Rajasthan Political Crisis / कांग्रेस में चल रहे अंतर्कलह के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर और खलनायक हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत - डाॅ. सतीश पूनियां

Zoom News : Jul 27, 2020, 10:49 PM

Rajasthan Political Crisis जयपुर | भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष (Rajasthan BJP Chief) डाॅ. सतीश पूनियां (Dr. Satish Poonia) ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस में चल रहे अंतर्कलह (Political Crisis in Congress) के डायरेक्टर, एक्टर, प्राॅड्यूसर, खलनायक  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जो 19 विधायकों की नाराजगी की बात सामने आ रही है, उनको अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी से बाहर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। स्पीकर द्वारा कांग्रेस के नाराज विधायकों के नोटिस को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि इसमें मुख्यमंत्री गहलोत का षड्यंत्र है कि 19 विधायकों को पार्टी से बाहर कैसे निकाला जाये, यह सारी व्यू रचना उन्होंने रची है। 

मारग्रेट अल्वा के ट्वीट कि ‘सोनिया गांधी एक चाय के प्याले में कांग्रेस की इस समस्या का समाधान कर सकती हैं', इस पर डाॅ. पूनियां ने कहा कि तो राजस्थान कांग्रेस में चल रहे झगड़े का सोनिया गांधी समाधान क्यों नहीं निकाल पा रही हैं? मुझे यह लगाता है कि वास्तव में यह सियासत और षडयंत्र है कि कांग्रेस के नाराज विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए ही मुख्यमंत्री गहलोत एवं उनकी सरकार षड्यंत्र रच रही है। उन्होंने कहा कि कब तक बाड़े में से मुख्यमंत्री गहलोत सरकार चलायेंगे, इसका जवाब भाजपा और प्रदेश की जनता बार-बार पूछ रही है। 

डाॅ. पूनियां ने कहा कि बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों को लेकर विधायक मदन दिलावर की ओर से दायर याचिका को विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा याचिका खारिज करने और इसी पर कार्यवाही को लेकर हाईकोर्ट द्वारा अपील खारिज किये जाने को भाजपा फिर से कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे विधिवेत्ताओं से राय मशवरा लिया जा रहा है, उसके बाद एक नई याचिका दायर की जाएगी।

डाॅ. पूनियां ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने जो तत्परता कांग्रेस के इन नाराज लोगों के प्रति दिखाई, वैसी तत्परता बसपा के विधायकों के प्रति नहीं दिखाई तो इसमें थोड़ी शंका लगती है। आज एक सामान्य सी बात थी मदन दिलावर को उनके फैसले की काॅपी देनी थी, इसके लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी। 

डाॅ. पूनियां ने कहा कि कल बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से बीएसपी का पत्र जारी हुआ है। मोटे तौर पर कहा जाए तो बीएसपी का चुनाव चिन्ह है, उसका सिंबल जारी होता है। बीएसपी का राष्ट्रीय स्तर पर कोई मर्जर नहीं हुआ है, इसलिए विधायकों का मर्जर यह संवैधानिक तौर पर जायज है या नहीं है, इसका फैसला न्यायालय करेगा। 

कांग्रेस द्वारा विधायकों के खरीद-फरोख्त को लेकर लगाये गये आरोप पर डाॅ. पूनियां ने कहा कि कांग्रेस का यह सामान्य आरोप है, राजनीति में खरीद-फरोख्त का वो खुद का आरोप खुद पर ही लगा रहे हैं, भाजपा के खिलाफ उनके पास कोई प्रमाण नहीं है। कांग्रेस अपने घर के झगड़े को भाजपा के माथे मढ़ रही है, लेकिन कांग्रेस ने वर्षों तक यह किया और बहुत स्थापित तरीके से किया, किस तरीके से लोकसभा के दौरान विधानसभाओं में उनका आचरण पूरे देशभर में रहा है। 2008 व 2018 में लूली-लंगड़ी सरकार को मैनेज करके जुगाड़ करके मैंडेट प्राप्त किया। इस तरीके से 2018 में इस तरीके की कई चीजें हुई। निर्दलीय और छोटे दलों को मैनेज करने का मैनेजमेंट का उदाहरण साफ दिखता है कि बीटीपी का एक विधायक सरकार को कोसते हुए वीडियो जारी करता है और दूसरे-तीसरे दिन आकर उसका इतना बड़ा हृदय परिवर्तन अशोक गहलोत की जादूगरी से तो नहीं हो सकता, कोई ना कोई कारण है तो आज भी कहीं ना कहीं कांग्रेस के इन काले कारनामों से जनता ही पर्दा उठा देगी। 

विधानसभा अध्यक्ष की मंशा पर क्या कोई सवाल है, इसके जवाब में डाॅ. पूनियां ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को विशेषाधिकार है, इस तरह की याचिकाएं लगती हंै तो उनको पूरा अधिकार है, वह स्वीकार करें या अस्वीकार। उन्होंने जो तत्परता कांग्रेस के नाराज विधायकों के खिलाफ दिखाई, उतनी ही तत्परता वह बसपा के विधायकों के प्रति नहीं दिखाई, इस पर कहीं न कहीं शंका लग रही है। 

2008 में बसपा ने ही कांग्रेस को जीवनदान दिया था, बसपा की बैसाखी पर कांग्रेस सरकार टिकी हुई थी, बसपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में मर्जर होने की मान्यता नहीं देते। उन्होंने पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्रीय पार्टी की राज्य ईकाई अपनी मर्जी से किसी भी पार्टी में विलय नहीं कर सकती। विलय पत्र पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने चाहिए। बसपा नेतृत्व ने ऐतराज जताते हुए कहा कि हमने कांग्रेस में अपने आपको विलय नहीं किया, तो हमारे विधायक कांग्रेस में कैसे विलय कर सकते हैं। 

विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि संविधान ने हर व्यक्ति को अधिकार दे रखा है, जिनका वो समय-समय पर उपयोग करते हैं। कैबिनेट राज्यपाल को सत्र बुलाने के लिए सलाह देती है, जिसमें उनको सत्र बुलाने का कारण भी बताना होता है एवं राज्यपाल महोदय उस पर विचार करते हैं। 

राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि सरकार विधानसभा सत्र बुलाने के लिए षडयंत्र कर रही है, वो अपने ही लोगों पर चोट पहुँचाने के लिए कर रहे हंै। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद से नाराज और निराश विधायकों को नुकसान पहुँचाने के लिए ऐसा षडयंत्र रच रहे हैं, जिसमें यह भी हो सकता है कि फ्लोर पर उन्हें अयोग्य घोषित करने का भी षडयंत्र रचा जा रहा हो या एसओजी के जरिये उन्हें गिरफ्तार करवाकर, उन्हें डरा-धमका कर करें। कहीं ना कहीं यह सियासत केवल सत्र बुलाने के लिए नहीं, इसके पीछे भी सियासत है। 

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