Gajendra Singh Rathore : Sep 02, 2024, 07:02 AM
Panchayati Raj Election : राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के एक साथ चुनाव कराना एक जटिल चुनौती बन गया है। यह मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझ गया है, और राज्य सरकार ने इस चुनौती का समाधान खोजने के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी बनाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
विधि विभाग के स्तर पर भी अलग से इस मुद्दे पर मंथन जारी है। यदि एक साथ चुनाव करवाने का निर्णय लिया जाता है, तो अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों को टालना पड़ेगा। सरकार इस पर कानूनी मार्ग तलाश रही है। पंचायतीराज विभाग और शहरी विकास व स्थानीय निकाय विभाग ने भी अपने-अपने स्तर पर कानूनी पहलुओं का गहन अध्ययन किया है।
मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में यह सुझाव दिया गया था कि पहले कैबिनेट सब कमेटी बनाकर विशेषज्ञों से राय लेना उचित रहेगा। इस प्रस्ताव को अब मुख्यमंत्री के स्तर पर विचाराधीन रखा गया है और कमेटी का गठन कभी भी हो सकता है। यह कमेटी एक साथ चुनाव करवाने के रास्ते में आ रही कानूनी बाधाओं का समाधान खोजेगी और विशेषज्ञों की राय के आधार पर अपनी सिफारिशें देगी।
राज्य में 213 शहरी निकाय हैं, जिनमें 11 नगर निगम, 33 नगर परिषद, और 169 नगर पालिकाएं शामिल हैं। इन सभी के चुनाव एक साथ कराने की योजना है। साथ ही, पंचायतीराज में 11,341 ग्राम पंचायतों, 352 पंचायत समितियों, और 33 जिला परिषदों के चुनाव भी एक साथ करवाए जाने का प्रस्ताव है। नए जिलों के गठन के बाद जिला परिषदों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है।
अब तक सरकार ने इस मामले पर कई दौर की चर्चा की है। कैबिनेट सब कमेटी एक साथ चुनाव कराने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार कर सकती है और इसे जनता की राय के लिए प्रस्तुत कर सकती है। जनता की राय और कानूनी सलाह के आधार पर कमेटी अपनी सिफारिशें तैयार करेगी।
अगले साल जनवरी में 6,975 ग्राम पंचायतों का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है, और अगर सभी चुनाव एक साथ कराने का निर्णय लिया जाता है, तो इन पंचायतों के चुनाव टल सकते हैं। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि इस विषय पर विभाग ने पहले ही होमवर्क कर लिया है, और इसे लागू करने के लिए राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम 1994 और राजस्थान नगरपालिका अधिनियम में संशोधन करना होगा। वहीं, कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि इस मामले पर कानूनी पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जा रहा है।
विधि विभाग के स्तर पर भी अलग से इस मुद्दे पर मंथन जारी है। यदि एक साथ चुनाव करवाने का निर्णय लिया जाता है, तो अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों को टालना पड़ेगा। सरकार इस पर कानूनी मार्ग तलाश रही है। पंचायतीराज विभाग और शहरी विकास व स्थानीय निकाय विभाग ने भी अपने-अपने स्तर पर कानूनी पहलुओं का गहन अध्ययन किया है।
मुख्य सचिव सुधांश पंत की अध्यक्षता में वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में यह सुझाव दिया गया था कि पहले कैबिनेट सब कमेटी बनाकर विशेषज्ञों से राय लेना उचित रहेगा। इस प्रस्ताव को अब मुख्यमंत्री के स्तर पर विचाराधीन रखा गया है और कमेटी का गठन कभी भी हो सकता है। यह कमेटी एक साथ चुनाव करवाने के रास्ते में आ रही कानूनी बाधाओं का समाधान खोजेगी और विशेषज्ञों की राय के आधार पर अपनी सिफारिशें देगी।
राज्य में 213 शहरी निकाय हैं, जिनमें 11 नगर निगम, 33 नगर परिषद, और 169 नगर पालिकाएं शामिल हैं। इन सभी के चुनाव एक साथ कराने की योजना है। साथ ही, पंचायतीराज में 11,341 ग्राम पंचायतों, 352 पंचायत समितियों, और 33 जिला परिषदों के चुनाव भी एक साथ करवाए जाने का प्रस्ताव है। नए जिलों के गठन के बाद जिला परिषदों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है।
अब तक सरकार ने इस मामले पर कई दौर की चर्चा की है। कैबिनेट सब कमेटी एक साथ चुनाव कराने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार कर सकती है और इसे जनता की राय के लिए प्रस्तुत कर सकती है। जनता की राय और कानूनी सलाह के आधार पर कमेटी अपनी सिफारिशें तैयार करेगी।
अगले साल जनवरी में 6,975 ग्राम पंचायतों का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है, और अगर सभी चुनाव एक साथ कराने का निर्णय लिया जाता है, तो इन पंचायतों के चुनाव टल सकते हैं। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि इस विषय पर विभाग ने पहले ही होमवर्क कर लिया है, और इसे लागू करने के लिए राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम 1994 और राजस्थान नगरपालिका अधिनियम में संशोधन करना होगा। वहीं, कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि इस मामले पर कानूनी पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जा रहा है।