जब से देश का वायदा बाजार खुला है, तब से मेटल्स की कीमतों में एक अभूतपूर्व कोहराम मचा हुआ दिखाई दे रहा है। यह स्थिति न केवल भारतीय बाजारों तक सीमित है, बल्कि इसका असर अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख वैश्विक बाजारों में भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दिसंबर पॉलिसी मीटिंग के मिनट्स। का सामने आना है, जिसने निवेशकों की धारणा को बुरी तरह प्रभावित किया है।
गिरावट का मुख्य कारण: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मिनट्स
वास्तव में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दिसंबर पॉलिसी मीटिंग्स के मिनट्स सामने आए हैं, जिसने पूरे मेटल मार्केट में भूचाल ला दिया है। इन मिनट्स से पता चला है कि फेड मेंबर्स में ब्याज दरों को लेकर काफी टकराव देखने को मिला और महंगाई कम ना होने के बावजूद, ब्याज दरों में कटौती का फैसला काफी जद्दोजहद के बाद लिया गया था, जो दर्शाता है कि फेड के भीतर भी इस मुद्दे पर एकमत नहीं था। इसके साथ ही, इस बात के भी स्पष्ट संकेत मिले हैं कि अगले साल 2026 में फेड रेट कट सिर्फ एक बार ही होगा, जो पहले की उम्मीदों से काफी कम है और इस खबर ने बाजार में निराशा का माहौल पैदा कर दिया है, क्योंकि निवेशक अधिक आक्रामक रेट कट की उम्मीद कर रहे थे।
ब्याज दरों पर संभावित 'पॉज बटन' और भू-राजनीतिक प्रभाव
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मिनट्स के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि जनवरी में होने वाली मीटिंग में फेड रिजर्व ब्याज दरों पर 'पॉज बटन' दबा सकता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि निकट भविष्य में ब्याज दरों में कोई और कटौती नहीं होगी, जिससे सोने और चांदी जैसे गैर-उपज वाले एसेट्स पर दबाव बढ़ गया है। उच्च ब्याज दरें इन धातुओं को कम आकर्षक बनाती हैं, क्योंकि निवेशक बॉन्ड जैसे विकल्पों में बेहतर रिटर्न की उम्मीद करते हैं। इसके अलावा, अमेरिका और यूक्रेन के बीच जारी शांति वार्ता भी मेटल मार्केट पर असर डाल रही है और यदि इस वार्ता से जल्द ही कोई सकारात्मक परिणाम सामने आता है, तो यह वैश्विक अनिश्चितता को कम करेगा, जिससे सोने जैसे सुरक्षित-निवेश माने जाने वाले एसेट्स की मांग में कमी आ सकती है। ये दोनों कारक मिलकर धातुओं की कीमतों को नीचे धकेल रहे हैं।
भारतीय वायदा बाजार में सोने की कीमत
देश के वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। कारोबारी सत्र के दौरान, सोना 1,048 रुपए की भारी गिरावट के साथ 1,35,618 रुपए प्रति दस ग्राम पर कारोबार करता हुआ दिखाई दिया। यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि एक दिन पहले सोने के दाम 1,36,666 रुपए प्रति दस ग्राम पर बंद हुए थे। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बाजार में अचानक और तीव्र बिकवाली का दबाव बना हुआ है, जिससे कीमतों में तेज गिरावट आई है और इस गिरावट ने उन निवेशकों को प्रभावित किया है जिन्होंने हाल ही में सोने में निवेश किया था।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का हाल
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी सोने की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। अमेरिकी वायदा बाजार कॉमेक्स में गोल्ड फ्यूचर के दाम 28 डॉलर प्रति ओंस गिरे हुए हैं और दाम 4,358. 50 डॉलर प्रति ओंस पर हैं और हालांकि, गोल्ड स्पॉट की कीमत अभी भी थोड़ी पॉजिटिव है, लेकिन उस पर भी दबाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। गोल्ड स्पॉट की कीमतें 5 डॉलर प्रति ओंस की तेजी के साथ 4,344 और 78 डॉलर प्रति ओंस पर हैं। यूरोप और ब्रिटेन के स्पॉट गोल्ड बाजारों में भी कुछ हद तक सकारात्मकता देखने को मिली है, लेकिन यह वैश्विक दबाव के सामने बहुत कम है। यूरोप में सोना 7 यूरो प्रति ओंस की तेजी के साथ 3,701. 19 यूरो प्रति ओंस पर कारोबार कर रहा है, जबकि ब्रिटेन में 4. 50 पाउंड प्रति ओंस की तेजी देखने को मिल रही है और कीमत 3,226. 28 पाउंड प्रति ओंस हैं और यह दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में एक मिश्रित लेकिन दबावपूर्ण रुझान है।
