- भारत,
- 21-Jun-2025 02:00 PM IST
Israel-Iran War: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता जताते हुए एक अहम लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है "भारत की आवाज को सुनने के लिए अभी भी बहुत देर नहीं हुई है"। इस लेख में उन्होंने ईरान पर इज़राइल के हमले की कड़ी निंदा की है और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की खामोशी पर तीखा सवाल उठाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया।
ईरान-भारत की ऐतिहासिक मित्रता की याद दिलाई
सोनिया गांधी ने लेख की शुरुआत भारत और ईरान के ऐतिहासिक रिश्तों की चर्चा से की। उन्होंने कहा कि ईरान भारत का एक पुराना और भरोसेमंद मित्र रहा है। विशेष रूप से उन्होंने 1994 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को विफल करने में ईरान की भूमिका को याद किया। सोनिया ने लिखा, "जब दुनिया में भारत की स्थिति चुनौतीपूर्ण थी, तब ईरान हमारे साथ खड़ा रहा।"
शाही शासन बनाम इस्लामी रिपब्लिक: सहयोग की तुलना
सोनिया गांधी ने ईरान के शाही शासन और इस्लामी गणराज्य की भारत नीति की तुलना करते हुए बताया कि इस्लामी ईरान ने भारत के साथ कहीं अधिक सहयोग किया है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के दौरान शाही ईरान ने पाकिस्तान का समर्थन किया था, लेकिन बदलते राजनीतिक परिदृश्य में ईरान ने भारत के साथ मजबूती से रिश्ते बनाए रखे।
इज़राइल से मजबूत हो रहे रिश्ते और भारत की भूमिका
लेख में सोनिया गांधी ने भारत और इज़राइल के बढ़ते रणनीतिक संबंधों को भी रेखांकित किया, लेकिन इसके साथ भारत की जिम्मेदारी को रेखांकित किया। उन्होंने लिखा कि "भारत के पास एक ऐसा अनूठा कूटनीतिक अवसर है जिसमें वह शांति और संवाद का पुल बन सकता है।" सोनिया ने यह भी कहा कि भारत की भूमिका महज सैद्धांतिक नहीं बल्कि उन लाखों भारतीय नागरिकों की सुरक्षा से भी जुड़ी है जो पश्चिम एशिया में कार्यरत हैं।
हमास के हमले की आलोचना, लेकिन इज़राइल की कार्रवाई को बताया 'असंगत'
सोनिया गांधी ने स्पष्ट शब्दों में 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा किए गए इज़राइल पर हमले की निंदा की, लेकिन इज़राइली सैन्य कार्रवाई को "भयावह और असंगत" बताया। उन्होंने कहा कि "गाजा में अब तक 55,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है, अस्पतालों और घरों को नष्ट कर दिया गया है, और गाजा अब भुखमरी की कगार पर है।"
मोदी सरकार की विदेश नीति पर तीखा हमला
अपने लेख में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा कि भारत ने दो राष्ट्रों के समाधान—जिसमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना की जाती है—से दूरी बना ली है। उन्होंने इसे भारत की सांस्कृतिक और नैतिक परंपराओं से विचलन करार दिया। सोनिया ने कहा कि सरकार की चुप्पी यह दर्शाती है कि भारत अपने कूटनीतिक मूल्यों को त्याग रहा है।
भारत को अपनी भूमिका निभानी चाहिए
लेख के अंत में सोनिया गांधी ने सरकार से आग्रह करते हुए कहा, "अभी बहुत देर नहीं हुई है। भारत को अपनी ऐतिहासिक भूमिका को निभाना चाहिए। उसे न केवल स्पष्ट बोलना चाहिए, बल्कि क्षेत्रीय संवाद और तनाव-निवारण की दिशा में भी अग्रसर होना चाहिए।" उन्होंने ज़ोर दिया कि यह भारत के नैतिक कर्तव्य और वैश्विक जिम्मेदारी का समय है।