Business News / भारत को हो सकता है 2.50 लाख करोड़ का नुकसान- लाल सागर संकट का परिणाम

Zoom News : Jan 09, 2024, 08:51 AM
Business News: लाल सागर संकट सिर्फ अमेरिकी और यूरोपीय देशों के लिए परेशानी का सबब नहीं है बल्कि भारत के लिए भी काफी सिरदर्द बन गया है. मौजूदा वित्त वर्ष में भारत को अपने कुल निर्यात में लगभग 30 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.50 लाख करोड़ रुपए की कमी देखने को मिल सकती है. वास्तव में लाल सागर में कार्गो शिप्स पर खतरे के कारण कंटेनर शिपिंग रेट्स में इजाफा हो गया है. एक्सपोर्टर्स ने अपनी शिपमेंट रोकना शुरू कर दिया है.

नई दिल्ली स्थित थिंकटैंक, विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली द्वारा किए गए प्रारंभिक मूल्यांकन का मतलब है कि पिछले वित्तीय वर्ष के कुल 451 बिलियन डॉलर के आधार पर, भारतीय निर्यात में 6.7 फीसदी की गिरावट होगी. थिंकटैंक के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि लाल सागर में संकट वास्तव में भारत के व्यापार को प्रभावित करेगा और इसमें और भी कमी देखने को मिल सकती है. सरकार ने भारतीय निर्यात पर लाल सागर संकट के प्रभाव पर कोई आधिकारिक अनुमान जारी नहीं किया है.

कितना कम हुआ शिपमेंट

दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रोकर की यूनिट क्लार्कसन रिसर्च सर्विसेज लिमिटेड के अनुसार, स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों की संख्या दिसंबर की पहली छमाही के औसत की तुलना में लगभग 44 फीसदी कम है. उन्होंने कहा कि 3 जनवरी तक के सप्ताह में लगभग 2.5 मिलियन ग्रॉस टन के कंबाइंड टन भार वाले जहाज गुजरे, जबकि पिछले महीने की शुरुआत में लगभग 4 मिलियन टन थे. यमन के ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों ने हाल के हफ्तों में लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों को मिसाइलों से निशाना बनाया है. हूतियों का कहना है कि वे उन सभी जहाजों का पीछा कर रहे हैं जिनका इजराइल से संबंध है.

सरकर कर रही है चर्चा

भारत के लिए, लाल सागर यूरोप, अमेरिका के पूर्वी तट, मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी देशों के लिए शिपिंग का एक प्रमुख मार्ग है. मामले से परिचित दो अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मार्ग से होने वाले व्यापार की सुरक्षा के तरीके खोजने के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशंस काउंसिल्स के साथ चर्चा कर रही है. पिछले हफ्ते, भारत ने अरब सागर में एक वॉरशिप भेजा था जहां लाइबेरिया के झंडे वाले जहाज ने कहा था कि उसे सोमालिया के तट के पास अपहरण कर लिया गया था. भारतीय नौसेना ने कहा कि उसने जहाज को “सफलतापूर्वक बचा लिया”.

शिपमेंट फ्रेट में जबरदस्त इजाफा

भारत के व्यापार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय के अनुसार, खतरों ने भारतीय निर्यातकों को लाल सागर के माध्यम से जाने वाले लगभग 25 फीसदी आउटबाउंड शिपमेंट को रोकने के लिए मजबूर कर दिया है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में, खरीदार और निर्यातक दोनों बढ़ते माल ढुलाई शुल्क को रीनेगोशिएट करने के लिए कांट्रैक्ट्स पर फिर से बातचीत कर रहे हैं. कार्गो बुकिंग और पेमेंट प्लेटफॉर्म Freightos.com के अनुसार एशिया से उत्तरी यूरोप तक 40 फुट के कंटेनर में माल भेजने का स्पॉट रेट अब 4,000 डॉलर से ऊपर है, जो दिसंबर के मिड में डायवर्जन शुरू होने से ठीक पहले की तुलना में 173 फीसदी अधिक है. एशिया से उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट तक 40 फुट के कंटेनर के लिए दरें 55 फीसदी बढ़कर 3,900 डॉलर हो गया हैं.

बढ़ सकती है महंगाई

भारत आमतौर पर लाल सागर मार्ग का उपयोग करके पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स, अनाज और कैमिकल्स सहित विभिन्न प्रकार के सामानों का निर्यात करता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में निर्यात पहले से ही अप्रैल से नवंबर की अवधि में एक साल पहले की तुलना में 6.5 फीसदी की गिरावट के साथ बढ़ रहा है. एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने 22 दिसंबर को प्रकाशित एक नोट में लिखा, लाल सागर में व्यवधान भारत के तेल और ऑटो सेक्टर्स के मार्जिन को प्रभावित कर सकता है. लेकिन बड़ी चिंता महंगाई हो सकती है, जो केंद्रीय स्तर से ऊपर है. 2019 के अंत से बैंक का कंफर्ट जोन 4 फीसदी है.

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER