- भारत,
- 19-Jun-2025 12:59 PM IST
Iran-Israel War: मिडिल ईस्ट धीरे-धीरे एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है। इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग अब सातवें दिन में प्रवेश कर चुकी है, और हालात दिन-ब-दिन और तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच जारी इस घातक संघर्ष में कूटनीतिक प्रयास विफल साबित हो रहे हैं, जबकि जमीनी और हवाई मोर्चे पर हमले और जवाबी हमले तेज हो चुके हैं।
इजरायली एयर डिफेंस ने रोकी ईरानी मिसाइलें
ईरान ने बीते 24 घंटों में इजरायल पर दर्जनों मिसाइलें दागीं, जिन्हें इजरायली ‘आयरन डोम’ एयर डिफेंस सिस्टम ने सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया। हालांकि, कुछ मिसाइलें मध्य इजरायल तक पहुंचने में सफल रहीं, जिससे बीरशेबा और सोरोका अस्पताल को नुकसान हुआ। आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर इजरायली प्रशासन में चिंता बढ़ गई है।
इजरायल का पलटवार: सेंट्रीफ्यूज और मिसाइल यूनिट्स तबाह
जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने ईरान की कई रणनीतिक सैन्य इकाइयों पर सटीक हमले किए। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली वायुसेना ने ईरान में स्थित यूरोनियम सेंट्रीफ्यूज और मिसाइल निर्माण इकाइयों को निशाना बनाकर उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाया है। अब तक 639 ईरानी नागरिकों और सैन्यकर्मियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिससे ईरान में शोक और आक्रोश का माहौल है।
नेतन्याहू का तीखा बयान: ईरान को भुगतनी होगी कीमत
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “ईरान के आतंकवादी तानाशाह अयातुल्ला खामेनेई की सेना ने हमारे अस्पतालों और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया है। अब उन्हें इसकी पूरी कीमत चुकानी होगी।” सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दिए इस बयान के बाद इजरायल की जनता में भी आक्रोश की लहर दौड़ गई है।
अमेरिका की एंट्री: ट्रंप के आदेश का इंतजार
इस पूरे संघर्ष में अब अमेरिका की भूमिका भी निर्णायक होती दिख रही है। इजरायली प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बात कर उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है। नेतन्याहू ने बताया कि “हम अमेरिका के साथ निरंतर संपर्क में हैं और हमने अपने राज्य को दो प्रमुख खतरों से सुरक्षित करने के लिए यह सैन्य ऑपरेशन शुरू किया है।” सूत्रों के मुताबिक, अब अमेरिका की सीधी सैन्य भागीदारी संभव है और ट्रंप के अंतिम आदेश का इंतजार किया जा रहा है।
युद्ध का भविष्य और वैश्विक चिंता
इस क्षेत्रीय संघर्ष ने वैश्विक मंच पर भी चिंता बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई देशों ने युद्धविराम की अपील की है, लेकिन हालात तेजी से नियंत्रण से बाहर होते दिख रहे हैं। तेल के दामों में उछाल और व्यापारिक मार्गों पर खतरा भी बढ़ गया है।