Sardarshahar News / सरदारशहर नगर-परिषद सभापति के अविश्वास-प्रस्ताव के परिणाम पर अंतरिम रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरदारशहर नगर परिषद के सभापति राजकरण चौधरी के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के परिणाम जारी करने पर 4 जुलाई तक अंतरिम रोक लगा दी है। हालांकि प्रक्रिया जारी रहेगी। कोर्ट में गंभीर प्रक्रियात्मक चूक और राजनीतिक दबाव के आरोप भी उठे हैं।

Sardarshahar News: राजस्थान के चूरू जिले की सरदारशहर नगर परिषद में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति को फिर से गरमा दिया है। नगर परिषद के सभापति राजकरण चौधरी के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जारी प्रक्रिया को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा हस्तक्षेप किया है। कोर्ट ने परिणाम की घोषणा पर 4 जुलाई 2025 तक अंतरिम रोक लगा दी है, हालांकि प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी गई है।

कोर्ट का हस्तक्षेप: प्रक्रिया और परिणाम में फर्क

जस्टिस चंद्रशेखर शर्मा की एकल पीठ ने सभापति चौधरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया तो चलेगी, लेकिन मतगणना के बाद परिणाम तब तक सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे जब तक अगली सुनवाई नहीं हो जाती। यह रोक ऐसे समय में आई है जब नगर परिषद में राजनीतिक खींचतान अपने चरम पर है।

प्रक्रिया में खामी का आरोप

वार्ड 33 के पार्षद मदनलाल ओझा की ओर से वरिष्ठ वकील डॉ. सचिन आचार्य और नृपन शंकर आचार्य ने अदालत में यह याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रस्ताव की प्रति नियमों के तहत विधिवत नहीं दी गई थी। नियम 3(1) और नियम 2(1)(b) के उल्लंघन का हवाला देते हुए प्रस्ताव की वैधता पर सवाल उठाया गया।

राजनीतिक समीकरण और दावे

सरदारशहर नगर परिषद में कुल 55 निर्वाचित वार्ड हैं, जिनमें 22 भाजपा, 30 कांग्रेस और 3 निर्दलीय पार्षद हैं। इसके अतिरिक्त 2 पदेन सदस्य (विधायक व सांसद) भी मतदान में भाग ले सकते हैं। कुल मिलाकर 57 सदस्यीय परिषद में प्रस्ताव पारित करने के लिए कम से कम 43 मत आवश्यक हैं।

मतदान में बाधा और राजनीतिक आरोप

निर्धारित तिथि 27 जून को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना था, लेकिन निर्वाचन अधिकारी एडीएम मंगलाराम पूनिया की तबीयत अचानक खराब होने के चलते मतदान टल गया। उन्हें बीपी लो होने के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा कि "राजकीय दबाव में अधिकारी अनुपस्थित रहे।"

गहलोत ने इसे लोकतंत्र के विरुद्ध कार्रवाई बताया और सरकार पर प्रशासन को राजनीतिक हथियार बनाने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस नेताओं ने भी इसे सोची-समझी रणनीति करार दिया।

सभापति का बचाव: फर्जी हस्ताक्षरों का आरोप

सभापति राजकरण चौधरी का कहना है कि प्रस्ताव में 10 पार्षदों के हस्ताक्षर फर्जी हैं और उन्हें कोई विधिवत नोटिस नहीं मिला है। उन्होंने अदालत से प्रस्ताव निरस्त करने और बैठक स्थगित करने की मांग की थी, जिसके आंशिक रूप से सकारात्मक परिणाम उन्हें मिले हैं।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया बनाम राजनीतिक टकराव

सरदारशहर नगर परिषद का यह मामला अब न केवल एक स्थानीय राजनीतिक संघर्ष है, बल्कि यह स्थानीय स्वशासन, लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और न्यायिक हस्तक्षेप की मिसाल भी बन गया है। 4 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले सभी पक्ष अपने-अपने दावों को मजबूती से पेश करने की तैयारी में जुटे हैं।