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में विधायकों की खरीद-फरोख्त के कथित मामले को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (Rashtriya Loktantrik Party) के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने इस पूरी कहानी को मनगढ़ंत बताया है. प्रकरण को लेकर शनिवार को बेनीवाल ने एक के बाद एक 11 ट्वीट किए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) पर निशाना साधा. बेनीवाल ने कहा कि खरीद-फरोख्त की मनगढ़ंत पटकथा के निर्माता-निर्देशक खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं और डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) को खलनायक साबित करने की कोशिशें की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान में एसओजी द्वारा सरकार के निर्देश पर विधायकों की फोन टेपिंग करवाकर मुख्यमंत्री द्वारा मनगढ़त षड्यंत्र रचा जा रहा है. बेनीवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच गठजोड़ का भी आरोप लगाया है.


फोन टेपिंग अधिकारों का हनन


रालोपा संयोजक हनुमान बेनीवाल ने फोन टेपिंग पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी है विधायकों, सांसदों और राजनेताओं के फोन टेप करवाए जा रहे हैं. उन्होंने इसे संविधान द्वारा प्रदत्त निजता के अधिकारों का हनन बताया. बेनीवाल ने हाल ही में आईआईएएस और आईपीएस तबादला सूची का जिक्र करते हुए कहा कि जिन अफसरों ने यह मुकदमा दर्ज करने से इंकार किया उन्हें पद से हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रकरण में खुद सीएम पर सवालिया निशान खड़े होते हैं, क्योंकि उन्होंने 2 बार बसपा विधायकों को तोड़कर खुद की सरकार बचाई. बेनीवाल ने राज्यसभा चुनाव में सत्ता के बल पर भाजपा और रालोपा विधायकों को तोड़ने के प्रयास का आरोप भी सीएम पर लगाया.


एसओजी के मुकदमे पर सवाल


बेनीवाल ने एसओजी द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने लोकायुक्त के एक पुराने मामले का जिक्र करते हुए कहा कि लोकायुक्त जैसी संवैधानिक संस्था की सिफारिश के बावजूद 4 साल से एफआईआर दर्ज नहीं की गई, लेकिन एसओजी 2 व्यक्तियों की आपसी बातचीत के आधार पर मुकदमा दर्ज लेती है. बेनीवाल ने कहा कि लोकायुक्त की सिफारिश परोक्ष रूप से वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ और उनके करीबी सीपी कोठारी को रीको का निदेशक बनाने से जुड़ी हुई थी. लोकायुक्त द्वारा यह सिफारिश तत्कालीन मुख्यमंत्री को 2015 में की गई थी जिस पर आज तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. 

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