- भारत,
- 25-Sep-2025 07:00 AM IST
Share Market News: भारतीय निवेशक आज एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। जहां पहले निवेश को लेकर झिझक और भ्रम था, वहीं अब सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) ने निवेश की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है। यह अब केवल इक्विटी में पैसा लगाने का जरिया नहीं, बल्कि अनुशासित बचत का एक नया मंत्र बन चुका है। आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि SIP ने भारतीयों की वित्तीय आदतों को पूरी तरह बदल दिया है।
SIP: निवेश से ज्यादा, एक आदत
भारत में लंबे समय तक लोग बचत तो करते थे, लेकिन निवेश की आदत नहीं थी। SIP ने इस सोच को जड़ से बदल दिया। आज रिटेल निवेशक, यानी आम लोग, नियमित रूप से एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, बिना बाजार के उतार-चढ़ाव की चिंता किए। फिरोज अजीज कहते हैं, "अगर आप किसी ऑटो या टैक्सी ड्राइवर से पूछें कि क्या उन्होंने अपने SIP की वैल्यू चेक की है, तो जवाब होगा 'नहीं'। इसका मतलब है कि SIP अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।" यह अनुशासित निवेश की ताकत को दर्शाता है, जो अब भारतीय समाज में गहरी पैठ बना चुका है।
आम निवेशक बनाम HNI: अनुशासन की जीत
दिलचस्प बात यह है कि SIP करने वाले आम निवेशक कई बार बड़े-बड़े HNI (High Net-worth Individuals) से बेहतर प्रदर्शन कर जाते हैं। 2020-21 के आंकड़े इसकी मिसाल हैं। जब कोविड महामारी के दौरान बाजार में डर का माहौल था और लोग अपने निवेश निकाल रहे थे, तब SIP के जरिए 88,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। वहीं, अन्य इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1.25 लाख करोड़ रुपये की निकासी हुई और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) में 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह साफ दिखाता है कि अनुशासन और नियमितता ही निवेश की दुनिया में असली गेम चेंजर है।
बचत का पैसा अब बाजार की ओर
कोरोना महामारी के बाद भारतीय निवेशकों की प्राथमिकताओं में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला। पहले लोग सोना, जमीन या अन्य फिजिकल संपत्तियों में निवेश को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट का चलन बढ़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 तक भारतीय परिवारों की कुल बचत 950 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। इसमें से करीब 70 लाख करोड़ रुपये इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स में निवेशित हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि भारतीय अब अपनी बचत को बाजार में लगाने के लिए तैयार हैं।
भविष्य का अनुमान: 52 लाख करोड़ का निवेश
फिरोज अजीज का अनुमान है कि अगले आठ वर्षों में भारतीय बाजारों में कम से कम 52 लाख करोड़ रुपये का घरेलू निवेश आएगा। यह आंकड़ा पिछले आठ वर्षों के 3 लाख करोड़ रुपये और कोविड के बाद के चार वर्षों में 15 लाख करोड़ रुपये के निवेश की तुलना में कहीं अधिक है। यह न केवल भारतीय निवेशकों के बढ़ते आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि घरेलू निवेशक अब भारतीय शेयर बाजार की रीढ़ बन चुके हैं।
