Covid-19 / राजस्थान के अन्य जिलों में भी लगाई जा सकती है धारा 144, CM गहलोत ने दिए संकेत

News18 : Sep 22, 2020, 07:52 AM
जयपुर। राजस्थान में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के कारण 11 जिलों में लगाई गई धारा 144 का दायरा बढ़ सकता है। गहलोत सरकार अन्य जिलों में भी धारा 144 लगा सकती है। दरअसल, कोरोना समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने 11 जिलों में धारा 144 का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जरूरत पड़ने पर अन्य जिलों में भी सरकार ऐसा कदम उठाने से नहीं हिचकेगी। सीएम के इस बयान से साफ है कि आने वाले दिनों में जिन जिलों में कोराना के मामले ज्यादा आएंगे वहां धारा 144 लगना तय है। सीएम ने डीजीपी भूपेन्द्र सिंह (DGP Bhupendra Singh) को निर्देश दिया है कि धारा 144 का पालन कराने के लिए पुलिस स्थान विशेष को चिन्हित करके फ्लैग मार्च करे।

जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए ऑक्सीजन युक्त आईसीयू और वेंटिलेटर्स युक्त बेड की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने निर्देश दिए कि कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए इन बेड्स की संख्या में आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त संख्या में वृद्धि की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर और अजमेर संभागीय मुख्यालयों पर पूरे संभाग से लोग उपचार के लिए आते हैं। ऐसे में वहां चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही जयपुर में प्राथमिकता से ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर्स के एक हजार अतिरिक्त बेड बढ़ाए जाएं।


वाहनों के जरिए भी कोरोना जागरूकता

अब कचरा संग्रहण करने वाले वाहनों के जरिए लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक किया जाएगा। सीएम ने बैठक में इसे लेकर निर्देश दिए हैं कि जन जागरूकता के लिए स्वायत्त शासन विभाग प्रदेश के सभी शहरी निकाय क्षेत्रों में स्वच्छता वाहनों के जरिए आमजन को मास्क के उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग रखने, सार्वजनिक स्थानों पर न थूकने आदि के बारे में जागरूक करें।

 रिकवरी रेट को बेहतर रखने में कामयाब 

बैठक में चिकित्साव स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोरा ने बताया कि प्रदेश में सितम्बर माह में अब तक मृत्यु दर 0.9 प्रतिशत से भी कम रही है। अगस्त माह में भी यह 1 प्रतिशत से कम थी। वर्तमान में राजस्थान में कोरोना से औसत मृत्यु दर 1.16 प्रतिशत है, जो कि न सिर्फ राष्ट्रीय औसत बल्कि दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से कम है। इसी प्रकार, रिकवरी दर 83 प्रतिशत है, जो कि राष्ट्रीय औसत के साथ-साथ कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से बेहतर है।


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