दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हाल ही में संपन्न हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच हुई मुलाकात ने दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नई सुबह का संकेत दिया है। इस उच्च-स्तरीय बैठक ने भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान काफी तनावपूर्ण हो गए थे। मार्क कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की सरकार बनने के बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में गर्माहट महसूस की जा रही है, और जी-20 में हुई यह मुलाकात इसी सकारात्मक बदलाव का एक स्पष्ट प्रमाण है। यह बैठक न केवल प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसने। भविष्य में सहयोग के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार किया है।
संबंधों में नया अध्याय
कनाडा में नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग प्रभावित हुआ था। हालांकि, मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से, दोनों देशों ने अपने संबंधों को सुधारने और मजबूत करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करना शुरू कर दिया है। जी-20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और पीएम कार्नी के बीच हुई। गर्मजोशी भरी मुलाकात ने इस नए अध्याय की शुरुआत को रेखांकित किया है। इस मुलाकात ने न केवल दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत तालमेल स्थापित करने में मदद की, बल्कि इसने दोनों देशों के बीच विश्वास और समझ को फिर से स्थापित करने का मार्ग भी प्रशस्त किया है। यह स्पष्ट संकेत है कि दोनों राष्ट्र एक साझा भविष्य के लिए मिलकर काम करने को उत्सुक हैं, जहां लोकतांत्रिक मूल्य और आपसी सम्मान सर्वोपरि होंगे।
उच्चायुक्त की सक्रिय भूमिका
भारत और कनाडा के बीच संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों में भारतीय उच्चायुक्त दिनेश के. पटनायक ने एक महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाई है। हाल ही में, उच्चायुक्त पटनायक ने कनाडा की हाउस ऑफ कॉमन्स की स्पीकर फ्रांसिस स्कार्पालेगिया से मुलाकात की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच संसदीय संबंधों को आगे बढ़ाना था। चर्चा के दौरान, दोनों गणमान्य व्यक्तियों ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के महत्व पर जोर दिया, जो भारत और कनाडा दोनों की पहचान हैं और उन्होंने भविष्य में सहयोग के विभिन्न अवसरों पर भी उपयोगी विचार-विमर्श किया, जिसमें विधायी निकायों के बीच आदान-प्रदान कार्यक्रम और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना शामिल हो सकता है। इस तरह की उच्च-स्तरीय संसदीय बातचीत द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने और दोनों देशों के लोगों के बीच समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह दर्शाता है कि दोनों देश केवल कार्यकारी स्तर पर ही नहीं, बल्कि। विधायी स्तर पर भी अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
संसदीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत
भारत आगामी जनवरी माह में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेजबानी करने के लिए तैयार है, जो भारत-कनाडा संबंधों को और गति प्रदान करेगा और भारत कॉमनवेल्थ देशों के संसदों के स्पीकरों और पीठासीन अधिकारियों के 28वें सम्मेलन (CSPOC) की मेजबानी करेगा। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में कनाडा की हाउस ऑफ कॉमन्स की स्पीकर फ्रांसिस स्कार्पालेगिया के नेतृत्व में एक कनाडाई प्रतिनिधिमंडल भारत का दौरा करेगा। ओटावा में भारतीय उच्चायोग ने इस आगामी यात्रा के प्रति अपनी उत्सुकता व्यक्त की है, जैसा कि उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया और यह यात्रा दोनों देशों के बीच संसदीय कूटनीति को मजबूत करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगी। कनाडाई प्रतिनिधिमंडल का भारत में स्वागत न केवल दोनों देशों के बीच गहरे होते संबंधों का प्रतीक होगा, बल्कि यह साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रथाओं पर आधारित भविष्य के सहयोग के लिए नए रास्ते भी खोलेगा। यह सम्मेलन दोनों देशों के सांसदों को एक मंच पर लाने का काम करेगा, जहां वे महत्वपूर्ण वैश्विक और द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कर सकेंगे।
आव्रजन और जन-संबंधों पर चर्चा
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों के तहत, उच्चायुक्त दिनेश के और पटनायक ने कनाडा की आव्रजन, शरणार्थी एवं नागरिकता मंत्री लीना मेटलेज डियाब के साथ भी एक उपयोगी बैठक की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। चर्चा के महत्वपूर्ण बिंदुओं में आव्रजन प्रक्रियाएं, छात्रों से जुड़े मुद्दे और दोनों देशों की प्रणालियों की गहरी समझ विकसित करना शामिल था। भारत और कनाडा के बीच छात्रों का आदान-प्रदान और आव्रजन एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो दोनों देशों के बीच जन-संबंधों को मजबूत करता है। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि इन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जाए और छात्रों तथा प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान किया जाए। उच्चायोग ने X पर इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसका उद्देश्य लोगों-से-लोगों। के संबंधों को और मजबूत करना है, जो किसी भी मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते की नींव होते हैं। यह बैठक दर्शाती है कि दोनों देश न केवल राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर, बल्कि। सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी अपने संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पूर्व सरकार के दौरान चुनौतियाँ
यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत और कनाडा के संबंध काफी तनावपूर्ण रहे थे और विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों और कूटनीतिक दूरियों के कारण द्विपक्षीय सहयोग में ठहराव आ गया था, जिससे दोनों देशों के बीच विश्वास का स्तर कम हो गया था। यह वह समय था जब दोनों राष्ट्रों के बीच संवाद और सहयोग में कमी देखी गई, जिससे कई महत्वपूर्ण पहलें अधर में लटक गईं। हालांकि, मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से, एक नई शुरुआत की उम्मीद जगी है। उनके नेतृत्व में कनाडा ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने। की इच्छा व्यक्त की है, और शुरुआती संकेत बेहद सकारात्मक रहे हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि दोनों देश अपने ऐतिहासिक संबंधों के महत्व को समझते हैं और उन्हें फिर से मजबूत करने के लिए तैयार हैं, ताकि भविष्य में साझा हितों और चुनौतियों पर मिलकर काम किया जा सके।
भविष्य की संभावनाएं
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में आया यह सुधार दोनों देशों के लिए उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा करता है। जी-20 में पीएम मोदी और पीएम कार्नी की मुलाकात, भारतीय उच्चायुक्त की कनाडाई स्पीकर और आव्रजन मंत्री के साथ बैठकें, और आगामी संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा - ये सभी कदम एक मजबूत और अधिक सहयोगात्मक द्विपक्षीय संबंध की नींव रख रहे हैं। साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, आर्थिक हितों और लोगों-से-लोगों के मजबूत संबंधों के साथ, भारत और कनाडा के पास वैश्विक मंच पर मिलकर काम करने और एक-दूसरे के विकास में योगदान करने की अपार संभावनाएं हैं। यह नया अध्याय न केवल कूटनीतिक स्तर पर, बल्कि व्यापार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे विभिन्न। क्षेत्रों में भी सहयोग के नए द्वार खोलेगा, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को लाभ होगा।