भारतीय वायदा बाजार में चांदी की भारी गिरावट
सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी भारतीय वायदा बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। देश के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर चांदी के दाम में कारोबारी सत्र। के दौरान करीब 19 हजार रुपए की चौंकाने वाली गिरावट देखने को मिली है। इस बड़ी गिरावट के बाद चांदी के दाम 2,32,228 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गए हैं। यह स्थिति तब आई है जब एक दिन पहले ही चांदी की कीमत में करीब 9 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली थी और कीमतें 2. 50 लाख रुपए के लेवल के पार चली गई थीं। यह उतार-चढ़ाव बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को दर्शाता है, जहां एक दिन पहले की तेजी अगले दिन भारी गिरावट में बदल गई। निवेशकों के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि चांदी में इतनी बड़ी गिरावट अप्रत्याशित थी।
वैश्विक बाजारों में चांदी की स्थिति
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी चांदी की कीमतें धराशाई होती हुई दिखाई दे रही हैं। अमेरिकी कॉमेक्स बाजार में चांदी फ्यूचर की कीमत में 7 फीसदी से ज्यादा की बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है और दाम 72 और 37 डॉलर प्रति ओंस पर आ गए हैं। सिल्वर स्पॉट की कीमतों में भी 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है और कीमत 72. 38 डॉलर प्रति ओंस पर देखने को मिल रही है। ब्रिटेन और यूरोप के स्पॉट मार्केट में भी चांदी के दाम में भारी कमी आई है और आंकड़ों के अनुसार, दोनों बाजारों में चांदी के दाम 5 फीसदी कम हुए हैं, जिसकी वजह से यूरोप में चांदी 61. 72 डॉलर प्रति ओंस और ब्रिटेन में 53. 82 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रही है। यह वैश्विक स्तर पर चांदी की मांग में कमी और बिकवाली के दबाव को दर्शाता है।
कॉपर भी हुआ क्रैश: भारत और अमेरिका में
सोने और चांदी के साथ-साथ कॉपर (तांबा) भी अमेरिका से लेकर भारत तक क्रैश होता हुआ दिखाई दे रहा है और न्यूयॉर्क के कॉमेक्स बाजार में कॉपर फ्यूचर के दाम 6. 75 डॉलर की गिरावट के साथ 571 और 40 डॉलर पर आ गए हैं। इंटरनेशनल मार्केट में कॉपर में यह एक बड़ी गिरावट मानी जा रही है,। जो औद्योगिक धातुओं की मांग पर वैश्विक आर्थिक चिंताओं के प्रभाव को दर्शाती है। वहीं दूसरी ओर, देश के वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर कॉपर की कीमत में कारोबारी सत्र के दौरान करीब 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली और दाम 1,261 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गए हैं। यह गिरावट तब आई है जब एक दिन पहले कॉपर की कीमत में तेजी देखने को मिली थी और दाम 1,337 और 35 रुपए पर बंद हुए थे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मौजूदा साल में कॉपर की कीमत में 65 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल चुका था, लेकिन अब यह भी वैश्विक दबाव का शिकार हो गया है।
बाजार पर व्यापक प्रभाव और आगे की राह
मेटल मार्केट में आई इस व्यापक गिरावट ने निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का सीधा असर इन महत्वपूर्ण कमोडिटीज पर पड़ रहा है। सोने, चांदी और कॉपर जैसी धातुओं की कीमतें वैश्विक आर्थिक। स्वास्थ्य और निवेशकों की धारणा का एक महत्वपूर्ण संकेतक होती हैं। वर्तमान गिरावट यह दर्शाती है कि बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं। आने वाले समय में फेड की अगली बैठक और अमेरिका-यूक्रेन शांति वार्ता के परिणामों पर बाजार की। नजर रहेगी, जो इन धातुओं की कीमतों की आगे की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।