Made In India / चीन का 'सामान' नहीं भारत का सम्‍मान जरूरी

Zee News : Jun 30, 2020, 09:55 PM
नई दिल्ली:  'हिंदी चीनी बाय बाय' की शुरू हुई मुहिम मुकाम की ओर पहुंचती दिख रही है। पूरे देश से इस मुहिम को मिले जनसमर्थन के बीच केंद्र सरकार ने टिकटॉक (Tiktok) सहित 59 चाइनीज ऐप पर बैन लगाकर बता दिया कि अब आत्म निर्भर भारत का सपना साकार होगा। अपने मोबाइल से चीनी ऐप डिलीट कर भारतीय चीन को सबक सिखाने के लिए उतर पड़े हैं। ऐप ही नहीं, दूसरे चाइनीज सामानों का भी बहिष्कार की मुहिम चल रही है।

देश के हर हिस्से से मांग उठी तो सरकार ने चीन की कंपनियों को दिए गए कॉन्ट्रैक्ट को रिव्यू करना शुरू कर दिया। वहीं सोमवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए 59 चाइनीज ऐप को भी प्रतिबंधित कर दिया। सरकार ने यह कार्रवाई देश की सुरक्षा के मद्देनजर की है। 

कोलकाता, दिल्ली, कानपुर, मुंबई और वाराणसी जैसे तमाम शहरों में लोग चाइनीज सामानों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये दरअसल चीन के प्रति वो भावना है जिसे देश की जनता सड़कों पर बयान कर रही है। एक राष्ट्र के तौर पर आप शायद सीमा पर जाकर तो चीन से नहीं लड़ सकते हैं। लेकिन ये एक अच्छी शुरुआत है। 

चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान हर दिन तेजी पकड़ रहा है। आपको बता दें कि पिछले साल ही चीन से करीब 5 लाख करोड़ रुपये का सामान भारत आया था और भारत से सिर्फ एक लाख 30 हजार करोड़ रुपये का सामान चीन गया। यानी भारत में चीन से आयात और निर्यात के बीच बहुत बड़ा अंतर है। भारत में सबसे ज्यादा 17 प्रतिशत आयात चीन से ही होता है, दूसरे स्थान पर अमेरिका है, जहां से चीन की तुलना में सिर्फ आधा आयात ही होता है।

चीनी कंपनियों का बीते साल का मुनाफा

चीन की कंपनियों ने पिछले वर्ष 1 लाख 40 हजार करोड़ रुपये के स्मार्टफोन, टेलीविजन, लैपटॉप और दूसरे गैजेट्स, भारत में बेचे हैं। भारत के मोबाइल फोन मार्केट में चाइनीज ब्रांड्स की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से भी कम है। टेलीविजन के मार्केट में चाइनीज कंपनियों की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत है, जबकि भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी अपने ही बाजार में केवल 9 प्रतिशत है।

सोशल मीडिया पर लोग निकाल रहे भड़ास

चीनी सामान को लेकर लोग अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर भी जाहिर कर रहे हैं। ट्विटर पर लोग #MadeinIndia के साथ चीन को सबक सिखाने के लिए चीनी सामान के बहिष्कार तो वहीं स्वदेशी अपनाने की बात कर रहे हैं।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER