इंडिया / जिनपिंग-मोदी की मुलाकात में कश्मीर और 370 पर बात नहीं होगी, सीमा और विकास पर होगी चर्चा

Dainik Bhaskar : Oct 10, 2019, 08:00 AM
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक बैठक के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शुक्रवार को भारत आएंगे।  तमिलनाडु के महाबलीपुरम में 11 और 12 अक्टूबर को दोनों नेताओं की मुलाकात होगी। इस दौरान कोई समझौता और एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं होंगे, लेकिन मोदी-जिनपिंग की ओर से साझा बयान जारी हो सकता है। दोनों नेता आतंकवाद, सीमा पर शांति कायम करने समेत कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे। पिछले साल अप्रैल में पहली अनौपचारिक बैठक के लिए मोदी चीन के वुहान गए थे। 

सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जिनपिंग के साथ चीन के विदेश मंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य भी भारत आएंगे। इस बैठक के लिए कोई एजेंडा तय नहीं है, लेकिन सीमा विवाद, आतंकवाद, आतंकी गुटों की आर्थिक मदद और उन्हें बढ़ावा देने के मुद्दे पर चर्चा की उम्मीद है।

मोदी और जिनपिंग की वन टू वन मीटिंग के अलावा प्रतिनिधिमंडल की वार्ता होगी। इस दौरान दोनों नेता अगली विशेष प्रतिनिधिस्तर की वार्ता की तारीख तय कर सकते हैं। भारत और चीन के सैनिक संयुक्त रूप से दिसंबर में आतंकवाद विरोधी अभ्यास में शामिल होंगे।

मोदी और जिनपिंग महाबलीपुरम के तीन प्रसिद्ध स्मारकों का दौरा करेंगे। करीब एक घंटे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे। पुरातत्त्वविद् एस राजावेलु के मुताबिक, महाबलीपुरम का चीन से करीब 2000 साल पुराना संबंध है। इस वजह से बैठक को ऐतिहासिक बल मिलेगा।

यात्रा से पहले चीन ने कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख बदला

जिनपिंग की भारत यात्रा से पहले चीन ने मंगलवार को कश्मीर मसले पर अपना रुख बदल लिया है। मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि इस मसले को द्विपक्षीय तरीके से हल किया जाना चाहिए। इससे पहले चीन ने कश्मीर मुद्दे पर में संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के मुताबिक हल निकाले जाने की बात कही थी। उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की यात्रा पर पहुंचे हैं।

'वुहान समिट के बाद भारत-चीन के रिश्तों को गति मिली'

भारत और चीन के बीच पहली अनौपचारिक बैठक पिछले साल वुहान में हुई थी। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी 27-28 अप्रैल को चीन गए थे। इस बैठक से पहले डोकलाम में सीमा विवाद के कारण भारत और चीन के सैनिक 73 दिन तक एक-दूसरे के सामने डटे रहे थे। शुआंग ने कहा कि भारत और चीन के बीच उच्चस्तरीय यात्राओं की परंपरा रही है। दोनों मुख्य विकासशील देश और उभरते हुए बाजार हैं। वुहान समिट के बाद हमारे द्विपक्षीय रिश्तों में गति आई और मतभेदों को दरकिनार कर सहयोग को बढ़ावा दिया है।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने का चीन ने विरोध किया था

कश्मीर से अनुच्छेद हटाए जाने के बाद 6 अगस्त को चीन ने भारत के इस कदम का िवरोध किया था। चीन ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर भी यह कहते हुए ऐतराज जाहिर किया था कि वहां के क्षेत्र पर बीजिंग का अधिकार है। जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन की यात्रा पर गए थे, तब चीन ने कहा था कि कश्मीर का मसला यूएन चार्टर और सिक्युरिटी काउंसिल के रिजोल्यूशन के मुताबिक पाक और भारत के बीच बातचीत से हल होना चाहिए।

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