कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा चुनावों में 'वोट चोरी' का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया कि पिछले साल हुए चुनावों में लगभग 25 लाख वोटों की हेराफेरी की गई थी. राहुल गांधी ने यह सनसनीखेज दावा बिहार में मतदान से ठीक पहले किया, जिससे राज्य की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. उन्होंने बिहार के युवाओं को विशेष रूप से आगाह किया और कहा कि राज्य का भविष्य उनके हाथों में है, उन्हें अपने मताधिकार का प्रयोग सोच-समझकर करना चाहिए.
हरियाणा में 'वोट चोरी' का आरोप
राहुल गांधी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आक्रामक रुख अपनाते हुए हरियाणा में 'वोट चोरी' के मुद्दे को उठाया और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 25 लाख वोट चुराए गए थे और यह कांग्रेस की जीत को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत में बदलने की एक सुनियोजित साजिश थी. यह आरोप ऐसे समय में आया है जब बिहार में चुनाव होने वाले हैं, और राहुल गांधी ने इस मुद्दे को बिहार के मतदाताओं के सामने एक चेतावनी के रूप में पेश किया है. उनका मानना है कि हरियाणा में जो हुआ, वह बिहार में भी. दोहराया जा सकता है, इसलिए मतदाताओं को सतर्क रहने की आवश्यकता है.
कर्नाटक से बिहार तक 'वोट चोरी' का मुद्दा
हरियाणा में 'वोट चोरी' के आरोपों से पहले, राहुल गांधी ने कर्नाटक में भी इसी तरह के आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद, उन्होंने बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकाली थी, जिसका उद्देश्य मतदाताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना था. कांग्रेस के अनुसार, इस यात्रा में अच्छी खासी भीड़ जुटी और राहुल गांधी को लोगों का व्यापक समर्थन मिला. इस यात्रा में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे, जिससे महागठबंधन की एकजुटता का संदेश गया और इसके बाद, राहुल गांधी ने बिहार में अपनी चुनावी रैलियों में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, लेकिन महागठबंधन ने अपने प्रचार में 'वोट चोरी' और 'SIR' (सिस्टेमैटिक इरेगुलैरिटीज इन रिप्रेजेंटेशन) को उतना महत्व नहीं दिया.
महागठबंधन की रणनीति और आरजेडी की दूरी
महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान दिन में 18-18 रैलियां कीं. उनके भाषण मुख्य रूप से अपराध, विकास, रोजगार और महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित थे. उन्होंने पलायन, नौकरियों की कमी, अपराध, बदहाल सार्वजनिक सेवाओं और पेपर लीक जैसे स्थानीय और राज्य-विशिष्ट मुद्दों पर आक्रामक रुख अपनाया और आरजेडी से जुड़े कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी 'वोट चोरी' के मुद्दे पर अत्यधिक जोर दिए जाने से असहज महसूस कर रही थी, क्योंकि उनका मानना था कि यह स्थानीय मुद्दों से ध्यान भटका सकता है. ऐसे में, राहुल गांधी ने चुनाव आयोग में औपचारिक शिकायत दर्ज किए बिना ही 'SIR' और 'वोट चोरी' के आरोपों पर अड़े रहने का फैसला किया.
राहुल के दावों पर उठे सवाल
राहुल गांधी ने अपने आरोपों को पुख्ता करने के लिए एक दावा किया कि ब्राजील की एक मॉडल ने हरियाणा में 22 बार वोट डाले थे. उन्होंने इस मॉडल की तस्वीर दिखाकर कहा कि इस महिला. ने कभी स्वीटी तो कभी सीमा नाम से वोटिंग की. हालांकि, राहुल के इस दावे के बाद पिंकी नाम की एक महिला सामने आई, जिसने उनके दावे पर सवाल उठाए. पिंकी ने कहा कि राहुल गांधी ने ब्राजील की मॉडल के नाम पर जो 22 वोटर दिखाए, उनमें से एक वोट कार्ड उसका था और उसने चुनावों में वोट भी डाला था. पिंकी ने स्वीकार किया कि उसके वोट कार्ड पर गलती से किसी और की तस्वीर छप गई थी, लेकिन तस्वीर गलत होने से वोट कार्ड फर्जी नहीं हो सकता और इस घटना ने राहुल गांधी के आरोपों की विश्वसनीयता पर कुछ हद तक प्रश्नचिह्न लगा दिया.
नैरेटिव की लड़ाई और भावनात्मक अपील
राहुल गांधी ने बिहार में भी इसी तरह से चुनाव को प्रभावित किए जाने की आशंका व्यक्त की. उन्होंने आरोप लगाया कि 'वोट चोरी' के एक व्यवस्थित तरीके से बिहार चुनावों के दौरान भी लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया जाएगा और राहुल गांधी ने कहा कि यह इनकी व्यवस्था है, इस सिस्टम से इन्होंने हरियाणा का चुनाव चोरी किया है. सियासत में माहौल बनाने का एक बड़ा रोल होता है, और राहुल गांधी ने बिहार में मतदान से पहले 'वोट चोरी' का आरोप लगाकर यही किया है. उन्होंने महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की. राहुल ने हरियाणा का मुद्दा उठाकर बिहार के लोगों को यह बताने की कोशिश की कि जो वहां हुआ, वह उनके राज्य में भी हो सकता है और राहुल ने बिहार के एक गांव से आए लोगों को मंच पर भी बुलाया और यह साबित करने की कोशिश की कि वोटर लिस्ट से नाम काटने की कथित धांधली का समाधान नहीं निकला है. उन्होंने इस नैरेटिव का इस्तेमाल एक भावनात्मक हथियार के रूप में पेश किया, ताकि मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया जा सके और उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया जा सके, विशेषकर उन मुद्दों पर जो लोकतंत्र की निष्पक्षता से जुड़े हैं.