- भारत,
- 28-Aug-2025 05:54 PM IST
SI Recruitment 2021: राजस्थान हाई कोर्ट ने गुरुवार को 2021 की सब-इंस्पेक्टर (एसआई) भर्ती परीक्षा को रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह भर्ती 859 पदों के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन पेपर लीक और नकल के गंभीर आरोपों के बाद इसे रद्द कर दिया गया। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से दूषित हो चुकी है और इसे जारी रखना उचित नहीं है।
पेपर लीक और नकल का खुलासा
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भर्ती का पेपर पूरे प्रदेश में फैल गया था। जांच में पाया गया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के छह सदस्य इस घोटाले में शामिल थे। इसके अलावा, कुख्यात ब्लूटूथ गैंग के पास भी पेपर पहुंचा था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी परिस्थितियों में भर्ती को वैध नहीं माना जा सकता।
जस्टिस जैन ने कहा, "सही और गलत अभ्यर्थियों की छंटनी करना असंभव है। कई अभ्यर्थियों ने ईमानदारी से परीक्षा दी, और उनके प्रति हमारी सहानुभूति है। लेकिन अगर पेपर लीक के जरिए एक भी अयोग्य व्यक्ति थानेदार बनता है, तो यह प्रदेश के कानून-व्यवस्था के लिए खतरनाक होगा।"
कोर्ट के निर्देश
हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि 2021 की भर्ती के 859 पदों को 2025 की नई भर्ती में शामिल किया जाए। साथ ही, 2021 की भर्ती में शामिल सभी अभ्यर्थियों को नई भर्ती में दोबारा आवेदन करने का अवसर दिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि RPSC के उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो इस घोटाले में शामिल पाए गए हैं।
RPSC सदस्यों पर टिप्पणी
याचिकाकर्ता के वकील हरेंद्र नील ने बताया कि कोर्ट ने RPSC के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा और अन्य पांच सदस्यों—रामूराम राईका, मंजू शर्मा, और इंटरव्यू के समय चेयरमैन समेत अन्य—की भूमिका पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, "घर का भेदी ही लंका ढहाता है, और यहां बाबूलाल कटारा ने पूरी लंका ढहा दी।" कोर्ट ने इस मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष प्रशासनिक कार्रवाई के लिए भेजा है।
नेताओं और युवाओं की प्रतिक्रियाएं
किरोड़ी लाल मीणा, कृषि मंत्री
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, "यह सच की जीत है। मेरे पास दस्तावेज थे, जिनके आधार पर 50% से ज्यादा अभ्यर्थी फर्जी तरीके से सिलेक्ट हुए थे। अगर ऐसे लोग पुलिस सेवा में शामिल होते, तो प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति भयावह होती।" उन्होंने कहा कि सरकार ने केवल 58 फर्जी अभ्यर्थियों को पकड़ा था, लेकिन हकीकत में यह संख्या कहीं ज्यादा थी।
हनुमान बेनीवाल, RLP सांसद
RLP सांसद हनुमान बेनीवाल, जो लंबे समय से इस भर्ती को रद्द करने की मांग कर रहे थे, ने फैसले पर खुशी जताई। उन्होंने समर्थकों के साथ जश्न मनाते हुए कहा, "कई बीजेपी नेता और अधिकारी इस भर्ती को बचाना चाहते थे। अब क्रेडिट लेने की होड़ मचेगी, लेकिन सभी को पता है कि कौन युवाओं के साथ खड़ा रहा। अगर फैसला इसके विपरीत आता, तो हम दिल्ली कूच करते।"
गोविंद सिंह डोटासरा, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस फैसले को सरकार की नाकामी करार दिया। उन्होंने कहा, "यह फैसला हाई कोर्ट ने लिया है, न कि सरकार ने। मुख्यमंत्री अब इसे डबल बेंच में चुनौती देंगे, क्योंकि उनकी प्राथमिकता युवाओं को न्याय देना नहीं है। यह सरकार निर्णय लेने में पूरी तरह विफल रही है।"
युवाओं का उत्साह
जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे युवाओं ने फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "चार साल की मेहनत रंग लाई। यह तानाशाही की हार और बेरोजगार युवाओं की जीत है।"
