NEP Conclave 2020 / पीएम नरेन्द्र मोदी बोले 'नई शिक्षा नीति सिर्फ एक सर्कुलर नहीं बल्कि 21वीं सदी में बड़ा बदलाव लाने का अवसर'

Zoom News : Aug 07, 2020, 01:04 PM

नई दिल्ली । NEP Conclave 2020 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के कॉन्क्लेव (National Education Policy Conclave) को संबोधित करते हुए गुरुवार को कहा है कि 'आज का यह कॉन्क्लेव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) के लिहाज से काफी अहम है। इससे NEP को लेकर जानकारी स्पष्ट होगी और इसका कार्यान्वयन होगा। तीन-चार सालों के व्यापक मंथन के बाद इसे फाइनल किया गया है। यह एक सर्कुलर नहीं है। यह नीति सर्कुलर जारी करके, नॉटिफाई करके लागू नहीं होगी, सबको काम करना होगा, दृढ़शक्ति दिखानी होगी। यह नीति 21वीं सदी में बड़ा बदलाव लाने का एक बड़ा अवसर है और जो लोग भी इस कॉन्क्लेव को देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन्हें इससे जुड़ने के लिए निमंत्रण देता हूं. प्रत्येक का योगदान आवश्यक है. मेरा विश्वास है कि साथ मिलकर काम करने से नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के अवसर बनेंगे। देशभर में इसकी चर्चा हो रही है, अलग-अलग विचारधाराओं के लोग अपने विचार दे रहे हैं। इसपर स्वस्थ चर्चा हो रही है। इसका लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा।' गौरतलब है कि हाल ही में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में बड़े बदलाव किए गए हैं, जिसके बाद पीएम ने देश को इस मुद्दे पर संबोधित किया।

देशभर से नई नीति पर आई प्रतिक्रियाओं पर पीएम मोदी ने कहा कि नई नीति आने के बाद किसी भी वर्ग से किसी भी क्षेत्र से यह नहीं कहा गया कि झुकाव है, भेदभाव है। यह संकेत है कि लोग जो बरसों से बदलाव चाहते थे, वो देखने को मिले हैं। उन्होंने कार्यान्वयन को लेकर उठे सवालों पर कहा कि 'यह सवाल आना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा सुधार कागज पर तो कर दिया गया लेकिन इसे हकीकत में कैसे उतारा जाएगा। इसके लिए हमें जहां-जहां सुधार की जरूरत है, वहां मिलकर सुधार करना है और करना ही है। आप सब सीधे इससे जुड़े हैं, इसलिए आपकी भूमिका अहम है।'

बच्चों की साइंटिफिक तरीके से पढ़ाई पर जोर

पीएम ने कहा कि 'जहां तक इसपर पॉलिटिकल बिल की बात है, तो मैं पूरी तरह आपके साथ हूं. हर देश अपनी शिक्षा नीति में अपने लक्ष्य, अपने विचार और संस्कार के मिश्रण के साथ बनाता है। हमारी एनईपी इसी आधार पर बनाई गई है। इसका मकसद नए एजुकेशन सिस्टम के जरिए देश की वर्तमान और आगे की पीढ़ियों को सशक्त बनाना है।' उन्होंने कहा कि 'यही हमारी सोच है. यह नीति नए भारत की नींव तैयार करेगी। हमारे युवाओं को जैसी शिक्षा की जरूरत है, उसमें इसपर फोकस किया गया है. भारत के नागरिकों को सशक्त करने, ज्यादा से ज्यादा अवसरों के लिए उन्हें उपयुक्त बनाने पर पॉलिसी में जोर दिया गया है। जब भारत का छात्र, चाहे वो नर्सरी में हो या कॉलेज में, साइंटिफिक तरीके से पढ़ेगा, बदलती जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो देश के विकास में भूमिका निभाएगा।'

पीएम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत पर कहा कि 'देश की शिक्षा नीति में बहुत वक्त से कोई बदलाव नहीं हुआ था, जिसका परिणाम यह हुआ कि युवाओं में जिज्ञासा और कल्पनाशीलता खत्म हो गई और डॉक्टर, इंजीनियर बनने की भेड़चाल होने लगी। ऐसे में देश को इंट्रस्ट, एबिलिटी और डिमांड की मैपिंग के बिना हो़ड़ लगाने की प्रवृत्ति से बाहर निकालना था। इस पर विचार करना था कि हमारे समाज में क्रिटिकल और इनोविटव थिंकिंग कैसे विकसित हो। फिलॉसफी ऑफ एजुकेशन और परपज़ ऑफ एजुकेशन कैसे विकसित किया जाए।'

किन सवालों पर किया गया विचार?

