राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में जारी सियासी विवाद लगातार गहराता जा रहा है, जिसने राज्य के क्रिकेट प्रशासन में एक नई उथल-पुथल पैदा कर दी है। एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत द्वारा हाल ही में गठित की गई सुपर सिलेक्शन कमेटी को कमेटी के चार सदस्यों ने सिरे से खारिज कर दिया है, इसे गलत और नियमों के विरुद्ध बताया है और इन सदस्यों का आरोप है कि कन्वीनर अपनी गलतियों को छिपाने और मनमाने फैसले लेने के लिए बिना बहुमत के इस तरह के कदम उठा रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यह विवाद राजस्थान क्रिकेट के भविष्य और खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
सुपर सिलेक्शन कमेटी का गठन और उसके उद्देश्य
दरअसल, एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत ने बीते शुक्रवार को एक तीन सदस्यीय सुपर सिलेक्शन कमेटी का गठन करने की घोषणा की थी। इस कमेटी में एडहॉक कमेटी के सदस्य आशीष तिवाड़ी को चेयरमैन नियुक्त किया गया। था, जबकि मोहित यादव और पिंकेश पोरवाल को सदस्य के रूप में शामिल किया गया। कुमावत ने इस कमेटी के गठन के पीछे के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए बताया कि इसका मुख्य कार्य टीमों में खिलाड़ियों के चयन के साथ-साथ उनके लिए तमाम लॉजिस्टिकल व्यवस्थाएं सुनिश्चित करना होगा और इसमें खिलाड़ियों के लिए होटल बुकिंग, यात्रा के लिए टिकट की व्यवस्था, उनके कपड़ों का इंतजाम और खानपान जैसी सभी सुविधाएं शामिल होंगी। कन्वीनर का मानना है कि इस तरह की एकीकृत व्यवस्था से भविष्य में खिलाड़ियों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और वे पूरी तरह से खेल पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
कन्वीनर का एक टीम बनाने का तर्क
दीनदयाल कुमावत ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि हाल ही में राजस्थान में रणजी और अंडर-23 की दो अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था, जिससे एक गलत संदेश गया था और उनके अनुसार, यह स्थिति राजस्थान के क्रिकेट और खिलाड़ियों के हित में नहीं थी, क्योंकि इससे भ्रम और विभाजन की स्थिति पैदा हुई थी। कुमावत ने जोर देकर कहा कि अब भविष्य में राजस्थान की केवल एक ही टीम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेगी। उनका लक्ष्य एक ऐसा स्वस्थ और एकीकृत माहौल बनाना है, जिसमें क्रिकेट गतिविधियों का संचालन सुचारु रूप से और बिना किसी आंतरिक कलह के किया जा सके। उनका मानना है कि एक टीम होने से राज्य के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को एक मंच मिलेगा और वे बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
धनंजय सिंह खींवसर का करारा जवाब
कन्वीनर के इन दावों और फैसलों पर एडहॉक कमेटी के सदस्य धनंजय सिंह खींवसर ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और खींवसर ने दीनदयाल कुमावत पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि वे झूठे और बेतुके बयान देकर खिलाड़ियों और आम जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जोधपुर क्रिकेट एसोसिएशन को कोर्ट से किसी भी तरह का निलंबन नहीं मिला है और वे नियमों के तहत जोधपुर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं और इसी आधार पर सरकार ने उन्हें एडहॉक कमेटी का सदस्य नियुक्त किया है। खींवसर ने कुमावत के बयानों को उनकी अपनी गलतियों को छिपाने का प्रयास बताया, जिससे राजस्थान क्रिकेट में मौजूदा संकट और गहरा गया है।
विवादित दावे और आरोपों की झड़ी
खींवसर ने आगे कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने पहले ही राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन एडहॉक कमेटी के बहुमत वाली रणजी और अंडर-23 टीमों को सही माना था। उनके अनुसार, जैसे ही कन्वीनर कुमावत को इस बात की जानकारी मिली, उन्होंने चालाकी करते हुए सुपर सिलेक्शन कमेटी का गठन कर दिया और खींवसर का आरोप है कि यह कदम भी कुमावत ने बहुमत के आधार पर नहीं लिया था, बल्कि यह उनकी अपनी गलतियों को छिपाने और जनता को भ्रमित करने का एक और प्रयास था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में एडहॉक कमेटी के सदस्य सिलेक्शन कमेटी का नेतृत्व नहीं कर सकते। यह काम खिलाड़ियों का है, जिनके नेतृत्व में अलग-अलग सिलेक्शन कमेटी का गठन पहले ही। किया जा चुका है और वे राजस्थान की अलग-अलग टीमों का निष्पक्ष सिलेक्शन कर रही हैं।
दो टीमों के विवाद की पृष्ठभूमि
यह ध्यान देने योग्य है कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में यह विवाद कोई नया नहीं है और बीते दिनों रणजी और अंडर-23 मुकाबलों के लिए कन्वीनर और चार सदस्यों द्वारा दो अलग-अलग टीमों की घोषणा की गई थी। इस अभूतपूर्व स्थिति ने राज्य के क्रिकेट हलकों में भारी हंगामा खड़ा कर दिया था। इसके बाद, कई जिला क्रिकेट एसोसिएशनों ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। उस समय भी यह मुद्दा काफी गरमाया था और अब एक बार फिर एडहॉक कमेटी के भीतर का यह विवाद नए सिरे से बढ़ने लगा है, जिससे राजस्थान क्रिकेट का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंसा हुआ दिख रहा है।
राजस्थान क्रिकेट पर प्रभाव
इस आंतरिक कलह का सबसे बड़ा खामियाजा राजस्थान के उभरते हुए खिलाड़ियों और क्रिकेट के विकास को भुगतना पड़ रहा है और प्रशासनिक अस्थिरता और लगातार बदलते फैसलों से खिलाड़ियों के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ता है, और उन्हें यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि कौन सी टीम वैध है और कौन सी चयन प्रक्रिया निष्पक्ष है। यह स्थिति राज्य में क्रिकेट के स्वस्थ माहौल को बाधित। करती है और प्रतिभाओं को आगे बढ़ने से रोकती है। जब तक एडहॉक कमेटी के सदस्य एक साथ मिलकर काम नहीं करते और एक सर्वसम्मत निर्णय पर नहीं पहुंचते, तब तक राजस्थान क्रिकेट में यह अनिश्चितता बनी रहेगी, जिससे खेल और खिलाड़ियों दोनों को नुकसान होगा।