Israel-Iran War / भारत ने लपका ईरान जंग में मौका, पड़ोसियों की प्लानिंग का निकाला तोड़

भारत ने ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को सुरक्षित निकालने में मदद का फैसला किया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ गठबंधन बना रहा है। दूतावास ने संपर्क के लिए टेलीफोन नंबर भी जारी किया है।

Israel-Iran War: भारत ने एक बार फिर क्षेत्रीय मानवीय नेतृत्व का परिचय देते हुए संकट में फंसे पड़ोसी देशों की मदद का हाथ बढ़ाया है। ईरान में बिगड़ते हालातों के बीच भारत ने 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत न सिर्फ अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का निर्णय लिया है, बल्कि नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी निकालने में निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है।

भारतीय दूतावास के अनुसार, यह फैसला नेपाल और श्रीलंका की सरकारों की सिफारिश पर लिया गया है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल संकट के समय खुद के नागरिकों की चिंता करता है, बल्कि अपने पड़ोसियों के साथ भी गहरी मित्रता निभाता है।

टेलीफोन हेल्पलाइन और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया

नई दिल्ली स्थित ईरानी भारतीय दूतावास ने एक विशेष टेलीफोन नंबर जारी किया है, जिसके जरिए श्रीलंकाई और नेपाली नागरिक संपर्क कर सकते हैं। इन नागरिकों की पहचान और वेरिफिकेशन के बाद उन्हें 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत सुरक्षित निकाला जाएगा।

नेपाल: प्रयास असफल, भारत बना संकटमोचक

नेपाल सरकार के अनुसार ईरान में कुल 16 नेपाली नागरिक फंसे हुए हैं, जिनमें से 5 पर अंतरराष्ट्रीय तस्करी के आरोप हैं और वे जेल में हैं। इजराइल में भी नेपाल के लगभग 5500 नागरिक हैं। नेपाल ने पहले इन नागरिकों को निकालने की कोशिश खुद से की थी, लेकिन जब सफलता नहीं मिली, तो भारत से सहायता मांगी गई। भारत ने बिना देरी के मदद की हामी भर दी।

श्रीलंका: संख्या अस्पष्ट, भारत ने फिर भी दिखाई तत्परता

हालांकि श्रीलंका में फंसे नागरिकों की सटीक संख्या अभी सामने नहीं आई है, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक हर साल करीब 12,000 श्रीलंकाई नागरिक ईरान की यात्रा करते हैं। ऐसे में भारत की ओर से मदद का प्रस्ताव श्रीलंका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

चीन की चाल पर भारत का करारा जवाब

इसी दौरान, चीन पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ एक रणनीतिक गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा था। यह गठजोड़ भारत की क्षेत्रीय स्थिति को कमजोर करने की एक कोशिश मानी जा रही थी। लेकिन भारत द्वारा नेपाल और श्रीलंका की समय पर की गई मदद ने इस गठबंधन को प्रभावहीन बना दिया है।

नेपाल जहां 82 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या वाला देश है, वहीं श्रीलंका के साथ भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध गहरे रहे हैं। चीन इन दोनों देशों में अपनी राजनीतिक और आर्थिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है, लेकिन भारत की यह सक्रिय भूमिका उस प्रभाव को संतुलित करती दिख रही है।