Coronavirus / क्या Covid-19 को रोकने के लिए Remdesivir बन गई है पहली कारगर दवा

कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनिया भर में कई दवाओं पर ट्रायल जारी है। कई देश अलग अलग दवाओं का कोविड-19 के मरीजों पर प्रयोग कर उनके असर का अवलोकन कर रहे हैं। इन्हीं में से एक, रेमेडिसविर नाम की दवा कोविड-19 के कारगर इलाज के लिए पहली बार सफल हुई है। रेमेडिसविर एंटीवायरल दवा के तौर पर मशहूर है, इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह पहली दवा है जिसने कोरोना वायरस के खिलाफ उपयुक्तता दिखाई है।

News18 : Apr 30, 2020, 07:40 PM
Coronavirus: कोरोना वायरस (Corona virus) के इलाज के लिए दुनिया भर में कई दवाओं पर ट्रायल जारी है। कई देश अलग अलग दवाओं का कोविड-19 के मरीजों पर प्रयोग कर उनके असर का अवलोकन कर रहे हैं। इन्हीं में से एक, रेमेडिसविर (Remdesivir) नाम की दवा कोविड-19 के कारगर इलाज के लिए पहली बार सफल हुई है।

कौन कर रहा है यह दावा

रेमेडिसविर (Remdesivir) एंटीवायरल दवा के तौर पर मशहूर है, इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह पहली दवा है जिसने कोरोना वायरस के खिलाफ उपयुक्तता दिखाई है। अमेरिका के नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज ने बुधवार को ही एक न्यूज रिलीज में इसकी जानकारी दी है।  इस जानकारी के मुताबिक क्लीनिकल ट्रायल्स के प्राथमिक नतीजों से पता चला है कि रेमेडिसविर (Remdesivir) ने 31 प्रतिशत मरीजों को तेजी से ठीक किया है।

कैसे नतीजे दिए दवा के ट्रायल ने

।इस ट्रायल में 1063 मरीजों को शामिल किया गया था जिनमें कोविड-19 के लक्षण मिले थे। इन मरीजों को दो समूह में बांटा गया था जिसमें एक समूह को इंट्रावीनस  इंजेक्शन से रेमेडिसविर (Remdesivir)  और एक को प्लेसिबो दी गई थी। रेमेडिसविर समूह ने 11 दिन में सुधार दिखा, यानि कि वे अस्पताल से छुट्टी देने लायक हो गए। जबकि प्लेसिबो ने 15 दिन में सुधार दिखाया। रेमेडिसविर (Remdesivir) समूह में 8 प्रतिशत लोग मारे गए, जबकि प्लेसिबो समूह में मरने वालों की संख्या 11 प्रतिशत थी।

क्यों इतनी तवज्जो दी जा रही है नतीजों को

संस्थान के निदेशक एंथोनी फॉसी ने कहा, “31 प्रतिशत  सुधार 100 प्रतिशत के मुकाबले कुछ भी नहीं लेकिन फिर भी यह बहुत अहम सबूत है। इससे साबित होता है कि दवाएं इस वायरस को रोक सकती है।”

क्या अतिउत्साह में तो नहीं हुई घोषणा

आमतौर पर शोधकर्ता इस तरह की घोषणा नहीं करते हैं। वे इस बात का इंतजार करते हैं कि दूसरे वैज्ञानिक उनके नतीजों की कितनी पुष्टि करते हैं। लेकिन इस मामले में टीम ने पहले ही घोषणा करने का फैसला किया है। फॉसी ने कहा, “जब आपके पास स्पष्ट प्रमाण हो कि दवा काम करती है तो आपकी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि आप तुरंत लोगों को बताएं जो प्लेसिबो समूह में हैं जिससे कि उन्हें भी यह दवा मिल सके।”

मानक दव हो सकती है ये

फॉसी ने कहा कि अब रेमेडिसविर (Remdesivir) दवा एक मानक दवा हो जाएगी जिसके आधार पर अन्य दवाओं की तुलना होगी। इस इलाज को अब इंफ्लेमेशन से बचाव वाले एंटीबॉडी के तौर पर शामिल किया जाएगा।

कैसे काम करती है यह दवा

रेमेडिसविर (Remdesivir) कोरोना वायरस के जेनिटक पदार्थ, उसके RNA के मूल तत्व की नकल बनाता है और जब वायरस उस RNA की कॉपी बनाता है तो रेमेडिसविर (Remdesivir) उसके RNA में चला जाता है। इससे वायरस का रेप्लिकेशन यानि उसकी संख्या बढ़ना बंद हो जाता है।

पिछले सभी तरह के टेस्ट पास किए हैं इस दवा ने

अध्ययन में रेमेडिसविर (Remdesivir) लैब डिश और जानवरों पर कारगर रही है। इसने हर टेस्ट को पास किया है। यह दवा वायरस की संख्या की बढ़त रोकने में कारगर है। इसके अलावा यह हमारे इम्यून सिस्टम पर भी विपरीत असर नहीं करती।

कुछ चुनौतियां हैं फिर भी 

इस दवा के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। इसे देने का समय और मात्रा इसके लिए जरूरी है इसे प्रशिक्षित विशेषज्ञ द्वारा ही मरीज को दिया जाए। वहीं शोधकर्ताओं को पूरा विश्वास है कि इस दवा के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होगा क्योंकि यह पांच दिन में अपना असर दिखाने लगती है।

तो क्या माना जाए

बेशक नतीजे उत्साहजनक हो सकते हैं, लेकिन अगर प्रक्रिया को देखा जाए तो अभी दूसरे शोधकर्ता इस जल्दबाजी भी कह सकते हैं। अब इस दवा का व्यापक और विभिन्न क्षेत्रों में ट्रायल होगा और फिर उसके नतीजों के बाद ही व्यापक स्तर पर मान्यता दी जा सकती है। फिर भी आज के हालात में यह खबर उम्मीद पैदा करने वाली तो है ही।