Shashi Tharoor News / थरूर बोले- प्रधानमंत्री का हारना भारत की हार, पाकिस्तान के खतरे को नजरअंदाज न करें

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि विदेश नीति देश की होती है, पार्टी की नहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री की हार को भारत की हार बताया। थरूर ने पाकिस्तान से बढ़ते सुरक्षा खतरों और उसकी बदलती सैन्य रणनीति पर चिंता व्यक्त की, साथ ही बांग्लादेश की अस्थिरता के संभावित प्रभावों पर भी प्रकाश डाला।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि। विदेश नीति किसी राजनीतिक दल की नहीं, बल्कि पूरे भारत देश की होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर राजनीति में कोई व्यक्ति प्रधानमंत्री की हार पर खुशी मनाता है, तो वह वास्तव में भारत की हार का जश्न मना रहा होता है। थरूर ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध कथन को याद किया,? जिसमें उन्होंने पूछा था, “अगर भारत मर गया, तो कौन जिएगा? ” यह बयान राष्ट्रीय एकता और विदेश नीति के मामलों में पक्षपात से ऊपर उठने की आवश्यकता पर बल देता है।

पाकिस्तान से बढ़ते सुरक्षा खतरे

इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान थरूर ने भारत को पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सुरक्षा खतरों को हल्के में न लेने की चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान अपनी सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है। अब वह हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक और छिपकर हमला करने की नीति पर अधिक जोर दे रहा है और यह एक ऐसा विकास है जिसे भारत को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को बदल सकता है।

बदलती सैन्य रणनीति और तकनीकी प्रगति

थरूर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पाकिस्तान पहले भी ड्रोन, रॉकेट और मिसाइल हमलों का सहारा ले चुका है। अब वह और भी अधिक खतरनाक तकनीकों की ओर बढ़ रहा है और पाकिस्तान की यह नई सैन्य नीति ऐसी नहीं है जिसे भारत नजरअंदाज कर सके। यह भारत के लिए अपनी रक्षा तैयारियों और रणनीतिक योजना की लगातार समीक्षा करने की आवश्यकता। को रेखांकित करता है, ताकि इन उभरते खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।

पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और सेना का दबदबा

पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, थरूर ने उसे एक 'बेहद समस्याग्रस्त देश' बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में नाम मात्र की नागरिक सरकार है, जबकि असली ताकत सेना के हाथों में केंद्रित है और नीति निर्धारण में सेना का दबदबा रहता है और उसी के हिसाब से महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। यह आंतरिक शक्ति संरचना पाकिस्तान की विदेश नीति और सुरक्षा दृष्टिकोण को भी प्रभावित करती है।

आर्थिक नाजुकता और क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा

थरूर ने पाकिस्तान की आर्थिक हालत को 'बेहद नाजुक' बताया, जिसकी जीडीपी वृद्धि दर लगभग 2. 7 प्रतिशत है, जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत या उससे अधिक है और उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मदद पाकिस्तान को कुछ समय के लिए सहारा देती है, लेकिन यही आर्थिक कमजोरी भविष्य में जोखिम भरे कदम उठाने के लिए उकसा सकती है। इसके अलावा, पाकिस्तान अब उन क्षेत्रों में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है जहां भारत पहले से। मजबूत है, विशेष रूप से टेक्सटाइल और कृषि जैसे क्षेत्रों में, जिससे क्षेत्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।

वैश्विक उथल-पुथल और रणनीतिक संबंध

वैश्विक परिदृश्य में तेजी से हो रहे बदलावों और उथल-पुथल के दौर पर थरूर ने कहा कि ऐसे में सवाल यह नहीं है कि किसे काबू में किया जाए, बल्कि यह है कि उन देशों से कैसे निपटा जाए जिन्हें नियंत्रित करना आसान नहीं है। उन्होंने पाकिस्तान के अमेरिका को खनिज संसाधनों तक पहुंच का प्रस्ताव देने और अपनी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा कारोबार एक ऐसी कंपनी को सौंपने का भी जिक्र किया, जिसका संबंध जैकरी विटकॉफ और डोनाल्ड ट्रम्प के बेटों से बताया जा रहा है और ये घटनाक्रम पाकिस्तान की बदलती रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं।

बांग्लादेश की चुनौतियां और भारत पर प्रभाव

थरूर ने बांग्लादेश की वर्तमान समस्याओं पर भी बात की, जिसमें ऊर्जा संकट, बढ़ती महंगाई और निवेशकों का कमजोर होता भरोसा शामिल है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौतों पर चर्चा यह संकेत देती है कि बांग्लादेश भारत को दुश्मन के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है और यह भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि एक अस्थिर या शत्रुतापूर्ण बांग्लादेश भारत की 'सॉफ्ट अंडरबेली' बन सकता है, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए।

अलगाववादी तत्व और क्षेत्रीय स्थिरता

थरूर ने चेतावनी दी कि कुछ लोग खुले तौर पर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश से अलग करने की धमकी दे रहे हैं और अलगाववादी तत्वों को पनाह दे रहे हैं। जमात-ए-इस्लामी जैसी इस्लामिक ताकतों ने हालात को और ज्यादा संवेदनशील बना दिया है। भारत के लिए एक शांत और स्थिर बांग्लादेश बेहद जरूरी है, क्योंकि अस्थिरता क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर परिणाम ला सकती है।

भारत की कनेक्टिविटी पहल और भविष्य की निर्भरता

भारत ने बांग्लादेश के लिए बंदरगाह, रेल और ऊर्जा ग्रिड से जुड़ी क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजनाएं प्रस्तावित की हैं, जो बांग्लादेश के हित में हैं। हालांकि, थरूर ने जोर दिया कि यह सब बांग्लादेश में स्थिरता पर निर्भर करता है और भारत के लिए एक शांत और स्थिर बांग्लादेश बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अस्थिरता उसे भारत की “सॉफ्ट अंडरबेली” बना सकती है और क्षेत्रीय विकास प्रयासों को बाधित कर सकती है।

थरूर के पिछले महत्वपूर्ण बयान

शशि थरूर ने हाल ही में कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी अपनी राय रखी है। 25 दिसंबर को उन्होंने देश में गैरकानूनी तरीके से रहने वाले। लोगों (अवैध प्रवासियों) के खिलाफ सरकार के एक्शन का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि देश की सीमाओं की सुरक्षा और इमिग्रेशन व्यवस्था को ठीक से संभालना सरकार की जिम्मेदारी है। 4 नवंबर को, थरूर ने भारत की वंशवादी राजनीति की आलोचना करते हुए एक लेख में कहा था कि भारत में राजनीति फैमिली बिजनेस बन गई है। उन्होंने तर्क दिया था कि जब तक राजनीति परिवारों के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी, तब तक लोकतांत्रिक सरकार का असली मतलब पूरा नहीं हो सकेगा और ये बयान विभिन्न राष्ट्रीय और राजनीतिक मुद्दों पर थरूर के व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।