पीएम ने कहा कि 'एनईपी को तैयार करने में टुकड़ों में सोचने के बजाय ्एक होलिस्टिक अप्रोच यानी संपूर्ण दृष्टिकोण की जरूरत थी, इसमें एनईपी सफल रही है। अब जब एनईपी मूर्त रूप ले चुकी है तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे सामने क्या सवाल खड़े थे. पहला सवाल यह था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था, हमारे युवाओं को क्यूरियॉसिटी और कमिटमेंट ड्रिवेन लाइफ के लिए प्रेरित करती है? दूसरा सवाल यह था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे युवाओं को सशक्त करती है? आप इसके जवाब से परिचित है। लेकिन मुझे संतोष है कि नई नीति में इन विचारों पर गंभीरता से विचार किया गया है।'

मातृभाषा में पढ़ाई की नीति का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि 'शुरुआती पढ़ाई और बोलने की भाषा एक ही होने से बच्चों की नींव मजबूत होगी, वहीं आगे की पढ़ाई के लिए आधार भी मजबूत होगा। अभी तक की शिक्षा व्यवस्था में 'What to Think' अब 'How to Think' पर फोकस है। आज इस दौर में इन्फॉर्मेशन और कंटेंट की बाढ़ है, हर प्रकार की जानकारी मोबाइल फोन पर अवेलेबल है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्या पढ़ना है, क्या जानकारी हासिल करना है। नई नीति में इसका ध्यान रखा गया है।'

कार्यान्वयन के लिए मैपिंग जरूरी

पीएम ने कहा कि अब इस नीति के कार्यान्वयन पर जोर देने जी जरूरत है। उन्होंने कहा, 'एनईपी पर लगातार डिस्कशन करिए, वेबिनार करिए, रणनीति बनाइए, मैपिंग करिए, रिसोर्स तय करिए। 

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के मुख्य अंश

  • पीएम मोदी ने आश्वासन दिया है कि नई शिक्षा नीति पूरी तरह से लागू होगी।

  • नई शिक्षा नीति में छात्रों के साथ-साथ नए शिक्षक तैयार करने पर भी जोर दिया जा रहा है। शिक्षकों की ट्रेनिंग पर भी फोकस किया जाएगा।
  • पीएम ने संबोधन के दौरान कहा, 'जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र शिक्षा और डिग्निटी ऑफ लेबर पर बहुत काम किया गया है।'
  • बदलते समय ने नए ग्लोबल सिस्टम की ओर जाने की जरूरत पर बल दिया है। ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक शिक्षा व्यवस्था को बदलने की जरूरत है। ऐसे में स्कूलों में 10+2 को खत्म कर 5+3+3+4 सिस्टम लाया गया है। यह इसी दिशा में उठाया गया कदम है। हमें विद्यार्थी को ग्लोबल सिटीजन बनाना है लेकिन उन्हें अपनी जड़ों से भी जोड़े रखना है।
  • अब युवाओं को जिंदगी भर किसी एक प्रोफेशन में टिके रहने की जरूरत नहीं है। 
  • मल्टीपल एंट्री एग्जिट सिस्टम से स्टूडेंट बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकता है। वह जॉब कर सकता है। वह अपने कोर्स से ब्रेक लेकर दूसरा कोर्स ज्वॉइन कर सकता है। हायर एजुकेशन को स्ट्रीम से मुक्त कर दिया गया है।
  • नई शिक्षा नीति में ढेर सारी किताबों की अनिवार्यता पर जोर कम किया गया है। 
  • नई शिक्षा नीति में what to think की बजाय how to think पर फोकस किया गया है। 
  • पीएम ने कहा, देश में ऊंच-नीच का भाव और मजदूरों के प्रति हीन भाव क्यों पैदा हुआ? आज बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ देश की हकीकत भी जाननी जरूरी है। भारत आज टैलेंट व टेक्नोलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है। टेक्नोलॉजी की वजह से गरीब व्यक्ति को पढ़ने का मौका मिल सकता है।
  • पीएम मोदी ने कहा कि ये खुशी की बात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का भेदभाव है, या किसी एक ओर झुकी हुई है। यह संकेत है कि लोग वर्षों से चली आ रही शिक्षा प्रणाली में बदलाव चाहते थे।
  • किसी संस्थान को मजबूत करने की बात होती है, तो ऑटोनॉमी पर चर्चा होती है। एक वर्ग कहता है कि सबकुछ सरकारी संस्थान से मिलना चाहिए, दूसरा कहता है सब कुछ ऑटोनॉमी के तहत मिलना चाहिए। लेकिन अच्छी क्वालिटी की शिक्षा का रास्ता इसके बीच में से निकलता है, जो संस्थान अच्छा काम करेगा उसे अधिक रिवॉर्ड मिलना चाहिए। शिक्षा नीति के जरिए देश को अच्छे छात्र, नागरिक देने का माध्यम बनना चाहिए। 
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 21वीं सदी के नए भारत की नींव रखेगी।
  • रिसर्च और एजुकेशन के गैप को खत्म करने में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अहम भूमिका निभाएगी।
  • संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इसे जमीन पर उतारने के लिए जो भी करना होगा, वो जल्द किया जाएगा। पीएम ने कहा कि आपको इसे लागू करने में जो भी मदद चाहिए, मैं आपके साथ हूं। शिक्षा नीति में देश के लक्ष्यों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भविष्य के लिए पीढ़ी को तैयार किया जा सके। ये नीति नए भारत की नींव रखेगी। पीएम ने कहा कि भारत को ताकतवर बनाने के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए अच्छी शिक्षा जरूरी है।
  • प्रधानमंत्री बोले कि आज जब नर्सरी का बच्चा भी नई तकनीक के बारे में पढ़ेगा, तो उसे भविष्य की तैयारी करने में आसानी मिलेगी। कई दशकों से शिक्षा नीति में बदलाव नहीं हुआ था, इसलिए समाज में भेड़चाल को प्रोत्साहन मिल रहा था। कभी डॉक्टर-इंजीनियर-वकील बनाने की होड़ लगी हुई थी। अब युवा क्रिएटिव विचारों को आगे बढ़ा सकेगा, अब सिर्फ पढ़ाई नहीं बल्कि वर्किंग कल्चर को डेवलेप किया गया है।
  • पीएम मोदी ने कहा कि हमारे सामने सवाल था कि क्या हमारी नीति युवाओं को अपने सपने पूरा करने का मौका देती है। क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था युवा को सक्षम बनाती है। नई शिक्षा नीति को बनाते समय इन सवालों पर गंभीरता से काम किया गया है। दुनिया में आज एक नई व्यवस्था खड़ी हो रही है, ऐसे में उसके हिसाब से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव जरूरी है।
  • बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने पर सहमति दी गई है, इससे उनकी नींव मजबूत होगी, आगे करियर बनाने के लिए मजबूत बेस मिलेगा। इससे बच्चों को सीखने में आसानी होगी। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 पर सम्मेलन

