राजस्थान में नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने भजनलाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार जानबूझकर निकाय चुनावों को टाल रही है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने का प्रयास कर रही है. डोटासरा ने इस बात पर जोर दिया कि पाँच साल से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी. सरकार चुनाव नहीं करवा रही है, जिससे स्थानीय स्तर पर जनता की भागीदारी और प्रतिनिधित्व प्रभावित हो रहा है.
लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप
डोटासरा ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार का यह कदम सीधे तौर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने की दिशा में है. उन्होंने तर्क दिया कि स्थानीय निकाय चुनाव लोकतंत्र की नींव होते हैं, और इन्हें लंबे समय तक टालने से जनता को अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार नहीं मिल पाता और यह स्थिति शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों और जनहित के मुद्दों पर सीधे जनता की आवाज को दबाने का काम करती है, जिससे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही कम होती है.
राज्य निर्वाचन आयोग पर भी साधा निशाना
पीसीसी प्रमुख ने राज्य निर्वाचन आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए और उन्होंने याद दिलाया कि आयोग ने पहले भी चुनाव प्रक्रिया को रोकने का काम किया है, जिससे निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की भूमिका कमजोर हुई है. डोटासरा के अनुसार, आयोग की ऐसी कार्रवाइयाँ सरकार को अपनी मनमानी करने का अवसर देती हैं और स्थानीय स्वशासन की अवधारणा को चोट पहुँचाती हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन आयोग का कर्तव्य है कि वह समय पर चुनाव सुनिश्चित करे, न कि उन्हें टाले.
ब्यूरोक्रेसी के भरोसे सरकार चलाने का आरोप
डोटासरा ने आरोप लगाया कि भजनलाल सरकार शहरी और ग्रामीण निकायों को ब्यूरोक्रेसी के भरोसे चलाना चाहती है. उनका कहना था कि सरकार का उद्देश्य जनप्रतिनिधियों के दखल को सीमित करना है ताकि प्रशासनिक अधिकारी बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के निर्णय ले सकें. यह स्थिति स्थानीय स्तर पर जनता के प्रति जवाबदेही को कम करती है, क्योंकि अधिकारी सीधे जनता के प्रति नहीं, बल्कि सरकार के प्रति जवाबदेह होते हैं. इससे स्थानीय समस्याओं का समाधान भी प्रभावी ढंग से नहीं हो पाता.
ओबीसी आरक्षण और परिसीमन में अनियमितताएँ
कांग्रेस नेता ने सरकार पर ओबीसी आरक्षण के लिए बनाए गए. कमिश्नर को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध न कराने को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह सरकार की जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया को धीमा करने की रणनीति का हिस्सा है. इसके अलावा, डोटासरा ने वार्ड परिसीमन को लेकर भी कई अनियमितताओं का आरोप लगाया, जिससे चुनाव प्रक्रिया में देरी हो रही है और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं और इन अनियमितताओं से यह संदेह पैदा होता है कि सरकार अपनी सुविधा के अनुसार चुनावी क्षेत्रों को प्रभावित करना चाहती है.
सरकार के दो साल के कार्यकाल पर सवाल
डोटासरा ने अंता उपचुनाव के नतीजों का जिक्र करते हुए. कहा कि जनता ने सरकार को स्पष्ट संदेश दे दिया है. उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों की बयानबाजी तथा आंतरिक कलह के कारण सरकार का दो साल का कार्यकाल बेहद कमजोर रहा है. यह आंतरिक कलह और नेतृत्व की कमी सरकार के कामकाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है, जिससे जनता का विश्वास कम हो रहा है और अंता के परिणाम इस बात का प्रमाण हैं कि जनता सरकार के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है.
वसुंधरा राजे के मुद्दों का समर्थन
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा अंता में उठाए गए मुद्दों का जिक्र करते हुए डोटासरा ने कहा कि इन मुद्दों ने भी जनता की परेशानियों पर मुहर लगा दी है. यह दर्शाता है कि सरकार न केवल विपक्ष के निशाने पर है, बल्कि अपनी ही पार्टी के भीतर भी उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वसुंधरा राजे जैसे वरिष्ठ नेता द्वारा उठाए गए मुद्दे जनता की वास्तविक समस्याओं को उजागर करते हैं, जिन्हें सरकार नजरअंदाज कर रही है.
मुख्य सचिव के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा
मुख्य सचिव के मुद्दे पर डोटासरा ने कहा कि अभी नए मुख्य सचिव आए हैं,. और यह देखना होगा कि वे मंत्रियों के मनमुताबिक प्रशासन चला पाते हैं या नहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्य सचिव को मंत्रियों के 'ताबीज' की तरह इस्तेमाल किया गया, जिसका अर्थ है कि उन्हें राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया और उनकी प्रशासनिक स्वतंत्रता को सीमित किया गया. यह स्थिति प्रशासन की निष्पक्षता और स्वायत्तता पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जिससे सुशासन की उम्मीदें धूमिल होती हैं.
जनता देगी सरकार को जवाब
अंत में, डोटासरा ने दृढ़ता से कहा कि सरकार को अंततः निकाय चुनाव करवाने ही पड़ेंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि जनता इन देरी और कथित कुप्रशासन का जवाब चुनावों के माध्यम से देगी. यह बयान सरकार पर दबाव बनाने का एक प्रयास है ताकि वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करे और समय पर स्थानीय निकाय चुनाव करवाए, जिससे जनता को अपना प्रतिनिधित्व मिल सके और स्थानीय स्तर पर विकास कार्य सुचारू रूप से चल सकें.