देश / भविष्य के युद्ध की तैयारी कर रही भारतीय सेना, जवानों को रोबोटिक्स और लेजर की ट्रेनिंग

AMAR UJALA : Aug 08, 2020, 01:29 PM
नई दिल्ली | चीन के साथ सीमा पर तनातनी और पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को देखते हुए भारतीय सेना अब एक कदम आगे बढ़ाने को तैयार है। अपने दुश्मनों को नाकों चने चबवाने के लिए भारत मां के वीर सपूत अब उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करेंगे। ड्रैगन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारतीय से|ना बम-बंदूक-टैंक वाली अब पारंपरिक युद्ध तकनीकों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, माइक्रो सैटेलाइट्स, लेजर, रोबोटिक्स जैसे भविष्य की युद्ध रणनीतियों पर भी आगे बढ़ रही है। 

अत्याधुनिक तकनीकों पर अध्ययन

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो हिंदुस्तान की फौज अब जिन तकनीकों पर स्टडी करने वाली है, उनमें ड्रोन स्वार्म से लेकर एल्गोरिद्मिक वॉरफेयर तक शामिल हैं। इस स्टडी का मकसद आर्मी को 'नॉन-काइनेटिक और नॉन-कॉम्बैट' वॉरफेयर के लिए तैयार करना भी है। चीन पहले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, पावर्ड लीदल ऑटोनॉमस वेपन सिस्टम बना चुका है। स्टडी में रोबोटिक्स, डायरेक्टेड-एनर्जी वेपंस, रिमोटली-पायलटेड एरियल सिस्टम्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), ड्रोन स्वार्म्स, बिग डेटा एनालिसिस, एल्गोरिद्मिक वॉरफेयर, ब्लॉकचेन तकनीक, वर्चुअल रिएलिटी, ऑगमेंटेंड रिएलिटी, हाइपरसॉनिक इनेबल्ड लॉन्ग रेंज प्रिंसिजन फायरिंग सिस्टम, बायोमैटीरियल इन्फ्यूज्ड इनविजिबिल्टी क्लॉक्स, क्वांटम कम्प्यूटिंग जैसी तकनीक पर रिसर्च होगी।

नई तकनीक से सबकुछ बदल जाएगा

2018 में भारतीय सेना के नए भूमि युद्ध सिद्धांत (land warfare doctrine) ने युद्ध लड़ने की संपूर्ण रणनीति को और पैना करने की ओर जोर दिया था, जिसमें एकीकृत युद्ध समूहों (IBGs) और विशाल साइबर-युद्ध क्षमताओं के निर्माण की बात कही गई थी। हर IBG में करीब पांच हजार सैनिक होंगे, जिनमें इन्फैंट्री, टैंक, एयर डिफेंस, सिग्नल्स और इंजीनियर्स के जवानों की नियुक्ति होगी। यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि पिछले साल वेस्टर्न और ईस्टर्न फ्रंट्स पर युद्धाभ्यास में IBGs को शामिल किया जा चुका है। इस अध्ययन से आंका जाएगा कि हर तकनीक पर कितनी लागत आएगी और कितना फायदा होगा।


SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER