सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ा अपडेट जारी किया है। सीबीआई ने पटना कोर्ट में अपनी क्लोजर रिपोर्ट जमा कर दी है, जिसमें रिया चक्रवर्ती को पूरी तरह से निर्दोष बताया गया है और इस रिपोर्ट के अनुसार, सुशांत सिंह राजपूत की मौत आत्महत्या थी और रिया चक्रवर्ती या किसी अन्य आरोपी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।
परिवार का रिपोर्ट को चुनौती देने का फैसला
हालांकि, सुशांत सिंह राजपूत का परिवार सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है और परिवार ने इस रिपोर्ट को 'ऊपरी और अधूरी' बताते हुए इसे कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। सुशांत के परिवार के वकील वरुण सिंह का कहना है कि सीबीआई ने अपनी चार्जशीट के साथ सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स जैसे कि चैट, गवाहों के बयान, बैंक रिकॉर्ड और मेडिकल रिपोर्ट जमा नहीं किए हैं और उनका मानना है कि जांच एजेंसी ने कई अहम सबूतों को नजरअंदाज किया है और यह जांच केवल दिखावे की है। परिवार 20 दिसंबर को पटना कोर्ट में इस रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका दाखिल करेगा।
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
सीबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की थी और रिपोर्ट के अनुसार, 8 जून 2020 से 14 जून 2020 के बीच (जिस दिन सुशांत का शव मिला), कोई भी आरोपी सुशांत के साथ नहीं था। रिया और उनके भाई शौविक ने 8 जून को सुशांत का घर छोड़ दिया था और उसके बाद वे कभी उनके फ्लैट पर नहीं गए। सुशांत ने शौविक से 10 जून को वॉट्सऐप पर बात की थी,। लेकिन रिया से 8 से 14 जून के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। जांच में रिया या उनके परिवार द्वारा सुशांत को आत्महत्या के। लिए उकसाने, दबाव बनाने या धमकाने का कोई सबूत नहीं मिला है।
वित्तीय पहलू की जांच में सामने आया कि जब रिया ने 8 जून को सुशांत का फ्लैट छोड़ा था, तो वह अपना एप्पल लैपटॉप और सुशांत द्वारा उपहार में दी गई एप्पल रिस्ट वॉच लेकर गई थीं। जांच में सुशांत की संपत्ति से उनकी जानकारी के बिना कोई सामान ले जाने का सबूत नहीं मिला और सुशांत और रिया अप्रैल 2018 से जून 2020 तक लिव-इन रिलेशनशिप में थे। सुशांत ने अपने रूममेट सिद्धार्थ पिटानी को बताया था कि रिया 'परिवार का हिस्सा' हैं, इसलिए। रिया पर किए गए खर्च को धोखाधड़ी (IPC की धारा 420) के तहत नहीं माना जा सकता।
वित्तीय पहलू पर जांच