Ishaq Dar / भारत से मार खा के होश खो बैठा पाक! अब इशाक डार ने जो कहा वो जानकर लोटपोट हो जाएंगे आप

जब-जब भारत का सब्र टूटा, पाकिस्तान की हालत पतली हुई। 1971 में बांग्लादेश का उदय इसका उदाहरण है। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को लाल रंग से डराने वाला जवाब दिया। फिर भी, पाकिस्तान बड़बोलेपन से बाज नहीं आता।

Ishaq Dar: इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत का सब्र टूटा है, तब-तब पाकिस्तान की हालत पतली हो गई है। 1971 में नए देश का उदय बांग्लादेश इसका जीता-जागता उदाहरण है। उस समय भारत ने न केवल अपनी सैन्य ताकत का परिचय दिया, बल्कि विश्व पटल पर एक नया भू-राजनीतिक परिदृश्य भी रचा। अब हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान भारतीय सेना ने एक बार फिर ऐसा रंग जमाया कि पाकिस्तान को लाल रंग से डर लगने लगा होगा। लेकिन पाकिस्तान ऐसा मुल्क है जो पिटने के बाद भी शेखी बघारता है। वहां की जनता से लेकर सैन्य अफसर और यहाँ तक कि नेता भी बड़बोलेपन में कोई कसर नहीं छोड़ते। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के ताजा बयानों ने फिर से सुर्खियां बटोरी हैं। आइए, उनके दावों और हकीकत पर एक नजर डालते हैं।

बयान पर बयान दे रहे हैं डार

भारत से मिली करारी शिकस्त के बाद अब इशाक डार बड़े-बड़े दावे करते नजर आ रहे हैं। अंदरखाने वे हकीकत से वाकिफ हैं कि उनकी स्थिति कितनी कमजोर है, लेकिन सार्वजनिक रूप से इसे कबूल करने को तैयार नहीं। डार ने हाल ही में दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत की ताजा कार्रवाइयों का “जैसे को तैसा से भी बढ़कर जवाब” दिया है। हालांकि, पाकिस्तान ने दुनिया के सामने कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। फिर भी उनके बयान ऐसे हैं, मानो उन्होंने जंग में फतह हासिल कर ली हो। यह वही पुराना ढर्रा है, जिसमें हार के बाद भी पाकिस्तान जोर-शोर से अपनी काल्पनिक जीत का ढोल पीटता है।

सिंधु जल संधि पर डार का रुख

इशाक डार ने सिंधु जल संधि को लेकर भी बयानबाजी की। उन्होंने कहा, “चार दिन की जंग के नतीजों ने साबित कर दिया है कि भारत न तो पाकिस्तान को डरा सकता है और न ही उस पर दबाव डाल सकता है।” इसके साथ ही डार ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। लेकिन हकीकत यह है कि जहां पाकिस्तान सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है, वहीं भारत ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। भारत ने संधि के प्रावधानों के तहत अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है, जिससे पाकिस्तान में बेचैनी साफ झलकती है।

शांति का राग और कश्मीर का जिक्र

डार ने एक बार फिर घिसा-पिटा कश्मीर राग अलापा। उन्होंने कहा, “दक्षिण एशिया में स्थायी शांति जम्मू-कश्मीर विवाद के स्थायी समाधान पर निर्भर है।” यह वही पुराना बयान है, जो हर पाकिस्तानी नेता दोहराता है। लेकिन इसके तुरंत बाद डार ने शांति की बात भी की। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है। यह दोहरा चरित्र पाकिस्तान की नीति का हिस्सा रहा है—एक तरफ शांति की बात, दूसरी तरफ आतंकवाद को बढ़ावा।

भारत की सैन्य ताकत का जवाब नहीं

इस बीच, अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाया। सात मई को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचों पर सटीक और प्रभावी हमले किए। भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया। जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहा। इसके बाद भारत ने और कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया, जिससे उसकी सैन्य क्षमता को गहरा धक्का लगा।