Zoom News : Jun 15, 2021, 04:02 PM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है. अब इस वायरस का नया वैरिएंट मिला है. जिसे 'डेल्टा प्लस' या 'एवाई.1' नाम दिया गया है. यह कोरोना के 'डेल्टा' वैरिएंट से बना है, जिससे बहुत ज्यादा संक्रमण बढ़ा था. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह वैरिएंट भी फिर से कोहराम मचा सकता है. हालांकि वैज्ञानिक इस वायरस को लेकर बहुत डरे हुए नहीं हैं. उनका मानना है कि भारत में अभी इसे लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है. क्योंकि देश में अब भी इसके बेहद कम मामले हैं.काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा, 'अभी वायरस के इस प्रकार को लेकर भारत में चिंता की कोई बात नहीं है.' उन्होंने बताया कि टीके की पूरी खुराक ले चुके लोगों के रक्त प्लाज्मा से वायरस के इस प्रकार का परीक्षण करना होगा जिससे पता चलेगा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे पाता है या नहीं.दिल्ली स्थित सीएसआईआर-आईजीआईबी में वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने रविवार को ट्वीट किया, 'के417एन उत्परिवर्तन के कारण बी1.617.2 प्रकार बना है. इसे एवाई.1 के नाम से भी जाना जाता है.'उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन सार्स सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में मदद करता है. विनोद स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत में के417एन से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है. ये सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से सामने आए हैं.'स्कारिया ने यह भी कहा कि उत्परिवर्तन, वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता से भी संबंधित हो सकता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण 'एंटीबाडी कॉकटेल' के प्रयोग को झटका लगा है. लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी.भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में अतिथि शिक्षक विनीता बल ने कहा, 'यह नया प्रकार कितना संक्रामक है यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है.'उन्होंने यह भी कहा कि नए प्रकार से संक्रमित किसी व्यक्ति में रोगाणुओं से कोशिकाओं का बचाव करने वाले एंटीबाडी की गुणवत्ता और संख्या उत्परिवर्तन के कारण प्रभावित होने की आशंका नहीं है. सांस रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा अनुसंधानकर्ता अनुराग अग्रवाल ने बल के मत का समर्थन किया.'डेल्टा+' वैरिएंट कोरोना वायरस के 'डेल्टा' या 'बी1.617.2' प्रकार में बदलाव होने से बना है. 'डेल्टा' वैरिएंट की पहचान पहली बार भारत में हुई थी. माना जाता है कि यही वैरिएंट भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था.हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है, इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है. डेल्टा+ उस 'मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल' उपचार का रोधी है जिसे हाल ही में भारत में मंजूरी मिली है.