TCS Layoffs News / TCS ले ऑफ से बढ़ी टेंशन, अगर ये इंश्योरेंस लिया तो नहीं होगी दिक्कत

TCS ने 2025 में 12,200 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है, जिससे AI और नई स्किल्स पर फोकस बढ़ा है. इससे जॉब लॉस इंश्योरेंस फिर चर्चा में है. यह नौकरी गंवाने की स्थिति में खर्चों का सहारा बनता है, खासकर IT और स्टार्टअप सेक्टर में.

TCS Layoffs News: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड (TCS), देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी, ने इस वित्तीय वर्ष में लगभग 12,200 कर्मचारियों की छंटनी करने का फैसला लिया है। यह कंपनी के इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी है, जिसमें मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की संभावना है। इसका मुख्य कारण भविष्य के लिए जरूरी स्किल्स पर फोकस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को बड़े पैमाने पर अपनाना है। इस घटना ने जॉब लॉस इंश्योरेंस को फिर से चर्चा में ला दिया है, जो पहले बहुत कम लोग लेते थे। आइए, जॉब लॉस इंश्योरेंस के बारे में विस्तार से समझते हैं।

जॉब लॉस इंश्योरेंस क्या है?

जॉब लॉस इंश्योरेंस एक ऐसी बीमा पॉलिसी है जो अचानक नौकरी छूटने की स्थिति में व्यक्ति को आर्थिक सहारा प्रदान करती है। यह तब तक जरूरी खर्चों को कवर करती है, जब तक व्यक्ति को नई नौकरी नहीं मिल जाती। इसमें शामिल हो सकते हैं:

  • लोन की EMI

  • किराया

  • बिजली-पानी के बिल

  • मेडिकल खर्च

यह इंश्योरेंस व्यक्ति को अपनी बचत में हाथ डाले बिना जरूरी खर्चे चलाने में मदद करता है। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट गुरदीप सिंह बत्रा के अनुसार, यह उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प है जो नौकरी जाने की चिंता में रहते हैं, खासकर आईटी, स्टार्टअप और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों में, जहां छंटनी अब आम बात हो गई है।

जॉब लॉस इंश्योरेंस कैसे काम करता है?

पेमेंट का तरीका

जॉब लॉस इंश्योरेंस में पेमेंट का ढांचा पहले से तय होता है। यह पॉलिसी दो तरह से काम कर सकती है:

  1. मासिक भुगतान: बेरोजगारी के दौरान हर महीने एक निश्चित राशि दी जाती है।

  2. एकमुश्त भुगतान: पूरी राशि एक साथ दी जाती है।

अधिकतर पॉलिसी में मासिक भुगतान मॉडल होता है, जिसमें व्यक्ति को बेरोजगारी के दौरान हर महीने तय राशि मिलती है। हालांकि, भुगतान तभी शुरू होता है, जब व्यक्ति एक निश्चित अवधि (वेटिंग पीरियड) तक बेरोजगार रहता है।

उदाहरण के लिए, बत्रा के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति 10,000 रुपये प्रति माह की पॉलिसी लेता है, तो उसे तीन महीने तक हर महीने यह राशि मिल सकती है। कुछ पॉलिसी में भुगतान बढ़ता जाता है, जैसे पहले महीने 5,000 रुपये, दूसरे में 10,000 रुपये और तीसरे में 15,000 रुपये, ताकि व्यक्ति नई नौकरी ढूंढने के लिए प्रेरित रहे।

प्रीमियम कैसे तय होता है?

जॉब लॉस इंश्योरेंस का प्रीमियम निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:

  • व्यक्ति की सैलरी

  • पॉलिसी की अवधि

  • जॉब का रिस्क लेवल

  • पॉलिसी अकेले ली गई है या ग्रुप में

बत्रा के मुताबिक, ग्रुप पॉलिसी (जो कंपनी या बैंक के जरिए मिलती है) में प्रीमियम कम होता है। ज्यादा रिस्क वाले सेक्टरों, जैसे आईटी या स्टार्टअप, में प्रीमियम अधिक हो सकता है।

कौन ले सकता है जॉब लॉस इंश्योरेंस?

पॉलिसीबाजार फॉर बिजनेस के डायरेक्टर सज्जा प्रवीण चौधरी के अनुसार, यह इंश्योरेंस केवल फॉर्मल सेक्टर के सैलरीड कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है। चाहे कर्मचारी किसी मल्टीनेशनल कंपनी में हो या स्टार्टअप में, अगर कंपनी फॉर्मल सेक्टर में आती है, तो वह इस इंश्योरेंस के लिए पात्र होगा।

यह इंश्योरेंस निम्नलिखित कारणों से होने वाली अनैच्छिक बेरोजगारी को कवर करता है:

  • कंपनी में स्ट्रक्चरल बदलाव

  • खर्च में कटौती

  • सरकारी आदेश

  • AI या ऑटोमेशन के कारण नौकरी का नुकसान

कब नहीं मिलेगा क्लेम?

जॉब लॉस इंश्योरेंस में क्लेम कुछ खास परिस्थितियों में नहीं मिलता। बत्रा और चौधरी के अनुसार, निम्नलिखित मामलों में क्लेम रिजेक्ट हो सकता है:

  • स्वैच्छिक इस्तीफा

  • जल्दी रिटायरमेंट

  • ट्रायल पीरियड में नौकरी जाना

  • खराब परफॉर्मेंस, धोखाधड़ी या अनुशासनहीनता के कारण नौकरी जाना

  • कॉन्ट्रैक्ट-बेस्ड, सीजनल या टेम्परेरी जॉब

  • पहले से मौजूद बीमारी या महामारी के कारण नौकरी जाना

  • अगर कर्मचारी कंपनी के डायरेक्ट पेरोल पर नहीं है

क्या जॉब लॉस इंश्योरेंस लेना सही है?

जॉब लॉस इंश्योरेंस एक सेफ्टी नेट की तरह काम करता है, लेकिन इसमें कुछ पेंच भी हैं। कई कंपनियां छंटनी के दौरान कर्मचारियों को 3 महीने की सैलरी देती हैं और फिर उन्हें "इस्तीफा" देने के लिए कहती हैं। यह कागजों पर स्वैच्छिक इस्तीफा माना जाता है, जिसके कारण इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। चौधरी के अनुसार, कंपनियां ऐसा कर्मचारी के करियर को बचाने के लिए करती हैं ताकि उनके रिज्यूमे में छंटनी का दाग न लगे।

इसके बावजूद, अगर कर्मचारी यह साबित कर दे कि उसे निकाला गया था, तो क्लेम मिलने की संभावना रहती है।

जॉब लॉस से निपटने के लिए अन्य विकल्प

जॉब लॉस इंश्योरेंस के अलावा कुछ अन्य उपाय भी हैं, जो आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं:

  1. आपातकालीन फंड: कम से कम 6 महीने के खर्च के बराबर राशि बचाकर रखें। यह अचानक नौकरी जाने की स्थिति में बड़ा सहारा हो सकता है।

  2. लोन के साथ इंश्योरेंस: अगर आपके पास लोन है, तो लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस लें। इससे नौकरी जाने पर बीमा कंपनी आपकी EMI भरती है, जिससे आपकी प्रॉपर्टी सुरक्षित रहती है।

  3. स्किल डेवलपमेंट: AI और नई तकनीकों से संबंधित स्किल्स सीखें ताकि भविष्य में नौकरी के अवसर बढ़ें।