Sydney Terror Attack / सिडनी आतंकी हमला: पाकिस्तानी बाप-बेटे ने मचाया कोहराम, पिता ढेर, बेटा गिरफ्तार; 15 की मौत

सिडनी में हुए आतंकी हमले में 15 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक घायल हुए हैं। पुलिस ने खुलासा किया है कि इस हमले को 50 वर्षीय पिता और 24 वर्षीय बेटे ने मिलकर अंजाम दिया। पिता को पुलिस ने मार गिराया, जबकि बेटे को गंभीर हालत में गिरफ्तार किया गया है। दोनों का संबंध पाकिस्तान से बताया जा रहा है।

सिडनी में रविवार को हुए एक भयावह आतंकी हमले ने पूरे शहर को दहला दिया। इस नृशंस घटना में 15 निर्दोष लोगों की जान चली गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए, जिससे ऑस्ट्रेलिया में शोक की लहर दौड़ गई। यह हमला यहूदियों के हनुक्का त्योहार के दौरान हुआ, जिसने इसकी गंभीरता और संवेदनशीलता को और बढ़ा दिया। पुलिस ने अब इस हमले के पीछे की चौंकाने वाली सच्चाई का खुलासा किया है, जिसमें एक बाप-बेटे की जोड़ी को इस खूनी साजिश का मास्टरमाइंड बताया गया है।

हमले के पीछे बाप-बेटे की साजिश

न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने जानकारी दी है कि सिडनी में हुए इस सामूहिक गोलीबारी को 50 वर्षीय पिता और उसके 24 वर्षीय बेटे ने मिलकर अंजाम दिया और यह खुलासा अपने आप में स्तब्ध कर देने वाला है कि एक परिवार के दो सदस्यों ने मिलकर इतनी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने पुष्टि की है कि इस हमले में कोई अन्य हमलावर शामिल नहीं था, जिससे यह साफ हो गया है कि यह पूरी साजिश इन्हीं दोनों की थी। इस घटना को आधिकारिक तौर पर एक आतंकवादी हमला घोषित किया गया है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आतंक का पाकिस्तानी कनेक्शन

हमले के बाद सामने आई जानकारी के अनुसार, इस बाप-बेटे की जोड़ी का संबंध पाकिस्तान से है। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने 24 वर्षीय कथित हमलावर की पहचान पाकिस्तानी नागरिक नवीद अकरम के रूप में की है। नवीद अकरम को पाकिस्तानी सेना के रिटायर जनरल सादिक अकरम का बेटा बताया गया है और यह भी बताया गया है कि नवीद अकरम कुछ महीने पहले आईएसआईएस में शामिल हुआ था और इसके लिए व्यवस्थाएं उसके पिता जनरल सादिक अकरम ने ही की थीं। नवीद अकरम का परिवार वर्तमान में इस्लामाबाद में रहता है,। जो इस आतंकी साजिश के अंतरराष्ट्रीय आयामों को दर्शाता है।

यहूदी समुदाय को बनाया निशाना

यह आतंकी हमला विशेष रूप से सिडनी के यहूदी समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाकर किया गया था। हनुक्का उत्सव के दौरान हुई यह गोलीबारी यहूदी समुदाय के लिए एक गहरा आघात है, जिसने धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा पर चिंताएं बढ़ा दी हैं और इस तरह के लक्षित हमले समाज में विभाजन पैदा करने और भय फैलाने का काम करते हैं, जिससे समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ता है। पुलिस इस बात की गहराई से जांच कर रही है कि आखिर क्यों इस विशेष समुदाय को निशाना बनाया गया।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई और परिणाम

न्यू साउथ वेल्स पुलिस आयुक्त माल लैन्यन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतंकी हमले को लेकर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस अब किसी अन्य संदिग्ध की तलाश नहीं कर रही है, क्योंकि सभी हमलावर या तो मारे गए हैं या हिरासत में हैं। लैन्यन ने पुष्टि की कि 50 वर्षीय शूटर को पुलिस ने गोली मारी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई और वहीं, उसके 24 वर्षीय बेटे को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया है और वह पुलिस निगरानी में है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने शायद और बड़े नुकसान को टाल दिया।

विस्फोटक उपकरण और हथियारों का जखीरा

घटनास्थल के पास से दो एक्टिव विस्फोटक उपकरण (IED) भी मिले थे, जिन्हें पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षित रूप से निष्क्रिय कर दिया। इन IEDs की बरामदगी से पता चलता है कि हमलावरों की मंशा और भी अधिक तबाही मचाने की थी। आयुक्त लैन्यन ने यह भी पुष्टि की कि मृत 50 वर्षीय व्यक्ति के पास वैध हथियार लाइसेंस था और उसके नाम पर 6 फायरआर्म्स रजिस्टर थे। यह माना जा रहा है कि ये सभी 6 हथियार बॉन्डी बीच पर किए गए अपराधों में इस्तेमाल किए गए थे। यह तथ्य हथियारों के लाइसेंसिंग और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

जांच का दायरा और भविष्य की सुरक्षा

पुलिस आयुक्त ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया कि क्या दोनों हमलावर पहले से पुलिस के रडार पर थे या नहीं और घटनास्थल से आईएसआईएस का झंडा मिलने की खबरों पर भी कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि 50 वर्षीय पिता के पास करीब 10 वर्षों से हथियार लाइसेंस था, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि वह लंबे समय से हथियारों का मालिक था और लैन्यन ने कहा, “हम इस हमले के पीछे के मकसदों की जांच करेंगे और यह जांच का एक अहम हिस्सा है। ” कार्रवाई के दौरान न्यू साउथ वेल्स पुलिस के दो अधिकारी। भी घायल हुए हैं, जो अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। आने वाले दिनों में पूजा स्थलों पर पुलिस की मजबूत मौजूदगी बनाए रखी जाएगी ताकि समुदाय में सुरक्षा की भावना बनी रहे और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। यह घटना सिडनी के इतिहास में एक काला अध्याय बन गई है, जिसकी जांच अभी भी जारी है।