बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आ गया है, जब अंतर्राष्ट्रीय अपराध। न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायाधिकरण ने हसीना को मानवता के विरुद्ध अपराधों का दोषी ठहराया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं। इस निर्णय ने बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और पूर्व प्रधानमंत्री की ओर से तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है, जिससे देश में राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है। यह फैसला बांग्लादेश के अशांत राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो। उनके कार्यकाल के दौरान मानवाधिकारों के हनन के गंभीर आरोपों को सामने लाता है।
न्यायाधिकरण का कड़ा फैसला
बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें फांसी की सजा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय मानवाधिकार संगठनों और अन्य संस्थाओं की कई रिपोर्टों पर गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया है, जिनमें क्रूरताओं का विस्तृत विवरण दिया गया है। न्यायाधिकरण ने साफ तौर पर कहा है कि शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ गंभीर अपराध किए हैं। फैसले में यह भी उल्लेख किया गया है कि बड़ी संख्या में निहत्थे प्रदर्शनकारियों को मारा गया है। न्यायाधिकरण ने आगे कहा कि अवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर सड़कों पर उतरकर सुनियोजित हमले किए, और यह सब पार्टी नेतृत्व की पूरी जानकारी और निर्देश पर हुआ, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन हुए।
शेख हसीना की तीखी प्रतिक्रिया
न्यायाधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन राजनीतिक नेतृत्व द्वारा दिए गए सीधे आदेशों का परिणाम था। मामले में अभियोजकों ने दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की थी, जो अपराधों की गंभीरता को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हसीना सरकार के आदेश। के बाद 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच 'विद्रोह' के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए थे। इसके अतिरिक्त, इस अवधि में 11,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया, जो राज्य द्वारा अपनी ही आबादी के खिलाफ की गई कार्रवाई की भयावह तस्वीर पेश करता है।
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा उनके खिलाफ दिए गए फैसलों पर बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि उनके खिलाफ दिया गया फैसला 'राजनीति से प्रेरित, धांधली से भरा और गैर-निर्वाचित अंतरिम सरकार द्वारा संचालित साजिश' का हिस्सा है। हसीना ने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार के उग्र तत्व उन्हें और अवामी लीग को राजनीति से पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं। हसीना ने यह भी कहा कि ICT एक निष्पक्ष अदालत नहीं है और इसे ऐसी सरकार चला रही है जिसे जनता का कोई जनादेश प्राप्त नहीं है, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठते हैं।
अपना पक्ष रखने का मौका न मिलने का आरोप
हसीना ने अपने बयान में आगे कहा कि ICT में उनके खिलाफ लगाया गया कोई भी आरोप। सही नहीं है और हिंसा को लेकर चलाए गए मुकदमे का उद्देश्य कभी भी न्याय दिलाना नहीं था। उनके अनुसार, इस मुकदमे का असली मकसद अवामी लीग को दोषी ठहराना और अंतरिम सरकार की विफलताओं से दुनिया का ध्यान भटकाना था और उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और उन्हें अपनी पसंद के वकील रखने का अधिकार भी नहीं मिला, जो एक निष्पक्ष सुनवाई के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन है।
यूनुस प्रशासन की आलोचना
शेख हसीना ने यूनुस के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए सार्वजनिक सेवाओं और शासन में गंभीर गिरावट का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूनुस के शासन में सार्वजनिक सेवाएं चरमरा गई हैं, देश की सड़कों से पुलिस पीछे हट गई है और न्यायिक निष्पक्षता को नुकसान पहुंचा है। हसीना ने अवामी लीग के समर्थकों के साथ-साथ हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बेखौफ हमलों में वृद्धि की ओर भी इशारा किया और उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के दमन और प्रशासन के भीतर इस्लामी कट्टरपंथियों के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की, जो उनके अनुसार बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष सरकार की लंबी परंपरा को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
कट्टरपंथ का उदय और आर्थिक ठहराव
हसीना ने आगे आरोप लगाया कि यूनुस सरकार इस्लामी कट्टरपंथियों को सक्रिय रूप से संरक्षण दे रही है, जिससे उन्हें बिना किसी डर के काम करने की अनुमति मिल रही है और उन्होंने पत्रकारों की गिरफ्तारी पर प्रकाश डाला, जो मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का संकेत है, और आर्थिक विकास के ठप होने पर दुख व्यक्त किया। इसके अलावा, उन्होंने यूनुस पर जानबूझकर चुनावों को टालने और देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग को चुनावी प्रक्रिया से व्यवस्थित रूप से बाहर रखने का आरोप लगाया। उन्होंने तर्क दिया कि यह बिना जनमत के सत्ता को मजबूत। करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को खत्म करने का एक स्पष्ट प्रयास है।
संपत्ति जब्त करने का आदेश
फैसले की गंभीरता को बढ़ाते हुए, अदालत ने शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री कमाल की बांग्लादेश में मौजूद सभी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया है और इस निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए, हसीना ने अपनी बात दोहराई कि उनके खिलाफ आया फैसला "गलत, पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित" है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह फैसला एक गैर-निर्वाचित सरकार द्वारा चलाए जा। रहे न्यायाधिकरण ने दिया है, जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं है। उन्होंने अंत में कहा कि जनता अच्छी तरह जानती है कि यह पूरा मामला वास्तविक घटनाओं की जांच नहीं, बल्कि अवामी लीग को निशाना बनाने की कोशिश है। उन्होंने बांग्लादेश में अगले चुनावों को पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष कराने का आह्वान किया, इस बात पर जोर देते हुए कि डॉ. यूनुस को लोगों ने नहीं चुना है।