विश्व / गगनयान का सपना साकार करने को घने जंगलों और बर्फीली सर्दी में जुटे भारतीय पायलट

AMAR UJALA : Feb 18, 2020, 07:44 AM
रूस | भारत के महत्वाकांक्षी मानव मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए वायुसेना के चार जांबाज पायलट रूस में हाड़ कंपाने वाली सर्दी और बर्फीले इलाके में गहन प्रशिक्षण ले रहे हैं। मॉस्को स्थित गागरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में हो रहे इस बेहद खुफिया प्रशिक्षण के दौरान ये पायलट समंदर के भीतर रहने और जंगलों में जोखिम लेने जैसे शारीरिक श्रम के अलावा उन्नत इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई कर रहे हैं। पांच वर्षों के प्रशिक्षण को एक साल में पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहे इन पायलटों को कई बार जान जोखिम में भी डालना पड़ रहा है।

रूस के टीवी चैनल रशिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिन-रात अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटे ये भारतीय पायलट रूसी यान सोयुज में रूसी भाषा में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इसके लिए उन्हें रूसी भाषा भी सिखाई जा रही है। मॉस्को के जंगलों में ये खूंखार जानवरों से लड़ने का गुर सीख रहे हैं तो अंतरिक्ष से लौटने के दौरान किसी गड़बड़ी की स्थिति में जिंदा रहने के तौर तरीके सिखाए जा रहे हैं। 

उन्हें तीन दिन और दो रातों के लिए जीवित रहने के लिए कड़ी ट्रेनिंग भी दी जाएगी। उन्हें खतरनाक दर्रों और सोचि के समंदर में भी कड़ा प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद इन पायलटों का हफ्तेभर की छुट्टी भी दी जाएगी ताकि वे ठीक हो सकें। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख पॉवेल व्लेसोव ने कहा, मुझे पूरा यकीन है कि भारतीय वायुसेना के पायलट ये अंतरिक्षयात्री इन चुनौतियों से जूझते हुए आगे बढ़ जाएंगे और सफलता हासिल करेंगे।

शाकाहारी खाना भी परोसा जा रहा

भारतीय पायलटों के लिए रूसी भाषा के साथ-साथ रूसी खाना भी चुनौती बना है। ट्रेनिंग सेंटर में पायलटों की पसंद के हिसाब से खाना बनाया जा रहा है। उन्हें शाकाहारी खाना भी परोसा जा रहा है। धार्मिक भावनाएं आहत न हों, इसलिए भोजन में बीफ को हटा लिया गया है।

...तो दुनिया का चौथा देश होगा भारत

गगनयान के लिए 2022 के शुरुआती माह का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। मिशन के तहत तीन सदस्यीय क्रू सात दिन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा पर जाएगा। अंतरिक्ष पर मानव मिशन भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। इसरो प्रमुख के सिवन ने एलान किया था कि 2022 तक गगनयान भेजा जा सकेगा। इससे पहले इसरो 2020 और 2021 में दो मानवरहित मिशन भेजेगा।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER