Rajasthan Politics / राजस्थान में धर्मांतरण कानून पर सियासी घमासान: जोगाराम पटेल के बयान पर डोटासरा का पलटवार

राजस्थान में नए धर्मांतरण कानून के लागू होने के बाद सियासी घमासान तेज हो गया है। कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर धर्मांतरण में लिप्त लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। डोटासरा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा पर अंता उपचुनाव में हार के बाद असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का पलटवार किया है।

राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी कानून के लागू होने के बाद से राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। यह कानून, जो बलपूर्वक या अनुचित प्रभाव से धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाया गया है, अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस का केंद्र बन गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है, जिसमें कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल प्रमुखता से शामिल हैं।

जोगाराम पटेल के गंभीर आरोप

भजनलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। पटेल का कहना है कि कांग्रेस शासन के दौरान धर्मांतरण को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था, और डोटासरा जैसे नेता ऐसे अपराधों में शामिल लोगों को आश्रय देते थे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति धर्मांतरण की हिमायत करेगा, तो उसे जेल में सड़ना पड़ेगा। पटेल ने यह भी कहा कि नए और कड़े धर्मांतरण कानून के आने से कांग्रेस की ऐसी मंशाओं पर पानी फिर गया है। उनका दावा है कि अब कोई भी व्यक्ति या संस्था किसी पर बलपूर्वक, धमकी देकर या अनुचित प्रभाव डालकर धर्मांतरण नहीं करा सकती, जो पहले कांग्रेस के शासनकाल में कथित तौर पर होता था।

लक्ष्मणगढ़ मामले का जिक्र

मंत्री जोगाराम पटेल ने डोटासरा के विधानसभा क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ में हाल ही में सामने आए एक मामले का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि नेछवा थाने के पाटोदा गांव में एक मुस्लिम युवक ने एक दलित लड़की को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का मामला सामने आया है। पटेल ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने इस घटना को धर्मांतरण से जोड़ते हुए आशंका व्यक्त की कि डोटासरा ने इस तरह के धर्मांतरण को खुली छूट दे रखी थी और यह आरोप सीधे तौर पर डोटासरा की कार्यप्रणाली और उनके क्षेत्र में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया है।

नए धर्मांतरण कानून के प्रावधान

जोगाराम पटेल ने नए धर्मांतरण कानून के कड़े प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला और उन्होंने बताया कि यह अपराध अब गैर-जमानती है, जिसका अर्थ है कि आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी। कानून के तहत, यदि कोई अपराध नाबालिग, दिव्यांग, महिला, अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के पीड़ित के खिलाफ किया जाता है, तो न्यूनतम दस वर्ष और अधिकतम बीस वर्ष की जेल का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पटेल ने यह भी बताया कि जहां अवैध धर्मांतरण हुआ होगा, उस संपत्ति को जांच के बाद जब्त या गिराया भी जा सकता है और उन्होंने कहा कि नए कानून के लागू होने के बाद लक्ष्मणगढ़ और कोटा में मुकदमे दर्ज हुए हैं और सरकार इस पर सख्त कार्रवाई करेगी।

डोटासरा का पलटवार और भाजपा पर आरोप

भाजपा के इन तीखे आरोपों के जवाब में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी जोरदार पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अंता उपचुनाव में हार के बाद भाजपा बौखला गई है और इसी बौखलाहट में ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगा रही है। डोटासरा का आरोप है कि भाजपा असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने और हिन्दू-मुस्लिम का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें मुख्यमंत्री ने अंता उपचुनाव को 'दो साल के काम का चुनाव' बताया था और डोटासरा ने कहा कि अब हार के बाद भाजपा मनगढ़ंत मुद्दे खड़े कर रही है। उन्होंने भाजपा नेताओं से धर्मांतरण पर उनके किसी बयान को दिखाने की चुनौती दी और कहा कि जब तक ऐसा कोई बयान नहीं दिखाया जाता, तब तक ऐसी 'बकवास' को कोई तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए। डोटासरा ने भाजपा पर लगातार उन्हें निशाना बनाने के लिए अनर्गल बयानबाजी करने का आरोप लगाया।

सियासी घमासान का भविष्य

राजस्थान में धर्मांतरण कानून को लेकर यह सियासी संग्राम आने वाले दिनों में और तेज होने की संभावना है। एक तरफ भाजपा इस कानून को अपनी सरकार की उपलब्धि और कांग्रेस के कथित तुष्टिकरण की राजनीति पर लगाम लगाने के रूप में पेश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस इसे भाजपा द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दों को भटकाने का प्रयास बता रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा राज्य की राजनीति में क्या। नया मोड़ लेता है और इसका आगामी चुनावों पर क्या प्रभाव पड़ता है। दोनों ही दल इस मुद्दे को अपनी-अपनी राजनीतिक विचारधारा के अनुरूप भुनाने का प्रयास कर रहे हैं।