इस सम्‍मेलन का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा किया जा रहा है। सम्‍मेलन के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कवर किए गए शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि समग्र, बहु-विषयक एवं भविष्य की शिक्षा, कवालिटी रिसर्च और शिक्षा में बेहतर पहुंच के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इससे पहले पीएम मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा  था कि 'शुक्रवार 7 अगस्त सुबह 11 बजे मैं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों को लेकर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करूंगा। सम्मेलन में इस बात पर चर्चा होगी कि भारतीय शिक्षा क्षेत्र में किए गए बदलावों से युवाओं को कैसे फायदा पहुंचेगा।'

एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर कहा, ''आज माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में होने वाले परिवर्तनकारी सुधारों पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया है। इससे जिससे शैक्षिक जगत को माननीय प्रधान मंत्री का मार्गदर्शन मिला है। सम्मेलन में देश के एक हजार से भी अधिक विश्वविद्यालय, 45000 से अधिक डिग्री कॉलेज, IIT, IIIT, IIM, NIT सहित देश के लगभग 150 से भी अधिक राष्ट्रीय महत्व के संस्थान भाग लेंगे। यह सम्मेलन भारतीय शिक्षा क्षेत्र में होने वाले बदलावों को युवाओं के मध्य रखने का प्रयास है जिससे वे भविष्य में लाभान्वित होने वाले हैं।'

34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति    

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा कर देश की 34 साल पुरानी, 1986 में बनी शिक्षा नीति को बदल दिया। नई नीति का लक्ष्य भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में इस तरह के सुधार करना है कि देश दुनिया में ज्ञान की 'सुपरपॉवर' कहलाए। शिक्षा नीति के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी, बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को इसमें कुछ कम किया गया है, विधि और मेडिकल कॉलेजों के अलावा अन्य सभी विषयों की उच्च शिक्षा के एक एकल नियामक का प्रावधान है, साथ ही विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए समान प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है।

10+2 की जगह आया  5+3+3+4, एमफिल भी खत्म

पुरानी नीति के 10+2 (दसवीं कक्षा तक, फिर बारहवीं कक्षा तक) के ढांचे में बदलाव करते हुए नई नीति में 5+3+3+4 का ढांचा लागू किया गया है। इसके लिए आयु सीमा क्रमश: 3-8 साल, 8-11 साल, 11-14 साल और 14-18 साल तय की गई है। एमफिल खत्म कर दिया गया है और निजी तथा सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम बनाए गए हैं।

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