देश / IIT के प्रोफेसर का दावा- देश में फरवरी में रोजाना 8 लाख केस आएंगे, मार्च तक रहेगी तीसरी लहर

Zoom News : Jan 10, 2022, 02:58 PM

देश में कोरोना की तीसरी लहर का कहर जारी है। 9 जनवरी को 1.79 लाख नए केस सामने आए। विशेषज्ञों की मानें तो फरवरी की शुरुआत में देश में तीसरी लहर का पीक आ सकता है। तब रोजाना 4 से 8 लाख केस दर्ज हाेने की आशंका है। उनका कहना है कि दिल्ली और मुंबई में तीसरी लहर का पीक 15 जनवरी को आ सकता है।

यह दावा IIT कानपुर के मैथमैटिक्स और कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने किया है। वे कंप्यूटर मॉडल की मदद से बताते हैं कि महामारी आगे कैसा बर्ताव करने वाली है। उनका यह भी कहना है कि 15 मार्च के आसपास देश में तीसरी लहर पार होने की संभावना है।

मुंबई-दिल्ली में 5 दिन बाद आ जाएगा पीक

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि मुंबई में तीसरी लहर का पीक लगभग 15 जनवरी को आएगा। ठीक ऐसा ही दिल्ली में भी होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास पूरे देश के आंकड़े नहीं हैं, लेकिन शुरुआती कैलकुलेशन बताती है कि फरवरी की शुरुआत में देश में तीसरी लहर का पीक आ सकता है। हमारा अंदाजा है कि पीक पर रोजाना देश में 4 से 8 लाख केस दर्ज होंगे।

दिल्ली और मुंबई में जितनी तेजी से ग्राफ ऊपर उठा है, उतनी ही तेजी से इसके नीचे गिरने की संभावना है। पूरे देश में कोरोना के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। इस हिसाब से देश में एक महीने में पीक आ जाएगा और मार्च मिडिल तक देश में तीसरी लहर खत्म हो जाएगी या कम हो जाएगी।

कैसे काम करता है कैलकुलेशन मॉडल
प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि यह सच है कि महामारियां अपने आप में बहुत ही बेतरतीब होती हैं, लेकिन उसमें भी कुछ मानदंड होते हैं। सीधी बात है कि अगर संक्रमित व्यक्ति किसी असंक्रिमत व्यक्ति के संपर्क में आएगा तो वह संक्रमण आगे बढ़ाएगा। यानी, जितने ज्यादा लोग संक्रमित होंगे, उतना ज्यादा संक्रमण फैलेगा क्योंकि संक्रमण का ट्रांसफर हो रहा है। इसी के आधार पर हमारा मॉडल काम करता है।

भारतीय डेटा की क्वालिटी कई देशों से बेहतर
उन्होंने बताया कि अपने मॉडल पर काम करते समय हमने देखा कि भारतीय डेटा की क्वालिटी कई देशों के डेटा से बेहतर है। इसमें कई एडवांस्ड देश शामिल हैं। कई बार हम खुद की तारीफ नहीं करते हैं, लेकिन यह एक ऐसा मसला है जहां हम अपने स्वास्थ्य मंत्रालय की तारीफ कर सकते हैं कि उन्होंने बेहतर क्वालिटी का डेटा उपलब्ध कराया है।

पहली लहर में बहुत सख्त लॉकडाउन लगाया गया था, जिसकी वजह से संक्रमण की रफ्तार दोगुना कम हुई। दूसरी लहर के दौरान अलग-अलग राज्यों ने अलग रणनीति से काम किया। जिन राज्यों ने आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लगाया वे भी संक्रमण की रफ्तार कम सके। यानी, लॉकडाउन से मदद मिलती है।

मौतों का आंकड़ा सही नहीं
प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि कई स्टडी में सामने आया है कि देश में 40 से 50 लाख के बीच मौतें हुई हैं। इतनी मौतें रिकॉर्ड से गायब कैसे हो सकती हैं। हम पाथर युग में तो नहीं जी रहे हैं कि इतनी मौतों को कोई रिकॉर्ड ही न करे। कई राज्यों से रिपोर्ट आई हैं कि श्मशान घाट भर गए हैं, उनके बाहर लंबी कतारें लगी हैं, लेकिन यह सब सिर्फ एक हफ्ते या 10 दिन के अंदर हुआ- जब दूसरी लहर अपने चरम पर थी। जब इसे पूरी महामारी में औसत के तौर पर देखा जाएगा तो यह बहुत ज्यादा नहीं दिखेगा। इसलिए मेरे हिसाब से जितनी मौतें रिकॉर्ड की गई हैं, असल आंकड़ा उनका दस गुना ज्यादा होगा। 2 या 3 गुना ज्यादा होने की संभावना मानी जा सकती है।



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