लाल किला ब्लास्ट मामले की गहन जांच में सुरक्षा एजेंसियों को एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े डॉक्टर उमर मोहम्मद देश में एक अभूतपूर्व आतंकी हमले की साजिश रच रहा था, जो लाल किले पर हुए हमले से भी कहीं अधिक बड़ा हो सकता था और इस पूरी साजिश का पर्दाफाश पकड़े गए आतंकी मुजम्मिल के विस्तृत कबूलनामे से हुआ है, जिसने मॉड्यूल के मुखिया उमर की खौफनाक योजनाओं और उसके साथियों की भूमिकाओं को उजागर किया है।
मास्टरमाइंड डॉक्टर उमर मोहम्मद
जांच एजेंसियों की केस डायरी में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार, इस आतंकी साजिश का मास्टरमाइंड डॉक्टर उमर मोहम्मद था, जिसकी अब मौत हो चुकी है और उमर जैश-ए-मोहम्मद का एक प्रशिक्षित आतंकी था और उसे 9 से अधिक भाषाओं का ज्ञान था, जिनमें हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, फारसी, अरबी, चीनी और फ्रेंच शामिल थीं। मुजम्मिल के कबूलनामे के मुताबिक, उमर खुद को 'आमिर' कहता था, जिसका अर्थ 'राजकुमार', 'सेनापति' या 'शासक' होता है। वह खुद को एक शासक और लीडर मानता था, जो हमेशा दीन की बातें करता था और खुद से ज्यादा काबिल किसी को नहीं समझता था। उसकी बातों में तथ्य और शोध होते थे, जिससे कोई उसकी बात काट नहीं पाता था।
विस्फोटक बनाने की तकनीक और सामग्री
आतंकी मॉड्यूल TATP जैसे खतरनाक विस्फोटक बनाने की तैयारी में था। मुजम्मिल ने खुलासा किया कि विस्फोटक बनाने में एसीटोन (जो नेल पॉलिश रिमूवर में इस्तेमाल होता है) और पिसी हुई चीनी का इस्तेमाल किया गया था। डॉक्टर उमर खुद अल फलाह यूनिवर्सिटी के अपने कमरा नंबर 4 में यूरिया से विस्फोटक बनाने के लिए टेस्टिंग करता था। फरीदाबाद से बरामद विस्फोटक और इस ब्लास्ट का संबंध सीधे डॉक्टर उमर से था। उमर के फ्लैट में एक डीप फ्रीजर भी था, जिसका इस्तेमाल विस्फोटक के तापमान को नियंत्रित करने के लिए किया जाता था, और उसके सूटकेस में हमेशा बम बनाने का सामान मौजूद रहता था।
प्रेरणा और विचारधारा
डॉक्टर उमर मोहम्मद को इस खौफनाक साजिश के लिए कई घटनाओं ने प्रेरित किया और जुलाई 2023 की मेवात के नूंह में हुई हिंसा और मार्च 2023 के नासिर-जुनैद भिवानी हत्याकांड ने उसे उकसाया। मुजम्मिल ने कबूल किया कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही उसके दिल और दिमाग में सुरक्षा बलों के लिए बहुत ज्यादा नफरत थी। उमर हमेशा यह कहता था कि देश का माहौल खराब है, ध्रुवीकरण हो चुका है, और नरसंहार हो सकता है, इसलिए उन्हें तैयार रहना चाहिए। वह बाबरी मस्जिद की घटना से लेकर भारत और दूसरे मुल्कों में मुसलमानों पर हुए अत्याचार के। किस्से सुनाता था और जम्मू-कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों की मदद न करने की बातें करता था।
आतंकी मॉड्यूल और उसके सदस्य
इस बड़ी साजिश में पांच लोग शामिल थे: डॉक्टर उमर मोहम्मद (मुखिया), मुजम्मिल (कबूलनामा देने। वाला), डॉक्टर अदील (खजांची), डॉक्टर शाहीन (असिस्टेंट प्रोफेसर और फंड मुहैया कराने वाली) और मुफ्ती इरफान। मुजम्मिल ने बताया कि उमर इस समूह का मुखिया था क्योंकि वह सबसे तेज और सक्रिय था। उन्होंने एक चाइनीज भाषा में एक गुप्त ग्रुप बनाया हुआ था जिसका एडमिन उमर था और उमर ने महज 6 महीने में चीनी भाषा सीख ली थी और वे सभी इसी चाइनीज कोर ग्रुप में बात करते थे। उमर और अदील पहले से एक-दूसरे को जानते थे, जबकि मुजम्मिल की मुलाकात डॉक्टर शाहीन से अल फलाह में हुई थी।
विस्फोटकों की खरीद और तैयारी
मुजम्मिल के कबूलनामे के अनुसार, 2023 में उसने, उमर और अदील ने लाल रंग की इको स्पोर्ट्स कार से नूंह और मेवात से फर्टिलाइजर खरीदना शुरू किया था और वे धीरे-धीरे इसे अल फलाह में अपने-अपने कमरों और अन्य ठिकानों पर स्टोर कर रहे थे। चूंकि वे डॉक्टर थे, इसलिए अल फलाह में डॉक्टरों के वाहनों की चेकिंग नहीं होती थी, जिससे उन पर किसी का शक नहीं गया। उमर अपने कमरे में टेस्टिंग भी करता था और TATP तैयार कर रहा था और उनके पास एसीटोन भी था। उमर उस दौरान 'हैरिसन' किताब अपने पास रखता था, जिसे वह याद कर चुका था। उन्होंने विस्फोटक पूरी तरह से साल 2025 में तैयार कर लिया था।
योजना का विफल होना
इस मॉड्यूल के अंतर्राष्ट्रीय संबंध भी थे। मुजम्मिल और उमर अफगानिस्तान या सीरिया में शिफ्ट होना चाहते थे। इससे पहले, वे और उनका एक साथी तुर्की गए थे, जहां उन्होंने काफी ट्रेनिंग ली और कुछ हैंडलर्स से मिले, जिनके असली नाम उन्हें भी नहीं पता थे, बस एक कोड नेम 'उकासा' जानते थे और डॉक्टर शाहीन, जो सऊदी अरब में भी असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकी थीं, ने आतंकी मॉड्यूल के लिए अपने बैंक खाते से करीब 25 लाख रुपये मुहैया कराए थे।
विस्फोटक की एक बड़ी खेप सुरक्षाबलों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए जम्मू-कश्मीर ले जाने की योजना थी, लेकिन यह प्लान विफल हो गया। 15 अक्टूबर के आसपास जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन लोगों को पकड़ा, जिनमें एक प्रिंटिंग प्रेस वाला और दो पोस्टर लगाने वाले लड़के थे। पूछताछ में लड़कों ने मुफ्ती इरफान का नाम लिया और 18 अक्टूबर को उसे पकड़ लिया गया। मुफ्ती के मोबाइल फोन में भी सभी का एक ग्रुप बना हुआ था, जिसके बाद फरीदाबाद से मुजम्मिल की गिरफ्तारी हो गई और इस तरह इस बड़े आतंकी प्लान का पर्दाफाश हो गया और सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता से देश एक बड़े खतरे से बच गया।