देश / लेह में ऑक्सीजन कम, आसान नहीं जाकर तुरंत लौट आना, सब हैरत में पीएम मोदी ने ये कैसे किया?

AMAR UJALA : Jul 03, 2020, 04:55 PM
लेह | अब बात करते हैं उस दूसरी वजह की जिसे लेकर लोग सोशल मीडिया पर आश्चर्य तो व्यक्त कर ही रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी की क्षमताओं को देख दांतों तले उंगलियां भी दबा रहे हैं। दरअसल, लेह ऐसी जगहों में आता है जहां अत्यधिक ऊंचाई के कारण कोई व्यक्ति वहां के वातावरण के चलते तुरंत ढल नहीं पाता है। ऐसे में इतनी ऊंचाई पर जाना और फिर उसी दिन वहां से आना बगैर किसी समस्या के संभव नहीं है। 

प्रधानमंत्री के लेह पहुंचने की जानकारी तब सामने आई जब वह लेह एयरपोर्ट पर लैंड कर चुके थे। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित और देश के बाकी हिस्सों से एकदम अलग मौसम वाले इस इलाके में अत्यधिक ठंड पड़ती है। लेकिन, पूरी यात्रा के दौरान 69 वर्षीय प्रधानमंत्री के माथे पर कहीं शिकन दिखाई नहीं दी। वह लैंड करने के बाद सीधे निमू पहुंचे, जहां उन्होंने जवानों को संबोधित किया। दोपहर 2.30 बजे करीब वह वापसी के लिए लेह एयरपोर्ट पहुंच गए थे।

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने उठाया सवाल

भारतीय सेना के सेनानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने भी ट्विटर पर भी इस बात को उठाया। लेह को परिस्थिति अनुकूलन के मामले में पहले चरण का स्थान माना जाता है। इसका मतलब आप सीधे वहां लैंड तो कर सकते हैं लेकिन इसके बाद कुछ दिनों के लिए आपको अपनी रफ्तार धीमी रखनी होगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसी कठिन यात्रा पर ले जाना ठीक नहीं था।

सोशल मीडिया पर लोगों ने 'योग' को दिया श्रेय

ट्विटर पर हसनैन के इस ट्वीट पर एक यूजर ने लिखा कि, यही मेरे दिमाग में भी आया था! लेह में भी कई लोग जो दिल्ली से जाकर सीधे लैंड करते हैं, ऊंचाई में बदलाव आने के कारण उन्हें कुछ समस्याएं होने लगती हैं। यह कैसे संभव है कि प्रधानमंत्री बिना किसी अभ्यास के इस तरह की यात्रा कर पा रहे हैं। वहीं एक अन्य यूजर ने उनकी जीवनशैली का हवाला देते हुए लिखा कि शायद योग इसमें उनकी मदद करता है। 

निमू की भौगोलिक स्थिति, जहां पहुंचे पीएम 

  • निमू समुद्र तल से करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह इलाका बेहद कठिन माना जाता है। 
  • अत्यधिक ऊंचाई और कड़ाके की ठंड की वजह से यहां जीवन यापन करना बड़ूी चुनौती माना जाता है।
  • ज्यादा ऊंचाई पर स्थित होने के चलते और ऑक्सीजन की कमी से लोगों को सांस लेने में समस्या होती है।  
  • ऐसे स्थानों पर आने से पहले कम से कम एक या दो दिन के लिए खुद को अभ्यस्त करना जरूरी माना जाता है।
  • गर्मियों में यहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तो सर्दियों में माइनस 29 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
  • केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह से 35 किमी दूर लिकिर तहसील में स्थित है नीमू फॉरवर्ड पोस्ट। 
  • सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बहुत अहम है निमू। यहां से सेना चीन और पाक दोनों को साथ सकती है। 
  • यहां से लद्दाख, मुस्कोह, द्रास, करगिल, पाक, पैंगोंग झील, चुशुल आदि पर सीधी नजर रखी जा सकती है।

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