दुनिया / पाकिस्तान सेना प्रमुख बाजवा को सऊदी में पीना पड़ा अपमान का घूंट

AajTak : Aug 20, 2020, 07:20 AM
पाकिस्तान ने उस सऊदी से पंगा ले लिया है जो मुश्किल वक्त में हमेशा साथ रहा है। बाद में पाकिस्तान को अहसास हुआ तो अपने सेना प्रमुख को मनाने सऊदी अरब भेजा लेकिन जनरल बाजवा की मुलाकात क्राउन प्रिंस सलमान से भी नहीं हो पाई। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की सऊदी के खिलाफ बयानबाजी के बाद बाजवा सऊदी को मनाने के लिए तीन दिन के दौरे पर पहुंचे हैं।पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि ये दौरा पहले से निर्धारित था। हालांकि, पाकिस्तान के मंत्री शेख रशीद ने कहा कि बाजवा कुछ छोटे-मोटे मतभेदों को सुलझाने गए हैं।

बाजवा के साथ आईएसआई के प्रमुख जनरल फैज हमीद भी सऊदी पहुंचे हैं। बाजवा ने सोमवार को सऊदी अरब के उप-रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान और सऊदी के सैन्य प्रमुख जनरल फयाद बिन हामिद अल रुवई से मिले। इससे पहले कहा जा रहा था कि बाजवा सऊदी क्राउन प्रिंस के अलावा सऊदी किंग से भी मुलाकात करेंगे लेकिन उनका दौरा सिर्फ रक्षा मंत्री और क्राउन प्रिंस के छोटे भाई से मुलाकात तक ही सीमित रह गया।

सऊदी पहले पाकिस्तान आर्मी चीफ बाजवा को सम्मानित भी करने वाला था। हालांकि, सऊदी ने इसे भी रद्द कर दिया। ऐसा लग रहा है कि सऊदी पाकिस्तान को माफ करने के मूड में नहीं है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर को लेकर सऊदी को धमकी दे डाली थी। कुरैशी ने कहा था कि सऊदी कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक बुलाए नहीं तो वह दूसरे मुस्लिम देशों के साथ अलग से बैठक करने के लिए मजबूर हो जाएगा।

पाकिस्तान को इसके बाद सऊदी अरब को एक अरब डॉलर का कर्ज वापस करना पड़ा। इसके अलावा, सऊदी पाकिस्तान को उधार में तेल देता था। सऊदी ने इस सुविधा को भी रोक दिया। फिलहाल तो पाकिस्तान ने चीन से मदद मांगकर सऊदी का पैसा वापस कर दिया है लेकिन वह सऊदी की नाराजगी मोल लेने की हालत में नहीं है।

सऊदी और पाकिस्तान के रिश्ते दशकों पुराने हैं। सऊदी हमेशा से पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा है। हालांकि, कश्मीर के मुद्दे को लेकर दोनों देशों के रिश्ते में दरार आ गई है। 80 के दशक में पाकिस्तान के पहले एफ-16 लड़ाकू विमानों की खेप के लिए सऊदी ने ही आर्थिक मदद की थी। दो साल पहले जब पाकिस्तान भुगतान संकट से जूझ रहा था तो सऊदी ने 6 अरब डॉलर की मदद की। इसमें 3।2 अरब डॉलर का तेल उधार देना भी शामिल था।

पाकिस्तान इससे पहले भी एक बार सऊदी को नाराज कर चुका है। कुछ वक्त पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने मलेशिया, तुर्की के साथ मिलकर मुस्लिम देशों की आवाज बनने के लिए कुआलालंपुर समिट में हिस्सा लेने की कोशिश की थी। सऊदी ने इसे अपने प्रभुत्व वाले इस्लामिक सहयोग संगठन के लिए चुनौती के तौर पर लिया और पाकिस्तान को इस समिट में हिस्सा लेने से रोक दिया था।

जहां, तुर्की और मलेशिया ने कश्मीर पर खुलकर पाकिस्तान के रुख का समर्थन किया था, वहीं सऊदी अरब ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बयान में कहा कि सऊदी अरब के भारत के साथ आर्थिक हित जुड़े हुए हैं इसलिए वह कश्मीर पर खामोश है।

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