उत्तर प्रदेश / लिव-इन में रह रही शादीशुदा महिला ने पति से मांगी सुरक्षा, एचसी ने इसे कहा 'अवैध संबंध'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही शादीशुदा महिला की पति से सुरक्षा देने की मांग वाली याचिका खारिज की है। कोर्ट ने कहा, "...उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश देना अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे अवैध संबंधों को हमारा सहमति देना लग सकता है।" बतौर कोर्ट, देश के सामाजिक ताने-बाने को दांव पर लगाकर लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरे व्यक्ति के साथ 'लिव इन' संबंध में रह रही एक शादीशुदा महिला की उसके पति से सुरक्षा की मांग वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी.  यह याचिका खारिज करते हुए जस्टिस के जे ठाकर और जस्टिस सुरेश चंद की पीठ ने कहा, “हम ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा देने के खिलाफ नहीं हैं जो अन्य समुदाय, जाति के व्यक्ति के साथ रहना चाहते हैं.”

पीठ ने कहा, “यदि याचिकाकर्ता अनीता से कानूनी रूप से विवाह करने वाला देवेंद्र कुमार अपनी पत्नी के साथी (दूसरे याचिकाकर्ता) के घर में जबरदस्ती घुसा तो यह आपराधिक विवाद के दायरे में आता है जिसके लिए अनीता पुलिस के पास जा सकती है.” अदालत ने कहा, “ हालांकि, हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पहले से विवाहित और कानून का पालन करने वाला कोई भी व्यक्ति अवैध संबंध के लिए इस अदालत से सुरक्षा की मांग नहीं कर सकता क्योंकि अवैध संबंध इस देश के सामाजिक ताने बाने के दायरे में नहीं आता.” अदालत ने अनीता और उसके साथी द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए उन पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया. अदालत ने किसी तरह की सुरक्षा भी देने से मना कर दिया क्योंकि यह एक तरह से ऐसे अवैध संबंधों को सहमति देने जैसा होगा.

महिला ने अपने पति पर लगाया था ये आरोप 

महिला ने आरोप लगाया था कि उसका पति उसे मारापीटा करता था जिसकी वजह से उसने उसे छोड़ दिया और अपने साथी के साथ रहना शुरू कर दिया. लेकिन हाल ही में उसका पति उसके साथी के घर में घुस गया और उनके शांतिपूर्ण जीवन में बाधा उत्पन्न की. अदालत ने अनीता के पति के साथ उसके मतभेदों के आरोपों पर कहा, “यदि अनीता का अपने पति से कोई मतभेद है तो उसे सबसे पहले अपने पति से अलग होने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए थी.”