भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कर्नाटक के कारवार नेवल बेस से भारतीय नौसेना की स्वदेशी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पर सवार होकर पश्चिमी समुद्री तट पर एक ऐतिहासिक समुद्री यात्रा की। यह यात्रा भारतीय नौसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है, जो देश। की रक्षा क्षमताओं और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के प्रति सर्वोच्च नेतृत्व के अटूट विश्वास को दर्शाती है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी राष्ट्रपति के साथ उपस्थित रहे, जो इस घटना की गंभीरता और महत्व को और बढ़ाता है।
एक ऐतिहासिक समुद्री यात्रा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह समुद्री यात्रा कई दृष्टियों से ऐतिहासिक मानी जा रही है। वह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी पर यात्रा करने वाली भारत की पहली राष्ट्रपति बन गई हैं, जो भारतीय नौसेना के लिए एक गर्व का क्षण है और इससे पहले, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पनडुब्बी पर यात्रा की थी, जिससे यह किसी भी राष्ट्रपति द्वारा की गई दूसरी पनडुब्बी यात्रा बन गई है। यह तथ्य इस यात्रा को और भी विशेष बनाता है, क्योंकि यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा नौसेना की पनडुब्बी क्षमताओं में विश्वास और सम्मान को प्रदर्शित करता है। यह यात्रा न केवल नौसेना के मनोबल को बढ़ाती है, बल्कि देश। की समुद्री सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।
आईएनएस वाघशीर: भारतीय नौसेना का गौरव
आईएनएस वाघशीर, प्रोजेक्ट-75 के तहत निर्मित कलवरी श्रेणी की अत्याधुनिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक आक्रमण पनडुब्बी है। यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमता का एक सशक्त प्रतीक है और 'आत्मनिर्भर भारत' तथा 'मेक इन इंडिया' पहल की सफलता का जीवंत उदाहरण है और इसका निर्माण भारत में ही किया गया है, जो देश की बढ़ती रक्षा निर्माण क्षमताओं और तकनीकी कौशल को दर्शाता है। यह पनडुब्बी न केवल भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमताओं को बढ़ाती है, बल्कि इसे क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करती है।
पनडुब्बी की अद्वितीय क्षमताएं
आईएनएस वाघशीर को विशेष रूप से समुद्र के भीतर गुप्त अभियान चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी स्टील्थ क्षमताएं इसे दुश्मन की निगरानी से बचने और महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम देने में मदद करती हैं। यह पनडुब्बी निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने में भी अत्यधिक सक्षम है, जो समुद्री क्षेत्र में वास्तविक समय की स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, आईएनएस वाघशीर शत्रु जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम। है, जिससे यह भारतीय नौसेना के लिए एक शक्तिशाली निवारक और आक्रामक हथियार बन जाती है। इसकी बहुमुखी क्षमताएं इसे विभिन्न प्रकार के समुद्री युद्ध परिदृश्यों में एक अमूल्य संपत्ति बनाती हैं।
सशस्त्र बलों के प्रति सर्वोच्च नेतृत्व का विश्वास
राष्ट्रपति की यह यात्रा भारतीय नौसेना के साहस, तकनीकी दक्षता और पेशेवर प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। यह भारतीय नौसेना के कर्मियों के अथक प्रयासों और उनकी उच्च स्तरीय प्रशिक्षण का प्रमाण है। साथ ही, यह यात्रा सशस्त्र बलों के प्रति सर्वोच्च नेतृत्व के विश्वास और समर्थन को भी मजबूती प्रदान करती है और राष्ट्रपति का पनडुब्बी पर सवार होना, सैनिकों और अधिकारियों के मनोबल को बढ़ाता है, उन्हें यह महसूस कराता है कि उनका काम देश के सर्वोच्च नेतृत्व द्वारा सराहा और समर्थित है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति समग्र प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली संदेश भी देता है।
कारवार नेवल बेस का महत्व
यह यात्रा कर्नाटक के कारवार नेवल बेस से शुरू हुई, जो भारतीय नौसेना के लिए एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकाना है। पश्चिमी समुद्री तट पर स्थित यह बेस, नौसेना के संचालन और प्रशिक्षण गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। राष्ट्रपति का इस बेस से अपनी यात्रा शुरू करना, इस क्षेत्र की सामरिक महत्ता और नौसेना की पश्चिमी कमान की तैयारियों को भी उजागर करता है। यह भारतीय नौसेना की परिचालन तत्परता और उसकी विशाल समुद्री क्षमताओं का एक प्रमाण है।