- भारत,
- 15-Sep-2025 08:45 AM IST
Rajasthan Elections: राजस्थान में नगरीय निकायों के चुनाव इस साल नहीं होंगे। राज्य सरकार की प्रारंभिक तैयारियों में हो रही देरी के कारण अब इन चुनावों को अगले वर्ष जनवरी या फरवरी 2026 में कराने की योजना है। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने स्पष्ट किया है कि चुनाव आयोग और ओबीसी आयोग की प्रक्रियाएँ दिसंबर 2025 के पहले सप्ताह तक ही पूरी हो पाएँगी। इसके बाद भी तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियों के लिए कम से कम एक माह का समय और चाहिए। इस वजह से दिसंबर में चुनाव कराना संभव नहीं है, भले ही मंत्री पहले दिसंबर में चुनाव कराने की बात करते रहे हों।
बढ़ती नगरीय निकायों की संख्या
राज्य में अब नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं की कुल संख्या 309 हो गई है। यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है, जिसके कारण प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी दबाव बढ़ा है। पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में 196 नगरीय निकायों में चुनाव हुए थे, लेकिन वर्तमान में 49 निकायों और नवगठित निकायों में प्रशासक नियुक्त हैं। दिसंबर 2025 तक 56 और निकायों के बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद इनमें भी प्रशासक नियुक्त करने होंगे।
प्रशासकों की नियुक्ति और शहरी सरकार का अभाव
यदि चुनाव फरवरी या मार्च 2026 तक टलते हैं, तो सभी 196 नगरीय निकायों में निर्वाचित ‘शहरी सरकार’ का अभाव हो जाएगा। इन निकायों में प्रशासकों के हाथ में ही जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जिससे स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधियों की भागीदारी प्रभावित होगी। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक चुनौतियाँ बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय विकास कार्यों और जनता की समस्याओं के समाधान में भी देरी का कारण बन सकती है।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
चुनाव में देरी का मुख्य कारण तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियों में समय लगना है। ओबीसी आयोग की प्रक्रिया, मतदाता सूची का अद्यतन, और अन्य प्रशासनिक कार्यों को पूरा करने में समय की आवश्यकता ने सरकार के सामने एक जटिल स्थिति पैदा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इन तैयारियों को समयबद्ध तरीके से पूरा नहीं करती, तो यह देरी और बढ़ सकती है।
इस बीच, जनता और विपक्षी दलों की नजर सरकार की तैयारियों पर बनी हुई है। चुनाव में देरी से न केवल शहरी निकायों के कामकाज पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह स्थानीय नेतृत्व और जनप्रतिनिधियों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा रहा है। सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह जल्द से जल्द इन प्रक्रियाओं को पूरा करे ताकि नगरीय निकायों में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल हो सके।
