Caste Census In India / देश में जातीय जनगणना की तारीख आई सामने, दो चरणों में होगी पूरी

भारत में जातिगत जनगणना की तारीख तय हो गई है। यह दो चरणों में होगी—पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से उत्तराखंड, हिमाचल, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से अन्य राज्यों में। इससे ओबीसी सहित विभिन्न जातियों के आंकड़े सामने आएंगे और नीति निर्धारण में मदद मिलेगी।

Caste Census In India: भारत में जातिगत जनगणना को लेकर वर्षों से चली आ रही बहस अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। सूत्रों के अनुसार, जातीय जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी, जिसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी। पहले चरण में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू होगी, जबकि दूसरे चरण की शुरुआत 1 मार्च 2027 से होगी, जो मैदानी राज्यों में संपन्न होगी।

क्यों ज़रूरी है जातिगत जनगणना?

भारत में हर दस साल पर जनगणना कराना एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसकी अंतिम बार वर्ष 2011 में गणना की गई थी। 2021 में अगली जनगणना प्रस्तावित थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह टल गई। गौर करने वाली बात यह है कि 1931 के बाद से भारत में जातिवार जनगणना नहीं हुई है, हालांकि अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की संख्या पर आधारित आंकड़े अब भी दर्ज किए जाते हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की जनसंख्या का कोई ठोस सरकारी आंकड़ा नहीं है, जिससे आरक्षण नीति को लेकर अस्पष्टता बनी रहती है।

दो चरणों में होगी गिनती

जातिगत जनगणना को लेकर यह फैसला हाल ही में केंद्र सरकार ने लिया है। पहले चरण में 2026 के अक्टूबर से पहाड़ी राज्यों — उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और लद्दाख — में गिनती शुरू होगी। इसके बाद दूसरे चरण में 2027 के मार्च से बाकी राज्यों में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। यह दो-स्तरीय व्यवस्था भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में 1881 से 1931 तक जातिगत आंकड़े नियमित रूप से जनगणना में शामिल किए जाते थे। लेकिन 1951 में आज़ादी के बाद पहली बार जातिगत गिनती को औपचारिक रूप से रोक दिया गया। 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) के तहत आंकड़े इकट्ठे किए गए थे, लेकिन वे आधिकारिक जनगणना का हिस्सा नहीं बने और व्यापक नीतिगत निर्णयों में उपयोग नहीं हो सके।

जातिगत जनगणना: क्या और क्यों?

जाति जनगणना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें यह पता लगाया जाता है कि किस जाति या सामाजिक समूह की कितनी जनसंख्या है, उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति क्या है, और किन वर्गों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। इससे नीति निर्माण, आरक्षण व्यवस्था, और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण में पारदर्शिता और प्रभावशीलता आती है।